श्रीलंका में रामायण की निशानियों की तलाश पहली बार नहीं की गई है लेकिन इतना जरूर है कि आपको पहली बार एक ऐसी बात सुनने को मिल रही है जिसकी तलाश सूत्रों को सात साल लग गए, एक महीने तक श्रीलंका के जंगलों में भटकना पड़ा और हजारों किलोमीटर का सफर करना पड़ा। लेकिन ये कोशिश कामयाब रही क्योंकि एक ऐसी शख्सियत जिसे श्रीलंका में शूर्पणखा का नाम दिया गया जिसकी शक्तियों को श्रीलंकाई सरकार भी मानती है, जिसे श्रीलंका में वीवीआईपी का दर्जा दिया गया है।
ये तलाश थी रामायण की, राम कथाओं की, खुद भगवान श्रीराम के सच्चे निशानों की। लेकिन उन कथाओं का एक किरदार ऐसा भी था जिसका एक सिरा जुड़ा है त्रेता युग से और दूसरा वर्तमान से, जिसका नाम है शूर्पणखा। जिसे अबतक हमने रामायण की कहानियों में देखा था। लेकिन कौन यकीन करेगा, कि श्रीलंका में आज भी शूर्पणखा के जिंदा होने का दावा होता है, जिसे श्रीलंका के लोग राजकुमारी मानते हैं।
ये कैसे हो सकता है कि शूर्पणखा आज भी जिंदा हो? ये कैसे मुमकिन है, कि हजारों साल बाद भी रामायण का एक किरदार मौजूद हो? विज्ञान और तर्कशास्त्र इसकी इजाजत नहीं देते लेकिन सच और झूठ का फैसला जो भी हो सत्य ज़्यादा दिनों तक छुपता नही है ये भी सत्य है श्रीलंका में रामायण की निशानियों को खोजने वाले शोध के सूत्रधार शोक कांथ जो श्रीलंका में कई बरसों से रामायण पर रिसर्च कर रहे हैं।
घर के एक कमरे में दर्जनों लोग जुटे थे और कमरे के मौजूद एक सिंहासन पर विराजमान थीं लंका की राजकुमारी। लंबे नाखून, कटे हुए कान और नाक पर चोट का निशान, उनके सामने एक ऐसी कहानी थी जिस पर यकीन के लिए न उनका दिल गवाही दे रहा था न दिमाग। शूर्पणखा के दरबार में मौजूद दर्जनों लोग अपनी फरियाद लेकर आए थे क्योंकि वहाँ पहले से ही ऐसा ही दरबार सजता है और शूर्पणखा अपनी शक्तियों से लोगों का इलाज कर देती हैं।
इन बातों पर यकीन करना बड़ा मुश्किल पर ये सुनकर हैरानी हुई, कि वो राजकुमारी इस घर में कुछ नहीं बोलतीं। उनकी शक्तियां, उनकी ताकत उनकी पहचान को समझने के लिए कोलंबो से करीब 200 किलोमीटर एक रहस्यमयी गांव महियांग्ना जाना होगा।
आखिर ये कैसे हो सकता है कि शूर्पणखा आज भी जिंदा हो? ये कैसे हो सकता है कि किसी के पास कुछ ऐसी शक्तियों हों, कि वो जब चाहे बारिश रोक दे, जब चाहे बारिश करवा दे? इस कहानी की तलाश करते वक्त जेहन में भी कुछ वही सवाल थे, जो इस वक्त आपके दिमाग में होंगे, लेकिन फिर अगर ये सबकुछ एक धोखा है, तो फिर श्रीलंकाई सरकार भी इसपर विश्वास क्यों कर रही है? उसके चेहरे को कैमरे में कैद कर श्रीलंका की सरकार से उन्हीं की जुबान से उनकी कहानी सुनना चाहते थे, लेकिन इसके लिए पहले जाना जरूरी था श्रीलंका के बीचोंबीच एक रहस्यमयी इलाके, महियांग्ना में।
महियांग्ना पहुंचते ही कुछ ही देर बाद दिन की रोशनी में उस राजकुमारी की पहली झलक दिखाई देती है।
उनकी कद-काठी, उनकी चाल-ढाल, उनकी शक्ल-सूरत देखकर सूत्रों की कलम के अनुसार ऐसा लगा कहीं ये सबकुछ कोई धोखा तो नहीं, कहीं ऐसा तो नहीं कि खुद के शूर्पणखा होने का दावा सिर्फ मशहूर होने के लिए किया गया।
लेकिन गंगा सुदर्शनी यानी शूर्पणखा के घर पहुंचकर ये सबकुछ एक बहुत बड़ी पहेली बन गया, घर में तमाम तस्वीरें मौजूद थीं, कुछ ऐसी तस्वीरें जिनकी श्रीलंका के राष्ट्रपति थे बड़े बड़े राजनेता थे,नामी-गिरामी क्रिकेटर थे।
