मेरा भारत महान
world community
16 सितंबर 2018
6 सितंबर 2018
सार्थक प्रयास
ca-pub-668924736906427
पाठको की भारी डिमांड होने के कारण हमारे द्वारा भारत की महान विभूतियों के चरित्र को सामने लाने के उद्देश्य हेतु नई वेबसाइट बनाई है। https://www.santkabir.org नये ओर रोचक ब्लोग पढ़ने के लिए कृपया दिये गये लिंक को क्लिक करें
पाठको की भारी डिमांड होने के कारण हमारे द्वारा भारत की महान विभूतियों के चरित्र को सामने लाने के उद्देश्य हेतु नई वेबसाइट बनाई है। https://www.santkabir.org नये ओर रोचक ब्लोग पढ़ने के लिए कृपया दिये गये लिंक को क्लिक करें
9 जुलाई 2017
अस्तित्व का सवाल
ca-pub-6689247369064277 हम अक्सर बात करते हैं, भारत आतंक से वैसे क्यों नहीं निबट सकता जैसे इजराइल निबटता है? फिर ले दे कर बात इसपर आती है कि हम यहूदियों जैसे नहीं हैं...
पर यहूदी हमेशा ऐसे नहीं थे जैसे आज हैं. यहूदी 1500 सालों तक फिलिस्तीनियों से मार खाकर भागे रहे. अपना एक मुल्क नहीं था. यहूदी पूरी दुनिया में फैला रहा, उसे सिर्फ अपने पैसे कमाने से मतलब रहा. दुनिया की सबसे पढ़ी-लिखी और संपन्न कौम होने के बावजूद यहूदी पूरी दुनिया की घृणा और वितृष्णा का पात्र रहा. और यहूदी भी तब तक नहीं जागे जब तक उनका अस्तित्व खतरे में नहीं आ गया. हिटलर अकेला उन्हें नहीं मार रहा था, पूरा यूरोप उनके मार खाने पर खुश था ।
इंग्लैंड की विदेश नीति में द्वितीय विश्व युद्ध तक यहूदियों के लिए कोई सहानुभूति नहीं थी. आपने अगर लॉरेंस ऑफ़ अरबिया फिल्म देखी हो तो याद होगा...पहले विश्वयुद्ध में अंग्रेजों और अरबों में बहुत याराना था. यह दूसरे विश्वयुद्ध तक चला, और जब दुनिया भर के यहूदी फिलिस्तीन में छुप कर सर्वाइव करने का प्रयास कर रहे थे तब भी सरकारी ब्रिटिश नीति अरबों के पक्ष में थी.
उस समय एक अँगरेज़ फौजी अफसर फिलिस्तीन में इंटेलिजेंस ऑफिसर बन कर आया. नाम था कैप्टेन ऑर्ड विनगेट, विनगेट एक अजीब सी, पर असाधारण शख्सियत था. वह एक इन्फेंट्री जीनियस था. व्यक्तिगत रूप से उसे यहूदियों से बहुत सहानुभूति थी. और सरकारी ब्रिटिश नीति के विरुद्ध जाकर उसने यहूदियों को एकत्र करना और उन्हें लड़ाई के लिए तैयार करना शुरू किया. ज़्वी ब्रेनर और मोशे दयान जैसे भविष्य के इसरायली मिलिट्री लीडर उसके शिष्य बने. विनगेट ने इस्राएलियों को उनकी यह आक्रामक नीति दी...उसके पहले इसरायली कैम्पों में बैठे रक्षात्मक मोर्चे लिए रहते थे. अरब गैंग आते और उनपर हमले करके चले जाते, इसरायली सिर्फ जरूरत भर रक्षात्मक कार्रवाई करते थे.
एक दिन विनगेट ने ज़्वी ब्रेनर से बात करते हुए पूछा - तुम्हें पता है, इन पहाड़ियों के पार जो अरब हैं, वे तुम्हारे खून के प्यासे हैं...एक दिन ये आएंगे और तुम्हारा अस्तित्व मिटा देंगे.....
