27 मार्च 2017

आरक्षण को देश का दुर्भाग्य कहें या सौभाग्य ?

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भारत की संविधान सभा ने अब अपना कार्य शुरू कर दिया था, विभिन्न विषयों पर चर्चा होने लगी थी जैसे मौलिक अधिकार, भाषा आदि! इन्हीं प्रस्तावों के बीच एक दिन आरक्षण का भी मुद्दा उठाया गया। इस विषय पर चर्चा के थोड़ी ही देर बाद पता चल गया कि सभा के ज्यादातर सदस्य इसके खिलाफ थे।
उस दिन की कार्यवाही समाप्त होने के बाद के.एम. मुंशी जो संविधान सभा के एक वरिष्ठ और विद्वान् सदस्य थे, ने डॉ अम्बेडकर को अपने पास बुलाया और कहा कि शायद आरक्षण देश के लिए ठीक नहीं होगा और चूँकि कांग्रेस के भी ज्यादातर सदस्य इसके खिलाफ ही हैं तो क्यों ना आप इसे संविधान से निकाल ही दें।
मुंशी जी का इतना कहना ही था कि बाबा आंबेडकर चिल्ला उठे और जोर से कहा कि जब तक मैं यहाँ हूँ, संविधान में आरक्षण रहेगा जब आप लोगों को मुझसे इतना घृणा ही है तो में अपना इस्तिफा दे दूंगा। और इस प्रकार उन्होंने संविधान सभा का अपना काम बंद कर दिया और घर बैठ गए।
इन सब बातों की जानकारी जब सरदार पटेल को हुई तो वह बाबा अम्बेडकर के घर गए और उनका पक्ष जानने का प्रयास किया और कहा कि आप क्यों सब काम छोड़कर घर बैठे हुए हैं। डॉ अम्बेडकर ने फिर वही आरक्षण वाली अपनी बात दोहराई, सरदार पटेल ने तब साफ़ कहा कि देखो अम्बेडकर जो बड़े पद हैं उन पर तो हम मेरिट के आधार पर ही लोगों का चयन करेंगें फिर क्यों तुम क्लर्कों के पद के लिए इतना बड़ा जोखिम उठा रहे हो।
डॉ अम्बेडकर ने कहा कि कैसा जोखिम पटेल जी?
उस पर सरदार पटेल ने कहा कि देखो अगर आज हम अछूतों (sc,st ) को आरक्षण दे देते हैं तो फिर हर समुदाय जैसे मुस्लिम, सिख, इसाई,और हिन्दुओं की अन्य जातियां आदि सभी आरक्षण की मांग करने लगेगें और देश में जाति और धर्म की ये तकरार लगातार बढ़ती जायेगी और जिस जाति व्यवस्था को हम भारत से मिटाना चाहतें हैं वो तो और भी मजबूत हो जायेगी।
(सोच के देखिये सरदार पटेल की दूरदर्शिता आज आरक्षण के नाम पर देश में क्या हो रहा हैं)
सरदार पटेल की हर बात का डॉ अम्बेडकर ने खंडन किया और अपना कानून मंत्री का इस्तीफा उनको सौंप दिया, एक जाति मुक्त भारत, अन्याय मुक्त भारत और दलितों के प्रति अपनी उदारवादी सोच की वजह से, बड़े बड़े राजाओं के सामने भी ना झुकने वाला यह लौह स्तम्भ अपने जीवन में पहली बार डॉ अम्बेडकर के सामने झुक गए और उनका इस्तीफा नहीं स्वीकारा। ( शायद ये आजाद भारत की सबसे पहली ब्लैकमेलिंग थी), और इस प्रकार भारत में आरक्षण का सूत्रपात हो गया।
लेकिन जब भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, तो उसके मौलिक अधिकार वाले भाग 3 में अनुच्छेद 15 स्पष्ट घोषणा कर रहा था कि धर्म, लिंग, जाति, जन्मस्थान के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा और आरक्षण तो यही कर रहा है, 
अत: भारत का पहला (1) संविधान संशोधन लाया गया जो अनु.15 (4) कहा गया 
जिसने स्पष्ट घोषणा कर दी कि इस अनु. यानी 15 और अनु. 29(2) की कोई भी बात राज्य को सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े नागरिकों के किन्ही वर्गों और sc,st के लिए विशेष उपबंध यानी आरक्षण देने से नहीं रोकेगी।अब ये सब चल ही रहा था उधर संविधान का संरक्षक सुप्रीम कोर्ट संविधान की आत्मा में हो रहे बदलावों को देख रहा था और बार बार सरकारों से कह रहा था कि संविधान में सामाजिक पिछड़ा और शैक्षणिक पिछड़ा व sc,st के लिए आरक्षण हो एसी बात कही गयी है। और आप लोग तो पूरी की पूरी एक जाति को ही पिछड़ा बता रहे हैं ये कैसे सम्भव है कि किसी एक जाति में कोई एक भी व्यक्ति आर्थिक सामाजिक और शैक्षणिक रूप से सबल ना हो! किन्तु सरकारों ने हमेशा कहा कि भारत में पिछड़ा वर्ग का मतलब है विशेष जातियां। इन सबसे खीजकर सुप्रीम कोर्ट बारबार सरकारों को चेताता है कि आप को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि यह व्यवस्था(आरक्षण) अनादि काल तक नहीं चलने वाला है और अगर आप इसे अनादि काल तक चलाना ही चाहते हैं, तो फिर इस आरक्षण को देने का फायदा ही क्या हुआ जब 70 वर्षों से ज्यादा बीत जाने पर भी आप लोगों को गरीबी से ऊपर नहीं उठा पा रहें हैं।