जानकारी जुटाई, तो पता लगा कि ये सबकुछ सिर्फ एक दावा नहीं है बल्कि उन दावों पर श्रीलंकाई सरकार की मुहर भी है मतलब ये कि खुद श्रीलंकाई सरकार भी उन्हें रावण की वंशज मानती है, लंका की राजकुमारी मानती है।
सूत्र गंगा सुदर्शनी से बातचीत करना चाहते थे, उनकी शक्तियों के सबूत को कैमरे में कैद करना चाहते थे, लेकिन इंटरव्यू का वक्त तय हुआ, और तभी तेज बारिश शुरु गई। गंगा सुदर्शनी यानी शूर्पणखा ने दावा किया, कि इंटरव्यू वक्त पर ही होगा क्योंकि वो अपनी शक्तियों से बारिश को रोक देंगी।
हाथों में एक दीपक लिए वो राजकुमारी बाहर निकलीं उन्होंने कुछ मंत्र पढ़ने शुरु किए और अचानक बारिश वाकई थम गई। राजकुमारी के लिए एक खास छतरी मंगवाई गई ऐसा लगा जैसे तेज बारिश इस पूजा को रोक देगी लेकिन एक बार फिर उस राजकुमारी ने अपने शक्तियों के इस्तेमाल का दावा किया और बादलों का गरजना वाकई बंद हो गया।
श्रीलंका में शूर्पणखा की पूजा होती है। लोग शूर्पणखा को लंका की राजकुमारी मानते हैं लेकिन ये सबकुछ एक पहेली के समान था जिसे सुलझाने का सिर्फ एक तरीका था, कि खुद गंगा सुदर्शनी से उनका सच पूछें।
श्रीलंका के धर्मगुरुओं से उनका रहस्य समझें और सूत्रों ने वही किया। महियांग्ना के जंगलों के बीच एक बड़े से बंगले में गंगा सुदर्शनी यानी श्रीलंका की शूर्पणखा से मुलाकात हुई। लंबे नाखून, कुछ वैसे ही जैसे शूर्पणखा के थे, कुछ अजीब से कान जिनके बारे मे ये दावा किया गया कि उन्हें रामायण काल में लक्ष्मण ने ही काटा था। और उनकी नाक पर जख्म का एक छोटा निशान भी था।
कहा जाता है कि गंगा सुदर्शनी का ये रंग रूप जन्म के वक्त से ही है और सिर्फ तीन बरस की उम्र में भूत और भविष्य को देखने की शक्ति हासिल हो गई थी। तीन साल की उम्र से ही वो ये दावा करने लगीं थीं कि उनका नाम शूर्पणखा है और वो बिना पढ़े ही रामायण के किस्से सुनाने लगी थीं।
गंगा सुदर्शनी ने कहा कि मैं संसार में किसी चीज से नहीं डरती । मुझे पूरा विश्वास है कि मैं ही शूर्पणखा हूं, लेकिन मैं हर वक्त अपनी शक्तियों का प्रदर्शन नहीं कर सकती क्योंकि आम लोग इसे नहीं समझ पाएंगे, मैं ही रावण की इकलौती बहन हूं।
गंगा सुदर्शनी ने बताया कि श्रीलंका में आज भी रावण के वंशज मौजूद हैं और वही उनकी प्रजा हैं। जिनको श्रीलंका में रावण के परिवार का वंशज माना जाता है।
नायक तुंबा, आदिवासियों के नेता से सूत्रों ने जब पूछा गया कि ये लोग शूर्पणखा ही इतनी इज्जत क्यों करते हैं तो नायक तुंबा ने कहा कि 10 साल पहले जब उन्होंने पहली बार इनका चेहरा तो हैरानी हुई, पर वे देखते ही समझ गए कि ये रावण की बहन शूर्पणखा हैं और ये कोई आम महिला नहीं हैं, इनके पास वाकई कुछ ऐसी शक्तियां हैं जो आम इंसानों में नहीं होतीं, हमारे लिए यही हमारी राजकुमारी हैं।
हिन्दुस्तान में बेशक शूर्पणखा की कहानी सिर्फ किताबों किस्से में बची हो लेकिन श्रीलंका की धरती पर, वो कहानियां आज भी जिंदा हैं। श्रीलंका के धर्मगुरु, श्रीलंका की सरकार, श्रीलंका के संसद हर तरफ सिर्फ यही दावा है कि रावण की वो बहन आज भी है,
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