ब्रेनर ने कहा - वे यह आसानी से नहीं कर पाएंगे...हम बहादुरी से उनका मुकाबला करेंगे...
विनगेट ब्रेनर पर बरस पड़ा - तुम यहूदी भी ना, masochist (आत्मपीड़क) हो...तुम कहते हो - आओ, मुझे मारो...जब तक वह तुम्हारे भाई का क़त्ल नहीं कर दे, तुम्हारी बहन का रेप नहीं कर दे, तुम्हारे माँ-बाप को नाले में नहीं फेंक दे, तुम हाथ नहीं उठाओगे...
तुम लड़ कर जीत सकते हो, पर मैं तुम्हें सिखाऊंगा कि लड़ना कैसे है...
फिर विनगेट ने यहूदियों की टुकड़ियों का कई सैनिक अभियानों में नेतृत्व किया. वह अरब ठिकानों का पता लगाता, उनपर घात लगा कर हमला करता, उन्हें बेरहमी से मार डालता और कई बार अरबों की लाशें लॉरी में लादकर फिलिस्तीनी पुलिस स्टेशन के सामने फेंक आता...
विनगेट ने यहूदियों की मिलिट्री स्ट्रेटेजी ही नहीं, उनकी मानसिक अवस्था बदल दी. उन्हें रक्षात्मक से आक्रामक बनाया...इजराइल को मोशे दयान जैसे जनरल तैयार करके दिए...विनगेट अकेला एक ऐसा गैर-यहूदी है जिसकी मूर्ति इजराइल में लगाई गई है...
देश की मनस्थिति भी नेता निर्धारित करता है. इसी लिए उसे नेता कहते हैं. एक नेता का अपना कॉन्फिडेंस पूरे देश को छूत की तरह लग जाता है. हम इजराइल जैसे नहीं हैं, हमसे नहीं होगा...यह बहाना काफी नहीं है. नेता को निर्धारित करना होता है कि हमें बनना कैसा है, फिर वह हमें नियत दिशा में लेकर चलता है...और भेंड़ बना यहूदियों का झुण्ड इजराइल बन कर शेर की तरह रहना सीख लेता है...तो हम तो भरत वंशी हैं जिनका बचपन ही सिंह शावकों के साथ बीता था
पर यहूदी हमेशा ऐसे नहीं थे जैसे आज हैं. यहूदी 1500 सालों तक फिलिस्तीनियों से मार खाकर भागे रहे. अपना एक मुल्क नहीं था. यहूदी पूरी दुनिया में फैला रहा, उसे सिर्फ अपने पैसे कमाने से मतलब रहा. दुनिया की सबसे पढ़ी-लिखी और संपन्न कौम होने के बावजूद यहूदी पूरी दुनिया की घृणा और वितृष्णा का पात्र रहा. और यहूदी भी तब तक नहीं जागे जब तक उनका अस्तित्व खतरे में नहीं आ गया. हिटलर अकेला उन्हें नहीं मार रहा था, पूरा यूरोप उनके मार खाने पर खुश था ।
इंग्लैंड की विदेश नीति में द्वितीय विश्व युद्ध तक यहूदियों के लिए कोई सहानुभूति नहीं थी. आपने अगर लॉरेंस ऑफ़ अरबिया फिल्म देखी हो तो याद होगा...पहले विश्वयुद्ध में अंग्रेजों और अरबों में बहुत याराना था. यह दूसरे विश्वयुद्ध तक चला, और जब दुनिया भर के यहूदी फिलिस्तीन में छुप कर सर्वाइव करने का प्रयास कर रहे थे तब भी सरकारी ब्रिटिश नीति अरबों के पक्ष में थी.