देश का दुर्भाग्य कहें या सौभाग्य सरकारें लगातार संविधान विरोधी कार्य करती रहीं, जिस आरक्षण के बारे में डॉ अम्बेडकर ने स्पष्ट रूप से कहा था कि “यह तो बैसाखी मात्र है और दलितों को ध्यान रखना चाहिए कि इससे बहुत दूर तक नहीं दौड़ा जा सकता”. परन्तु वोट बैंक कि राजनीति ने इस सन्देश को कभी तरजीह  ही नहीं दी और जो आरक्षण शुरू में केवल 10 वर्षों के लिए दिया गया उसे लगातार हर 10 वर्ष बाद बिना हो हल्ला के अगले 10 वर्षो के लिए बढ़ा दिया जाता है, और यह लगातार हो रहा है जो आज तक जारी है। इतने के बाद भी जब सरकारों को चैन नहीं मिला और बसपा जैसी पार्टी का UP में उदय हुआ तो एक अजीब तरह की मांग फिर उठ गयी और वो थी पदोन्नति में आरक्षण।
और इस तरह अनु. 16 जिसमें पहले चार प्वाइंट थे उसमें 77वां संविधान संशोधन 1995 कर एक नया प्वाइंट 16(4) (A), जोड़ दिया गया जिसने इस आधार पर सरकारों को छुट दे दी कि अगर वो ये मानते हैं कि राज्य सरकार की नौकरियों में उच्च पदों पर sc,st का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है तो सरकारें पदोन्नति में भी आरक्षण दे सकती हैं। (अब यहाँ आप को ध्यान ये रखना है कि आजादी के बाद से ही 27% सीटें पहले ही आरक्षित हैं तो जाहिर सी बात है कि पद्दोन्न्ति में समान नियम के कारण ये वर्ग भी तो उच्च पदों पर पहुंचा ही होगा), अब इतना सब हो जाने के बाद भी सरकारों का मन नहीं भरा और उन्होंने एक और संविधान संशोधन (80 वां 2000) कर डाला। जिसने यह व्यवस्था दी है कि अगर किसी एक वर्ष या कई वर्षो में सरकारी नौकरियों में sc, st की सीटें खाली रह जाती है तो वह समाप्त नहीं होंगी और अगले वर्षो के लिए सुरक्षित रख ली जायेंगी और ये करते वक्त 50% आरक्षण की सीमा जो सुप्रीम कोर्ट ने तय की है, उसका उलंघन नहीं माना जाएगा।
कुल मिलाकर देखा जाय तो यह बात स्पष्ट हो जाती है कि सरकारों का पक्ष वोट बैंक की राजनीति की वजह से हमेशा आरक्षण के पक्ष में रहा है. और रही सुप्रीम कोर्ट की बात तो वह यह अंधेरगर्दी चुप चाप इसलिए देख रहा है कि उसे ये विश्वास नहीं हो पा रहा है कि आरक्षण के खिलाफ दिए गए उसके फैसले में भारत के लोग या इससे प्रभावित लोग उसका समर्थन करेंगें।

26 मार्च 2017

कत्लखाने बन्द होने पर सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर.

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योगी आदित्यनाथ ने यूपी के मुख्यममंत्री बनने के बाद कई कत्लखाने बन्द करवा दिए पर इस कार्य की सराहना करने की बजाय मीडिया की सुर्खियों में कुछ नया विवाद ही देखने को मिल रहा है। जैसे कि कत्लखाने बंद होने से करोड़ों का नुकसान होगा, कई लोग बेरोजगार हो जाएंगे आदि । लेकिन ऐसा ही मामला स्वर्गीय श्री राजीव दीक्षित सुप्रीम कोर्ट में लेकर गए थे ।आइये जानते है क्या कहा था राजीव दीक्षित ने, और क्या था सुप्रीम कोर्ट का आर्डर !!
राजीव दीक्षित ने सुप्रीम कोर्ट के मुकदमें मे कसाईयों द्वारा गाय काटने के लिए वही सारे कुतर्क रखे जो कभी शरद पवार द्वारा बोले गए या इस देश के ज्यादा पढ़ें लिखे लोगों द्वारा बोले जाते हैं या देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू द्वारा कहे गए थे और आज जो मीडिया द्वारा कहे जा रहे हैं ।
कसाईयो के कुतर्क
  • गाय जब बूढ़ी हो जाती है तो बचाने मे कोई लाभ नहीं उसे कत्ल करके बेचना ही बढ़िया है और हम भारत की अर्थ व्यवस्था को मजबूत बना रहे हैं क्योंकि गाय का मांस एक्सपोर्ट कर रहे हैं ।
  • भारत में गाय के चारे की कमी है । वह भूखी मरे इससे अच्छा ये है कि हम उसका कत्ल करके बेचें ।
  • भारत में लोगो को रहने के लिए जमीन नहीं है गाय को कहाँ रखें ?
  • इससे विदेशी मुद्रा मिलती है और सबसे खतरनाक कुतर्क जो कसाइयों की तरफ से दिया गया है कि गाय की हत्या करना हमारे इस्लाम धर्म में लिखा हुआ है कि हम गायों की हत्या करें (this is our religious right )
  • श्री राजीव दीक्षित की तरफ से बिना क्रोध प्रकट किए बहुत ही धैर्य से इन सब कुतर्को का तर्कपूर्वक जवाब दिया गया।

