6 जून 2017

संत

ca-pub-6689247369064277    एक बार एक बकरवाल जंगल मे बकरीया चरा रहा था तभी उसने जंगल के शेर के बच्चे को देखा ।वह उसको उठाकर घर ले आया और बकरियो के साथ पालने लगा।जंगल के शेर का बच्चा अब बडा भी हो गया और  वह बकरियो के साथ खेलने भी लगा। बकरवाल जैसे बकरियो को डंडा मारता था उसे भी मारता था ।एक दिन जंगल के बडे शेर ने बकरवाल वाले शेर को बकरियो के साथ घूमते देखा तो उसको बडा आशचर्य हुआ कि यह बकरियो के बीच क्या कर रहा है ? जंगल के शेर ने उसे अपने पास बुलाया और कहा कि तू अपनी  बिरादरी का होकर वहां बकरियो के बीच क्या कर रहा है? यहां आ और चल मेरे साथ , तो बकरवाल वाला शेर बोला नहीं!!! मै शेर नहीं बकरी हू ,तू मुझे खा जायेगा।जंगल के शेर ने कहा भाई तू बकरी नहीं शेर है और तू बकरियो के साथ घास भी खा रहा है और ये बकरी की तरह  क्यौ मिमिया रहा है ? देख तेरे बाल भी मेरे जैसे है और नाखून भी,   तू मेरा जैसा ही है
 बकरवाल वाले शेर ने अपने को देखा और सोचा ये सही कह रहा है जंगल के शेर ने उसे पोखर मै ले जाकर उसको उसकी शकल दिखायी और कहा देख तू दिखता भी मेरे जैसा है ।उसने सोचा हाँ मै तो सच मै शेर हूं, जंगल के शेर ने उसको दहाडना सिखाया और कहा अब जा और बकरवाल को दिखा अपना जलवा।वह गया और दहाडा और अपना रौद रुप दिखाया बकरिया भी भग गयी और बकरवाल भी। कहने का आशय यह है कि यह परमातमा रूपी शेर का बच्चा यह आत्मा मन रुपी भेडिये के हाथ आ गयी है और इनद्रियौ रूपी बकरियौ के साथ यह विषय रुपी घास खा रही है और संत रूपी शेर आकर उसे बताते है कि अरे तू क्या कर रहा है....

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