उस समय एक अँगरेज़ फौजी अफसर फिलिस्तीन में इंटेलिजेंस ऑफिसर बन कर आया. नाम था कैप्टेन ऑर्ड विनगेट, विनगेट एक अजीब सी, पर असाधारण शख्सियत था. वह एक इन्फेंट्री जीनियस था. व्यक्तिगत रूप से उसे यहूदियों से बहुत सहानुभूति थी. और सरकारी ब्रिटिश नीति के विरुद्ध जाकर उसने यहूदियों को एकत्र करना और उन्हें लड़ाई के लिए तैयार करना शुरू किया. ज़्वी ब्रेनर और मोशे दयान जैसे भविष्य के इसरायली मिलिट्री लीडर उसके शिष्य बने. विनगेट ने इस्राएलियों को उनकी यह आक्रामक नीति दी...उसके पहले इसरायली कैम्पों में बैठे रक्षात्मक मोर्चे लिए रहते थे. अरब गैंग आते और उनपर हमले करके चले जाते, इसरायली सिर्फ जरूरत भर रक्षात्मक कार्रवाई करते थे.
एक दिन विनगेट ने ज़्वी ब्रेनर से बात करते हुए पूछा - तुम्हें पता है, इन पहाड़ियों के पार जो अरब हैं, वे तुम्हारे खून के प्यासे हैं...एक दिन ये आएंगे और तुम्हारा अस्तित्व मिटा देंगे.....
ब्रेनर ने कहा - वे यह आसानी से नहीं कर पाएंगे...हम बहादुरी से उनका मुकाबला करेंगे...
विनगेट ब्रेनर पर बरस पड़ा - तुम यहूदी भी ना, masochist (आत्मपीड़क) हो...तुम कहते हो - आओ, मुझे मारो...जब तक वह तुम्हारे भाई का क़त्ल नहीं कर दे, तुम्हारी बहन का रेप नहीं कर दे, तुम्हारे माँ-बाप को नाले में नहीं फेंक दे, तुम हाथ नहीं उठाओगे...
तुम लड़ कर जीत सकते हो, पर मैं तुम्हें सिखाऊंगा कि लड़ना कैसे है...
फिर विनगेट ने यहूदियों की टुकड़ियों का कई सैनिक अभियानों में नेतृत्व किया. वह अरब ठिकानों का पता लगाता, उनपर घात लगा कर हमला करता, उन्हें बेरहमी से मार डालता और कई बार अरबों की लाशें लॉरी में लादकर फिलिस्तीनी पुलिस स्टेशन के सामने फेंक आता...
विनगेट ने यहूदियों की मिलिट्री स्ट्रेटेजी ही नहीं, उनकी मानसिक अवस्था बदल दी. उन्हें रक्षात्मक से आक्रामक बनाया...इजराइल को मोशे दयान जैसे जनरल तैयार करके दिए...विनगेट अकेला एक ऐसा गैर-यहूदी है जिसकी मूर्ति इजराइल में लगाई गई है...