उनका पहला कुतर्क गाय का मांस बेचते हैं तो आमदनी होती है देश को । राजीव भाई ने सारे आंकड़े सुप्रीम कोर्ट में रखे कि एक गाय को जब काट देते हैं तो उसके शरीर में से कितना मांस निकलता है? कितना खून निकलता है?? कितनी हड्डियाँ निकलती हैं ??
  • एक स्वस्थ्य गाय का वजन कमसे कम 3 से साढ़े तीन कवींटल होता है उसे जब काटे तो उसमे से मात्र 70 किलो मांस निकलता है एक किलो गाय का मांस जब भारत से एक्सपोर्ट (Export )होता है तो उसकी कीमत है लगभग 50 रुपए ! तो 70 किलो का 50 से गुना को ! 70 x 50 = 3500 रुपए !
  • खून जो निकलता है वो लगभग 25 लीटर होता है ! जिससे कुल कमाई 1500 से 2000 रुपए होती है !
  • फिर *हड्डिया निकलती है वो भी 30-35 किलो हैं ! जो 1000 -1200 के लगभग बिक जाती है !!

तो कुल मिलकर एक गाय का जब कत्ल करें और मांस ,हड्डियाँ खून समेत बेचें तो सरकार को या कत्ल करने वाले कसाई को 7000 रुपए से ज्यादा नहीं मिलता !!
फिर राजीव भाई द्वारा कोर्ट के सामने उल्टी बात रखी गई कि यदि गाय को कत्ल न करें तो क्या मिलता है ? हमने कत्ल किया तो 7000 मिलेगा और अगर इसको जिंदा रखे तो कितना मिलेगा ? तो उसका कैलकुलेशन  ये है !!
  • एक गाय एक दिन मे 10 किलो *गोबर* देती है और ढाई से 3 लीटर मूत्र देती है । गाय के एक किलो गोबर से 33 किलो Fertilizer (खाद ) बनती है ।जिसे organic खाद कहते हैं तो कोर्ट के जज ने कहा how it is possible ?? राजीव भाई द्वारा कहा गया कि आप हमें समय और स्थान दीजिये हम आपको यही सिद्ध करके बताते हैं । कोर्ट ने आज्ञा दी तो राजीव भाई ने उनको पूरा करके दिखाया और कोर्ट से कहा कि आई. आर. सी. के वैज्ञानिक को बुला लो और टेस्ट करा लो । जब गाय का गोबर कोर्ट ने भेजा टेस्ट करने के लिए तो वैज्ञानिकों ने कहा कि इसमें 18 micro nutrients (पोषक तत्व ) हैं। जो सभी खेत की मिट्टी को चाहिए जैसे मैगनीज है ! फोस्फोरस है ! पोटाशियम है, कैल्शियम,आयरन, कोबाल्ट, सिलिकोन ,आदि आदि । रासायनिक खाद में मुश्किल से तीन होते हैं । तो गाय का खाद रासायनिक खाद से 10 गुना ज्यादा ताकतवर है । ये बात कोर्ट को माननी पड़ी !