देश की मनस्थिति भी नेता निर्धारित करता है. इसी लिए उसे नेता कहते हैं. एक नेता का अपना कॉन्फिडेंस पूरे देश को छूत की तरह लग जाता है. हम इजराइल जैसे नहीं हैं, हमसे नहीं होगा...यह बहाना काफी नहीं है. नेता को निर्धारित करना होता है कि हमें बनना कैसा है, फिर वह हमें नियत दिशा में लेकर चलता है...और भेंड़ बना यहूदियों का झुण्ड इजराइल बन कर शेर की तरह रहना सीख लेता है...तो हम तो भरत वंशी हैं जिनका बचपन ही सिंह शावकों के साथ बीता था
20 जून 2017
शाहजहां का प्यार
ca-pub-6689247369064277. इतिहासकार वी.स्मिथ ने लिखा है, ''शाहजहाँ के हरम में 8000 रखैलें थीं जो उसे उसके पिता जहाँगीर से विरासत में मिली थी। उसने बाप की सम्पत्ति को और बढ़ाया। उसने हरम की महिलाओं की व्यापक छाँट की तथा बुढ़ियाओं को भगा कर और अन्य हिन्दू परिवारों से बलात लाकर हरम को बढ़ाता ही रहा।'' (अकबर दी ग्रेट मुगल : वी स्मिथ, पृष्ठ 359)
कहते हैं कि उन्हीं भगायी गयी महिलाओं से दिल्ली का रेडलाइट एरिया जी.बी. रोड गुलजार हुआ था और वहाँ इस धंधे की शुरूआत हुई थी। जबरन अगवा की हुई हिन्दू महिलाओं की यौन-गुलामी और यौन व्यापार को शाहजहाँ प्रश्रय देता था, और अक्सर अपने मंत्रियों और सम्बन्धियों को पुरस्कार स्वरूप अनेकों हिन्दू महिलाओं को उपहार में दिया करता था।
यह नर पशु, यौनाचार के प्रति इतना आकर्षित और उत्साही था, कि हिन्दू महिलाओं का मीना बाजार लगाया करता था, यहाँ तक कि अपने महल में भी। सुप्रसिद्ध यूरोपीय यात्री फ्रांकोइस बर्नियर ने इस विषय में टिप्पणी की थी कि, ''महल में बार-बार लगने वाले मीना बाजार, जहाँ अगवा कर लाई हुई सैकड़ों हिन्दू महिलाओं का, क्रय-विक्रय हुआ करता था, राज्य द्वारा बड़ी संख्या में नाचने वाली लड़कियों की व्यवस्था, और नपुसंक बनाये गये सैकड़ों लड़कों की हरमों में उपस्थिती, शाहजहाँ की अनंत वासना के समाधान के लिए ही थी। (टे्रविल्स इन दी मुगल ऐम्पायर- फ्रान्कोइस बर्नियर :पुनः लिखित वी. स्मिथ, ऑक्सफोर्ड, 1934)
शाहजहाँ को प्रेम की मिसाल के रूप पेश किया जाता रहा है और किया भी क्यों न जाए , आठ हजार औरतों को अपने हरम में रखने वाला अगर किसी एक में ज्यादा रुचि दिखाए तो वो उसका प्यार ही कहा जाएगा। आप यह जानकर हैरान हो जायेंगे कि मुमताज का नाम मुमताज महल था ही नहीं बल्कि उसका असली नाम "अर्जुमंद-बानो-बेगम" था। और तो और जिस शाहजहाँ और मुमताज के प्यार की इतनी डींगे हांकी जाती है वो शाहजहाँ की ना तो पहली पत्नी थी ना ही आखिरी ।
मुमताज शाहजहाँ की सात बीबियों में चौथी थी । इसका मतलब है कि शाहजहाँ ने मुमताज से पहले 3 शादियाँ कर रखी थी और, मुमताज से शादी करने के बाद भी उसका मन नहीं भरा तथा उसके बाद भी उस ने 3 शादियाँ और की यहाँ तक कि मुमताज के मरने के एक हफ्ते के अन्दर ही उसकी बहन फरजाना से शादी कर ली थी। जिसे उसने रखैल बना कर रखा था जिससे शादी करने से पहले ही शाहजहाँ को एक बेटा भी था। अगर शाहजहाँ को मुमताज से इतना ही प्यार था तो मुमताज से शादी के बाद भी शाहजहाँ ने 3 और शादियाँ क्यों की?
शाहजहाँ की सातों बीबियों में सबसे सुन्दर मुमताज नहीं बल्कि इशरत बानो थी जो कि उसकी पहली पत्नी थी । शाहजहाँ से शादी करते समय मुमताज कोई कुंवारी लड़की नहीं थी बल्कि वो भी शादीशुदा थी और उसका पति शाहजहाँ की सेना में सूबेदार था जिसका नाम "शेर अफगान खान" था। शाहजहाँ ने शेर अफगान खान की हत्या कर मुमताज से शादी की थी।
गौर करने लायक बात यह भी है कि 38 वर्षीय मुमताज की मौत कोई बीमारी या एक्सीडेंट से नहीं बल्कि चौदहवें बच्चे को जन्म देने के दौरान अत्यधिक कमजोरी के कारण हुई थी। यानी शाहजहाँ ने उसे बच्चे पैदा करने की मशीन ही नहीं बल्कि फैक्ट्री बनाकर मार डाला था।
कहते हैं कि उन्हीं भगायी गयी महिलाओं से दिल्ली का रेडलाइट एरिया जी.बी. रोड गुलजार हुआ था और वहाँ इस धंधे की शुरूआत हुई थी। जबरन अगवा की हुई हिन्दू महिलाओं की यौन-गुलामी और यौन व्यापार को शाहजहाँ प्रश्रय देता था, और अक्सर अपने मंत्रियों और सम्बन्धियों को पुरस्कार स्वरूप अनेकों हिन्दू महिलाओं को उपहार में दिया करता था।
यह नर पशु, यौनाचार के प्रति इतना आकर्षित और उत्साही था, कि हिन्दू महिलाओं का मीना बाजार लगाया करता था, यहाँ तक कि अपने महल में भी। सुप्रसिद्ध यूरोपीय यात्री फ्रांकोइस बर्नियर ने इस विषय में टिप्पणी की थी कि, ''महल में बार-बार लगने वाले मीना बाजार, जहाँ अगवा कर लाई हुई सैकड़ों हिन्दू महिलाओं का, क्रय-विक्रय हुआ करता था, राज्य द्वारा बड़ी संख्या में नाचने वाली लड़कियों की व्यवस्था, और नपुसंक बनाये गये सैकड़ों लड़कों की हरमों में उपस्थिती, शाहजहाँ की अनंत वासना के समाधान के लिए ही थी। (टे्रविल्स इन दी मुगल ऐम्पायर- फ्रान्कोइस बर्नियर :पुनः लिखित वी. स्मिथ, ऑक्सफोर्ड, 1934)
शाहजहाँ को प्रेम की मिसाल के रूप पेश किया जाता रहा है और किया भी क्यों न जाए , आठ हजार औरतों को अपने हरम में रखने वाला अगर किसी एक में ज्यादा रुचि दिखाए तो वो उसका प्यार ही कहा जाएगा। आप यह जानकर हैरान हो जायेंगे कि मुमताज का नाम मुमताज महल था ही नहीं बल्कि उसका असली नाम "अर्जुमंद-बानो-बेगम" था। और तो और जिस शाहजहाँ और मुमताज के प्यार की इतनी डींगे हांकी जाती है वो शाहजहाँ की ना तो पहली पत्नी थी ना ही आखिरी ।
मुमताज शाहजहाँ की सात बीबियों में चौथी थी । इसका मतलब है कि शाहजहाँ ने मुमताज से पहले 3 शादियाँ कर रखी थी और, मुमताज से शादी करने के बाद भी उसका मन नहीं भरा तथा उसके बाद भी उस ने 3 शादियाँ और की यहाँ तक कि मुमताज के मरने के एक हफ्ते के अन्दर ही उसकी बहन फरजाना से शादी कर ली थी। जिसे उसने रखैल बना कर रखा था जिससे शादी करने से पहले ही शाहजहाँ को एक बेटा भी था। अगर शाहजहाँ को मुमताज से इतना ही प्यार था तो मुमताज से शादी के बाद भी शाहजहाँ ने 3 और शादियाँ क्यों की?