राजीव भाई  ने कहा अगर आपके र्पोटोकोल के खिलाफ न जाता हो तो आप चलिये हमारे साथ और देखे कहाँ कहाँ हम 1 किलो गोबर से 33 किलो खाद बना रहे हैं राजीव भाई ने कहा मेरे अपने गाँव में मैं बनाता हूँ ! मेरे माता पिता दोनों किसान हैं पिछले 15 साल से हम गाय के गोबर से ही खेती करते हैं ! 1 किलो गोबर है तो 33 किलो खाद बनता है और 1 किलो खाद का जो अंतर्राष्ट्रीय  बाजार में भाव है वो 6 रुपए है ! तो रोज 10 किलो गोबर से 330 किलो खाद बनेगी ! जिसे 6 रुपए किलो के हिसाब से बेचें तो 1800 से 2000 रुपए रोज का गाय के गोबर से मिलता है ! और गाय के गोबर देने मे कोई सन्डे नहीं होता Weekly Off नहीं होता, हर दिन मिलता है । 
साल में कितना ? 1800 x 365 = 657000 रुपए साल का ! और गाय की सामान्य उम्र 20 साल है और वो जीवन के अंतिम दिन तक गोबर देती है । तो 1800 गुना 365 गुना 20 कर लो आप !! 1 करोड़ से ऊपर तो मिल जाएगा केवल गोबर से !
अब बात करते हैं गौ मूत्र की । रोज का 2 - सवा दो लीटर देती है,  इसमें सुवर्ण क्षार होता है जो वैज्ञानिकों ने भी सिद्ध करके दिखाया है और इससे औषधियां बनती है Diabetes Arthritis, Bronchitis, Bronchial Asthma, Tuberculosis, Osteomyelitis ऐसे करके 48 रोगो की औषधियां बनती हैं और गाय के एक लीटर मूत्र का बाजार में दवा के रूप मे कीमत 500 रुपए है । वो भी भारत के बाजार में, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तो इससे भी ज्यादा है ।
अमेरिका में गौ मूत्र Patent हैं और अमरीकी सरकार हर साल भारत से गाय का मूत्र Import करती है और उससे कैंसर की Medicine बनाते हैं। diabetes की दवा बनाते हैं और अमेरिका मे गौ मूत्र पर एक दो नहीं तीन patent है । अमेरिकन market के हिसाब से calculate करें तो 1200 से 1300 रुपए लीटर बैठता है एक लीटर मूत्र, तो गाय के मूत्र से लगभग रोज की 3000 की आमदनी और एक साल का 3000 x 365 =1095000  और 20 साल का 300 x 365 x 20 = 21900000  इतना तो गाय के गोबर और मूत्र से हो गया एक साल का । और इसी गाय के गोबर से एक गैस निकलती है जिसे मैथेन कहते हैं और मैथेन वही गैस है जिससे आप अपने रसोई घर का सिलंडर चला सकते हैं और जरूरत पड़ने पर गाड़ी भी चला सकते हैं । जैसे LPG गैस से गाड़ी चलती है वैसे मैथेन गैस से भी गाड़ी चलती है तो न्यायधीश को विश्वास नहीं हुआ तो राजीव भाई ने कहा आप अगर आज्ञा दो तो आपकी कार में मेथेन गैस का सिलंडर लगवा देते हैं ।आप चला के देख लो उन्होने आज्ञा दी और राजीव भाई ने लगवा दिया और जज साहब ने 3 महीने गाड़ी चलाई और उन्होने कहा Its Excellent. क्यूंकि इसका खर्चा आता है मात्र 50 से 60 पैसे किलोमीटर और डीजल से आता है 4 रुपए किलो मीटर ।
मेथेन गैस से गाड़ी चले तो धुआँ बिलकुल नहीं निकलता । डीजल गैस से चले तो धुआँ ही धुआँ । मेथेन से चलने वाली गाड़ी में शोर बिलकुल नहीं होता और डीजल से चले तो इतना शोर होता है कि कान के पर्दे फट जाएँ तो ये सब जज साहब की समझ में आया । तो फिर हम (राजीव भाई ने कहा ) अगर रोज का 10 किलो गोबर इकट्ठा करें तो एक साल में कितनी मेथेन गैस मिलती है? 20 साल में कितनी मिलेगी और भारत मे 17 करोड़ गाय हैं सबका गोबर एक साथ इकठ्ठा करें और उसका ही इस्तेमाल करे तो 1 लाख 32 हजार करोड़ की बचत इस देश को होती है ।बिना डीजल ,बिना पट्रोल के हम पूरा ट्रांसपोटेशन इससे चला सकते हैं । अरब देशो से भीख मांगने की जरूरत नहीं और पट्रोल डीजल के लिए अमेरिका से डालर खरीदने की जरूरत नहीं । अपना रुपया भी मजबूत । तो इतने सारे Calculation जब राजीव भाई ने दिए सुप्रीम कोर्ट में तो जज ने मान लिया कि गाय की हत्या करने से ज्यादा उसको बचाना आर्थिक रूप से लाभकारी है ।
जब कोर्ट की Opinion आई तो ये मुस्लिम कसाई लोग भड़क गए उनको लगा कि अब केस उनके हाथ से गया क्योंकि उन्होने कहा था कि गाय का कत्ल करो तो 7000 हजार की इन्कम और इधर राजीव भाई ने सिद्ध कर दिया कत्ल ना करो तो लाखो करोड़ो की इन्कम । और फिर उन्होने ने अपना Trump Card खेला । उन्होंने कहा कि गाय का कत्ल करना हमारा धार्मिक अधिकार है (this is our religious right ) तो राजीव भाई ने कोर्ट में कहा कि अगर ये इनका धार्मिक अधिकार है तो इतिहास में पता करो कि किस  किस मुस्लिम राजा ने अपने इस धार्मिक अधिकार का प्रयोग किया? तो कोर्ट ने कहा ठीक है एक कमीशन बैठाओ. हिस्टोरीयन को बुलाओ और जितने मुस्लिम राजा भारत में हुए, सबकी History निकालो दस्तावेज़ निकालो और किस किस राजा ने अपने इस धार्मिक अधिकार का पालन किया ?
कोर्ट के आदेश अनुसार पुराने दस्तावेज जब निकाले गए तो उससे पता चला कि भारत में जितने भी मुस्लिम राजा हुए एक ने भी गाय का कत्ल नहीं किया । इसके उल्टा कुछ राजाओ ने गायों के कत्ल के खिलाफ कानून बनाए । उनमे से एक का नाम था बाबर । बाबर ने अपनी पुस्तक बाबर नामा में लिखवाया है कि मेरे मरने के बाद भी गाय के कत्ल का कानून जारी रहना चाहिए ।  हुमायु, औरंगजेब ने भी उसका पालन किया और उसके बाद जितने मुगल राजा हुए सबने इस कानून का पालन किया
फिर दक्षिण भारत में एक राजा था हेदर आली टीपू सुल्तान का बाप । उसने एक कानून बनवाया था कि अगर कोई गाय की हत्या करेगा तो हैदर उसकी गर्दन काट देगा और हैदर अली ने ऐसे सैकंडो कसाइयों की गर्दन काटी थी जिन्होंने गाय को काटा था फिर हैदर अली का बेटा आया टीपू सुलतान तो उसने इस कानून को थोड़ा हल्का कर दिया तो उसने कानून बना दिया की हाथ काट देना । तो टीपू सुलतान के समय में कोई भी अगर गाय काटता था तो उसका हाथ काट दिया जाता था |
 ये जब दस्तावेज जब कोर्ट के सामने आए तो राजीव भाई ने जज साहब से कहा कि आप जरा बताइये अगर इस्लाम में गाय को कत्ल करना धार्मिक अधिकार होता तो बाबर तो कट्टर इस्लामी था 5 वक्त की नमाज पढ़ता था हिमायु और औरंगजेब तो सबसे ज्यादा कट्टर थे तो इन्होंने क्यों नहीं गाय का कत्ल करवाया ?? क्यों गाय का कत्ल रोकने के लिए कानून बनवाए ?? क्यों हेदर अली ने कहा कि वो गाय का कत्ल करने वाले का गर्दन काट देगा ??
राजीव भाई ने कोर्ट से कहा कि आप हमे आज्ञा दें तो हम ये कुरान शरीफ, हदीस,आदि जितनी भी पुस्तकें हैं हम ये कोर्ट मे पेश करते हैं और कहाँ लिखा है गाय का कत्ल करो ये जानना चाहतें है । इस्लाम की कोई भी धार्मिक पुस्तक में नहीं लिखा है कि गाय का कत्ल करो । हदीस में तो लिखा हुआ है कि गाय की रक्षा करो क्यूंकि वो तुम्हारी रक्षा करती है । पैंगबर मुहमद साहब का Statement है कि गाय अबोल जानवर है इसलिए उस पर दया करो और एक जगह लिखा है गाय का कत्ल करोगे तो नरक में भी जमीन नहीं मिलेगी।
राजीव भाई ने कोर्ट से कहा अगर कुरान ये कहती है मुहम्मद साहब ये कहते हैं हदीस ये कहती है तो फिर ये गाय का कत्ल करना धार्मिक अधिकार कब से हुआ??  पूछो इन कसाईयो से ?? तो कसाई बोखला गए और राजीव भाई ने कहा अगर मक्का मदीना में भी कोई किताब हो तो ले आओ उठा के ।
अंत में कोर्ट ने उनको 1 महीने का पर्मिशन दिया कि जाओ और दस्तावेज ढूंढ के लाओ जिसमें लिखा हो गाय का कत्ल करना इस्लाम का मूल अधिकार है । हम मान लेंगे । और एक महीने तक भी कोई दस्तावेज नहीं मिला । कोर्ट ने कहा अब हम ज्यादा समय नहीं दे सकते और अंत 26 अक्तूबर 2005 Judgement आ गया और आप चाहें तो Judgement की copy www. supremecourtcaselaw . com पर जाकर Download कर सकते हैं । यह 66 पन्ने का Judgement  है सुप्रीम कोर्ट ने एक इतिहास बना दिया और उन्होंने कहा कि गाय को काटना संवैधानिक पाप है धार्मिक पाप है और सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गौ रक्षा करना,सर्वंधन करना देश के प्रत्येक नागरिक का संवैधानिक कर्त्तव्य है । सरकार का तो है ही नागरिकों का भी कर्तव्य है ।
अब तक जो संवैधानिक कर्तव्य थे जैसे , संविधान का पालन करना, राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना, क्रांतिकारियो का सम्मान करना, देश की एकता, अखंडता को बनाए रखना आदि आदि अब इसमें गौ की रक्षा करना भी जुड़ गया है ।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत के सभी राज्यों की सरकार की जिम्मेदारी है कि वो गाय का कत्ल अपने अपने राज्य में बंद कराये और किसी राज्य में गाय का कत्ल होता है तो उस राज्य के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी है राज्यपाल की जवाबदारी, चीफ सेकेट्री की जिम्मेदारी है, वो अपना काम पूरा नहीं कर रहे है तो ये राज्यों के लिए *संवैधानिक* जवाबदारी है और नागरिको के लिए संवैधानिक कर्त्तव्य है ।