शाहजहाँ की सातों बीबियों में सबसे सुन्दर मुमताज नहीं बल्कि इशरत बानो थी जो कि उसकी पहली पत्नी थी । शाहजहाँ से शादी करते समय मुमताज कोई कुंवारी लड़की नहीं थी बल्कि वो भी शादीशुदा थी और उसका पति शाहजहाँ की सेना में सूबेदार था जिसका नाम "शेर अफगान खान" था। शाहजहाँ ने शेर अफगान खान की हत्या कर मुमताज से शादी की थी।
गौर करने लायक बात यह भी है कि 38 वर्षीय मुमताज की मौत कोई बीमारी या एक्सीडेंट से नहीं बल्कि चौदहवें बच्चे को जन्म देने के दौरान अत्यधिक कमजोरी के कारण हुई थी। यानी शाहजहाँ ने उसे बच्चे पैदा करने की मशीन ही नहीं बल्कि फैक्ट्री बनाकर मार डाला था।
13 जून 2017
Nation first
ca-pub-6689247369064277
Few months after 26/11, Taj group of Hotels owned by TATAs
launched their biggest tender ever for remodeling all their Hotels
in India and abroad. Some of the companies who applied for that tender were also Pakistanis. To make their bid stronger, two big industrialists from Pakistan visited Bombay House ( Head office of Tata ) in Mumbai without an appointment to meet up with Ratan Tata since he was not giving them any prior appointment. They were made to sit at the reception of Bombay house and after a few hours a message was conveyed to them that Ratan Tata
is busy and can not meet anyone without an appointment.
Frustrated, these two Paki industrialists went to Delhi and thru their High Commission met up with a Minister. The minister Anand Sharma immediately called up Ratan Tata requesting him to meet up with the two Paki
Industrialists and consider their tender "enthusiastically ". Ratan Tata replied..."you could be shameless, I am not" and put the
phone down. Few months later when Pakistani government placed an order of Tata Sumo's to be imported into Pakistan, Ratan Tata refused to ship a single vehicle to that country. This is the respect and love for motherland that Ratan Tata has. Something that our current Politicians should learn from. Hats off to you sir..
Awake Country men, the Nation is above everything else.
Few months after 26/11, Taj group of Hotels owned by TATAs
launched their biggest tender ever for remodeling all their Hotels
in India and abroad. Some of the companies who applied for that tender were also Pakistanis. To make their bid stronger, two big industrialists from Pakistan visited Bombay House ( Head office of Tata ) in Mumbai without an appointment to meet up with Ratan Tata since he was not giving them any prior appointment. They were made to sit at the reception of Bombay house and after a few hours a message was conveyed to them that Ratan Tata
is busy and can not meet anyone without an appointment.
Frustrated, these two Paki industrialists went to Delhi and thru their High Commission met up with a Minister. The minister Anand Sharma immediately called up Ratan Tata requesting him to meet up with the two Paki
Industrialists and consider their tender "enthusiastically ". Ratan Tata replied..."you could be shameless, I am not" and put the
phone down. Few months later when Pakistani government placed an order of Tata Sumo's to be imported into Pakistan, Ratan Tata refused to ship a single vehicle to that country. This is the respect and love for motherland that Ratan Tata has. Something that our current Politicians should learn from. Hats off to you sir..
Awake Country men, the Nation is above everything else.
6 जून 2017
संत
ca-pub-6689247369064277 एक बार एक बकरवाल जंगल मे बकरीया चरा रहा था तभी उसने जंगल के शेर के बच्चे को देखा ।वह उसको उठाकर घर ले आया और बकरियो के साथ पालने लगा।जंगल के शेर का बच्चा अब बडा भी हो गया और वह बकरियो के साथ खेलने भी लगा। बकरवाल जैसे बकरियो को डंडा मारता था उसे भी मारता था ।एक दिन जंगल के बडे शेर ने बकरवाल वाले शेर को बकरियो के साथ घूमते देखा तो उसको बडा आशचर्य हुआ कि यह बकरियो के बीच क्या कर रहा है ? जंगल के शेर ने उसे अपने पास बुलाया और कहा कि तू अपनी बिरादरी का होकर वहां बकरियो के बीच क्या कर रहा है? यहां आ और चल मेरे साथ , तो बकरवाल वाला शेर बोला नहीं!!! मै शेर नहीं बकरी हू ,तू मुझे खा जायेगा।जंगल के शेर ने कहा भाई तू बकरी नहीं शेर है और तू बकरियो के साथ घास भी खा रहा है और ये बकरी की तरह क्यौ मिमिया रहा है ? देख तेरे बाल भी मेरे जैसे है और नाखून भी, तू मेरा जैसा ही है
बकरवाल वाले शेर ने अपने को देखा और सोचा ये सही कह रहा है जंगल के शेर ने उसे पोखर मै ले जाकर उसको उसकी शकल दिखायी और कहा देख तू दिखता भी मेरे जैसा है ।उसने सोचा हाँ मै तो सच मै शेर हूं, जंगल के शेर ने उसको दहाडना सिखाया और कहा अब जा और बकरवाल को दिखा अपना जलवा।वह गया और दहाडा और अपना रौद रुप दिखाया बकरिया भी भग गयी और बकरवाल भी। कहने का आशय यह है कि यह परमातमा रूपी शेर का बच्चा यह आत्मा मन रुपी भेडिये के हाथ आ गयी है और इनद्रियौ रूपी बकरियौ के साथ यह विषय रुपी घास खा रही है और संत रूपी शेर आकर उसे बताते है कि अरे तू क्या कर रहा है....
बकरवाल वाले शेर ने अपने को देखा और सोचा ये सही कह रहा है जंगल के शेर ने उसे पोखर मै ले जाकर उसको उसकी शकल दिखायी और कहा देख तू दिखता भी मेरे जैसा है ।उसने सोचा हाँ मै तो सच मै शेर हूं, जंगल के शेर ने उसको दहाडना सिखाया और कहा अब जा और बकरवाल को दिखा अपना जलवा।वह गया और दहाडा और अपना रौद रुप दिखाया बकरिया भी भग गयी और बकरवाल भी। कहने का आशय यह है कि यह परमातमा रूपी शेर का बच्चा यह आत्मा मन रुपी भेडिये के हाथ आ गयी है और इनद्रियौ रूपी बकरियौ के साथ यह विषय रुपी घास खा रही है और संत रूपी शेर आकर उसे बताते है कि अरे तू क्या कर रहा है....
3 जून 2017
Character is a complex phenomenon.
ca-pub-6689247369064277 Can u judge who is the better person out of these 3 ?
Mr A - He had friendship with bad politicians, consults astrologers, two wives, chain smoker, drinks eight to 10 times a day.
Mr B - He was kicked out of office twice, sleeps till noon, used opium in college & drinks whiskey every evening.
Mr C - He is a decorated war hero, a vegetarian, doesn't smoke, doesn't drink and never cheated on his wife.
You would say Mr.C
right?
But..
Mr. A was Franklin Roosevelt! ( 32nd President of the USA)
Mr. B was Winston Churchill!! (Former British Prime Minister)
Mr C Was ADOLF HITLER!!!
Strange but true..
Its risky to judge anyone by his habits !
Character is a complex phenomenon.
So every person in ur life is important, don't judge them, accept them.
..The same Boiling Water that hardens the egg, Will Soften the Potato!
It depends upon Individual's reaction To stressful circumstances!
Enjoy the journey
Mr A - He had friendship with bad politicians, consults astrologers, two wives, chain smoker, drinks eight to 10 times a day.
Mr B - He was kicked out of office twice, sleeps till noon, used opium in college & drinks whiskey every evening.
Mr C - He is a decorated war hero, a vegetarian, doesn't smoke, doesn't drink and never cheated on his wife.
You would say Mr.C
right?
But..
Mr. A was Franklin Roosevelt! ( 32nd President of the USA)
Mr. B was Winston Churchill!! (Former British Prime Minister)
Mr C Was ADOLF HITLER!!!
Strange but true..
Its risky to judge anyone by his habits !
Character is a complex phenomenon.
So every person in ur life is important, don't judge them, accept them.
..The same Boiling Water that hardens the egg, Will Soften the Potato!
It depends upon Individual's reaction To stressful circumstances!
Enjoy the journey
सदस्यता लें
संदेश (Atom)