ये तो केवल गाय के गोबर और गौ मूत्र की बात की गई । अगर उसके दूध की बात करे तो कितने करोड़ का आंकड़ा पहुँच जायेगा । अब कई तथाकथित मीडिया वाले या सेकुलर बोलेंगे कि हम गाय की बात नही करते है हम भैंस आदि पशु की बात करते हैं तो भैस के गोबर और मूत्र को खेत में डालने से अधिक धान, सब्जी आदि पैदा किये जाते हैं तो उससे गोबर और मूत्र से भी पैसा कमा सकते हैं और उसके दूध आदि से भी करोड़ो रूपये कमा सकते हैं और एक भैंस की कीमत 70,000 से 80,000 गिने तो भी उसके मीट, खून, हड्डियां, चमड़ा आदि बेचने से कई अधिक पैसा होता है । मीट खाने से कई बीमारिया भी होती है और उसका दूध पीने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है अतः कत्लखाने बन्द करना ही उचित होगा ।

9 मार्च 2017

समझदार को इसारा काफी

https://www.santkabir.org                        *समझदार को इशारा काफी है*

*एक समझदार मुस्लिम ने समझाया, मियां ज्यादा शरिया शरिया न करो,मोदी भड़क गया न तो पूरा शरिया लगा देगा*

*कुछ मुस्लिम बंधु एक जगह पर बैठकर विचार विमर्श कर रहे थे। इनमे से एक थे अजमेरी चचा, करीम मीटवाला, फारुख टेलर और सलीम मोची पंचरवाला । ये लोग बैठे बैठे अपना टाइम पास करते हुए मोदी जी को कोसते हुए बोल रहे थे | ये मोदी हमे बताने वाला कौन होता है हम मुसलमान तो शरिया से ही चलेंगे । भाई सही बात है मोदी जी कौन होते हैं बताने वाले बेशक वो देश के PM हैं लेकिन कुछ लोगों के लिए उनकी कोई वैल्यू नहीं है ।*

*तभी वहां हामिद नामक होशियार और समझदार व्यक्ति आया और बोला-अरे मियां जरा आराम से बोलो, ज्यादा शरिया शरिया न करो, ये मोदी तो बहुत सुलझा हुआ इन्सान है,सबका साथ सबका विकास ही सही रहेगा। अगर मोदी भड़क गया न तो पूरा शरिया लगा देगा मुसलमानों के लिए, कहीं फिर फिर लिंग,हाथ काटने जैसी सजाए ना शुरू हो जाएँ जो शरिया में होती हैं। सभी लोग अचानक उसकी तरफ देखने लगे और बोले-अरे क्या बोल रहा  है तू ? हामिद बोला ” मैं अभी चाय की दूकान मे बैठा था, वहां भी यही चर्चा हो रही थी, मे अभी अभी उनके ही मुँह से सुनके आ रहा हूँ वो ऐसे बोल रहे थे।

*भारतीय मुस्लिमो को तीन तलाक के मामले में शरिया कानून के पालन की अनुमति दी जानी चाहिए परन्तु उनसे लिखित रूप में यह ले लेना चाहिए कि वह अब से भारतीय कानून की बजाए शरिया कानून का पूरी तरह से पालन करेंगे |*

*फिर 1 जनवरी 2018 से शरिया कोर्ट बेठेगा जिसमे केंद्र की तरफ से मौलाना मौलवी नियुक्त किये जायेंगे ।*

*इसके पश्चात जैसे कि शरिया के क़ानून में होता है ठीक वैसे ही चोरी के आरोप लगे हुए मुस्लिमो के हाथ काट दिए जाएगे, बलात्कार के आरोपी मुस्लिमो को एक गड्ढे में आधा गाढ़कर पत्थर मारे जाएगे और हत्या के आरोपी मुस्लिमो को चौराहे पर फांसी दी जाएगी  । यानि कि शरिया के सारे कानूनों का पालन किया जायेगा । और सभी शरिया मानने वालों के साथ वैसा ही किया जाएगा जैसा सऊदी अरब और लीबिया में किसी अपराध पर किया जाता है ।सारे क्रिमिनल अपने क़ानून से ही मारे जायेगे शरिया से । वो तो बचेंगे ही नही इस देश में  ।*

*बता दे कि मुस्लिम बहुल क्षेत्रो में शराब और सिगरेट व् संगीत समारोह की अनुमति नही दी जाएगी और ना ही कोई भी मुस्लिम बैंक से अपने पैसे का ब्याज ले सकेगा क्यूँ ब्याज लेना भी शरिया के हिसाब से हराम होता है।  मुस्लिम लोगों में दहेज प्रथा पूरी तरह बंद कर दी जाएगी क्यूँकि दहेज लेना और देना दोनो ही शरिया के हिसाब से ग़लत हैं। मतलब ये कि शरिया का पालन पूरी तरह से किया जाएगा ।*

*जबकि हिन्दुओ के लिए ऐसा कोई कानून नही होगा क्यूकि हिन्दू तो भारत के सविधान के अनुसार चलने के लिए अनुमति दे चुके है लेकिन मुस्लिम लोग भारत के संविधान का विरोध कर रहें हैं तो  मुसलमानों के लिए पूरा शरिया ही लागु कर दिया जाएगा ।*

*ये बात सुनकर सभी लोग बुरी तरह से भड़क गये और हामिद को कोसते हुए कहने लगे कि  ये कैसी बात कर रहे  हो हामिद मियां ,ऐसा नही चलेगा यहाँ कोई तालिबानी कानून है क्या…? ऐसे कैसे हो जाएगा

7 मार्च 2017

पूर्व में समस्त दुनियां में सनातन धर्म

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स्वस्तिक अत्यन्त प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति में मंगल-प्रतीक माना जाता रहा है। इसीलिए किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले स्वस्तिक चिह्व अंकित करके उसका पूजन किया जाता है। स्वस्तिक शब्द सु+अस+क से बना है। ‘सु’ का अर्थ अच्छा, ‘अस’ का अर्थ ‘सत्ता’ या ‘अस्तित्व’ और ‘क’ का अर्थ ‘कर्त्ता’ या करने वाले से है। इस प्रकार ‘स्वस्तिक’ शब्द का अर्थ हुआ ‘अच्छा’ या ‘मंगल’ करने वाला।
स्वस्तिक में एक दूसरे को काटती हुई दो सीधी रेखाएँ होती हैं, जो आगे चलकर मुड़ जाती हैं। इसके बाद भी ये रेखाएँ अपने सिरों पर थोड़ी और आगे की तरफ मुड़ी होती हैं।
स्वस्तिक की यह आकृति दो प्रकार की हो सकती है। प्रथम स्वस्तिक, जिसमें रेखाएँ आगे की ओर इंगित करती हुई हमारे दायीं ओर मुड़ती हैं। इसे ‘स्वस्तिक’ (卐) कहते हैं। दूसरी आकृति में रेखाएँ पीछे की ओर संकेत करती हुई हमारे बायीं ओर मुड़ती हैं। इसे ‘वामावर्त स्वस्तिक’ (卍) कहते हैं। जर्मनी के हिटलर के ध्वज में यही ‘वामावर्त स्वस्तिक’ अंकित था।
लेकिन यही स्वास्तिक, यदि हम कहें कि बुल्गारिया में 7000 वर्ष पहले इस्तेमाल होता था, तो आपको आश्चर्य होगा| लेकिन यह सत्य है| उत्तर-पश्चिमी बुल्गारिया के व्त्सार के संग्रहालय मे चल रही एक प्रदर्शनी मे 7000 वर्ष प्राचीन कुछ मिट्टी की कलाकृतियां रखी हई हैं जिसपर स्वास्तिक (卍) का चिन्ह बना है| व्हरात्सा र के ही निकट अल्टीमीर नामक गाँव के एक धार्मिक यज्ञ कुण्ड के खुदाई के समय ये कलाकृतियाँ मिली थी |यह सिद्ध करता है कि पूर्व में समस्त दुनियां में सनातन धर्म ही था |

5 मार्च 2017

हडप्पा सभ्यता से पहले के अवशेष

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सरस्वती नदी के पुनरद्धार के लिए किये जा रहे उत्खन्न कार्य के दौरान जिले में हडप्पाकाल से पूर्व की सभ्यता के अवशेष मिले हैं जो 6000 साल से अधिक पुराने माने जा रहे हैं। नदी के आसपास उत्खन्न कार्य के दौरान मिले अवशेष सर्वाधिक पुराने हो सकते हैं क्योंकि हडप्पा सभ्यता करीब 3500 साल पुरानी है और हडप्पा पूर्व की सभ्यता करीब 5000 से 6000 साल पुरानी है। खुदाई के दौरान जेवर, मनके और हड्डियां मिले हैं तथा पुरातत्व और संग्रहालय विभाग इन्हें एक संग्रहालय में रखेगा।

2 मार्च 2017

भगत सिहं की आखरी इच्छा

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जब अंग्रेज भारत को लूटने के मक़सद से हमारे देश मे आये तो उस समय यानि वर्ष 1857 से पहले उनकी पुलिस नहीं बल्कि  सेना हुआ करती थी ।10 मई 1857 को भारत में अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति हो गई । उस समय  नाना साहब, तात्याँ टोपे, मंगल पांडे भारत के महान क्रांतिकारी थे जो अपने देश के खिलाफ बोलने वाले या किशी भी प्रकार का सडयंत्र रचने वाले को बख्स्ते नही थे।इन् क्रांतिकारियों ने अपने जैसे वीर और निडर देश की खातिर कुर्बान हिने वाले 7 लाख 32 हजार युवको की फ़ौज बनाई थी और 10 मई 1857 को क्रांति करने का दिन चुना था। आपको आस्चर्य होगा आजकल के जैसे स्वचालित हथियार न होने के बाबजूद भी उन्होंने एक ही दिन में 2 लाख 50 हजार अंग्रेजो को काट डाला था ।इतनी बड़ी संख्या मे अपनों को कटता देख बचेखुचे अंग्रेज भाग खड़े हुए ।भारत के क्रांतिवीरों से लड़ाई मे हारने के  लगभग 1 साल बाद अंग्रेजो ने भारत के कुछ गद्दार राजाओ के साथ मिलकर दुबारा भारत मे घुसने की योजना बनाई । उन गद्दारों के वंसज आज भी भारत मे मौज़ूद हैं।जिनमे पटियाला के नवाब भी थे,जिनके वंसज आज कांग्रेस से चुनाव लड़ते है ,  के साथ मिल कर 1857 के भारत के महान क्रांतिकारियों का क़त्ल करवाया और दुबारा भारत में अंग्रेजों को घुसाया और उनको संरक्षण भी प्रदान किया।

अंग्रेज बहुत चालाक थे उन्होंने भारत मे दुबारा घुसने से पहले ही कि हमारे घुसते ही  दुबारा क्रांति ना हो जाये, इससे अपने को सुरक्षित करने के लिए इंडियन पुलिस एक्ट (INDIAN POLICE ACT) और भारत के क्रांतिकारियों  पर अत्याचार करने के लिए 34,735 (चौंतीस हज़ार सात सो पेंतीस) कानून बनाये ।जिसमे की अंग्रेजों की अपनी पुलिस के हाथ में लाठी डंडे और हथियार सौंप दिए गए और वो सब अधिकार दे दिए गए कि वे चाहे तो क्रांतिकारियों  पर जितने चाहे मर्जी डंडे चला सकते है ।साथ ही यह क़ानून भी बना दिया कि यदि क्रांतिकारी ने पुलिश की लाठी पकड़्ने की कोशिश  की  तो उसपर  मुकदमा चलेगा ।
बात उस समय की है की जब इन कानूनों को बढ़ावा देने के लिए साइमन कमीसन भारत आ रहा था और उसका बहिष्कार करने के लिए क्रांतिकारी लाला लाजपत राय जी आन्दोलन कर रहे थे वो शांतिपूर्वक तरीके से आन्दोलन कर रहे थे तभी एक अंग्रेज अधिकारी जिसका नाम जे.पी. सॉन्डर्स था , उसने लाला जी पर लाठियां बरसानी शुरू कर दी और जानबूझकर उसने लाला जी के सर पे लाठियां मारी।  1 लाठी मारी 2 मारी 3 मारी 4 मारी 5, 10 ऐसे करते करते उस दुष्ट ने लाला जी के सिर पर 14 लाठियां मारी जिससे उनका सिर फट गया व खून बहने लगा और बाद में उनकी मृत्यु हो गई । आज की भांती ही देशभक्त अंदर ही अंदर सुलगते रहे पर गलत का विरोध करने की हिम्मत न जुटा सके।
अब कानून के हिसाब से सॉन्डर्स क़ो सज़ा मिलनी चाहिए थी इसलिये सरदार भगत सिहं ने पुलिस में शिकायत दर्ज की। मामला अदालत तक गया वहां भगत सिहं ने सफ़ाई दी कि आपके बनाये कानून के मुताबिक लाठिया कमर के नीचे तक मारी जा सकती  है लेकिन लाला जी के सर पर लाठियां क्यों मारी गयी? जिससे उनकी मौत हुई ।पुलिश भी अंग्रेज़ो की क़ानून भी अंग्रेजों के और जज भी अंग्रेजों के इसलिए अंग्रेजों की अदालत ने उनका तर्क नहीं माना और अदालत ने कहा सॉन्डर्स ने जो किया वो तो कानून में हैं ।उसने कोई कानून नहीं तोड़ा । इसलिये उसको बरी किया जाता है  और सॉन्डर्स बरी हो गया । सरदार तो पक्के देशभक्त थे भगत सिहं को गुस्सा आ गया और उन्होंने कहा कि जिस अंग्रेजी न्याय व्यवस्था ने लाला जी को इन्साफ़ नहीं दिया और सॉन्डर्स को छोड़ दिया, उसको सज़ा मैं दूंगा । मे सॉन्डर्स को वहीं पहुंचाउंगा जहाँ इसने लाला जी को पहुँचाया है । और कुछ दिन बाद भगत सिहं ने सॉन्डर्स को गोली से उड़ा दिया। भारत ऎसे वीरों को आज भी प्रणाम करता है।
जब भगत सिहं को फ़ासीं होने वाली थी तो उससे कुछ दिन पहले वो लाहौर की जेल में बंद थे। तब कुछ पत्रकार उनसे मिलने जाया करते थे। तब एक पत्रकार ने भगत सिहं से पुछा कि  आपका देश के युवको के नाम यदि कोई सन्देश देना हो तो बताईये ? तब भगत सिहं ने कहा की मैं तो फ़ासीं चढ़ रहा हूँ लेकिन देश के नोजवानो को कहना चाहता हूँ जिस इंडियन पुलिस एक्ट अंग्रेजों द्वारा बनाये गए कानून के कारण लाला जी हत्या हुई और जिसके कारण मैं फ़ासीं चढ़ रहा हूँ… देश नोजावानो को कहना चाहता हूँ कि आजादी मिलने से पहले-पहले किसी भी हालत में इस इंडियन पुलिस एक्ट को खत्म करवा देना। यही मेरी आखिरी इच्छा हैं, मेरे देश के प्रति मेरी भावना हैं।
आज़ादी के 67 साल हो गये। बीएस इतना फर्क आया कि गोरे चले गए और काले आ गए लेकिन आज तक किशी ने अंग्रेजों के बनाये कानूनों को बदलने की ज़हमत नही उठाई जिस वजह से आज भी वही कानून चलन मे  हैं देशभक्ति का ढोंग दिखाने वाले राजनीतिज्ञों के लिए इससे शर्म की बात क्या दूसरी हो सकती है ! आजादी के 67सालो  बाद भी इस इंडियन पुलिस एक्ट IPC Act  को खत्म नहीं किया गया है ? आज भी आप अकसर सुनंते हो पुलिस ने लाठी चार्ज किया। कभी अपनी जमीन की माँग कर रहे किशानो के ऊपर और कभी ग़रीब लोगो के उपर जो अपना हक़ मांग रहे हैं। सबसे ताजी घटना तो 4 जून 2011 की काली रात है जहाँ बड़े ही शांतिप्रिय तरीके से स्वामी रामदेव जी विदेशों में जमा काले धन को देश में वापस लाने के लिए और इस भ्रष्ट व्यवस्था में परिवर्तन लाने के लिए अपने सहयोगियों के साथ आन्दोलन कर रहे थे, देल्ही  पुलिस ने रात के लगभग 1 बजे सोते हुए मासूम लोगों पर बच्चों पर महिलाओं पर साधुसंतों पर लाठियां बरसानी शुरू कर दी ।पता नहीं कितने लोगो के हड्डियाँ टुटी और कितने घायल हो गये। इसी घटना में बहन राजबाला जी पुलिस की इस बर्बरता की शिकार हो गई और पुलिस ने उनपर जम कर लाठियां बरसाईं 26 सितम्बर 2011 सोमवार को उनका देहांत हो गया पुलिस की लाठियों का शिकार होकर बहन राजबाला वेंटिलेटर पर थी और उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए क्या यही है हमारा कानून क्या यही न्याय है ! क्यों ऐसा हुआ 04 जून को ये सब इसलिए हुआ की आज भी अंग्रेजों द्वारा बनाये गए कानून का इस्तेमाल ये काले अंग्रेज मासूम लोगों पर कर रहे हैं और आज भी इनके हाथों में लाठियां हैं क्योंकि आज भी 1860 में बनाया गया वह इंडियन पोलिश एक्ट आज वैसा का वैसा ही इस देश में चल रहा है और ये काले अंग्रेज हम पर अन्याय करते हुए न्याय दिखाकर राज कर रहे हैं 
यह क़ानून केवल एक कानून नहीं है ऐसे 34,735 चौंतीस हज़ार सात सो पेंतीस  कानून जो अंग्रेजो ने भारत को लूटने और  गुलाम बनाने की योजना से बनाये थे, दुर्भाग्यवस देश मे आज भी वैसा का वैसा ही चल रहा है। भगत सिहं की आखरी इच्छा आज तक पूरी नहीं हुई है ।पता नहीं हर साल हम किस मुँह से उसका जन्म दिवस मनाते हैं। पता नहीं किस मुँह से 23 मार्च को उनको श्रध्दाजलि अर्पित करते हैं। जिन क्रूर अंग्रेजों द्वारा बनाये गए कानून के कारण लाला जी की जान गयी, जिस कानून के कारण भगत सिहं जैसे देशभक्त  फांसी पर चढे, हम 67 साल बाद भी हम उस कानून को मिटा नहीं पाये।जय हिन्द जय भारत