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यदि आप पूरा स्वतंत्रता संग्राम पढ़ेंगे तो आपको पता चल जायेगा ...
1- मोहनदास गाँधी को कभी भी अंग्रेजों ने लम्बे समय तक जेल में नहीं रखा ..और उन्हें जेल के बजाय पूना में आगा खान के आलिशान महल में "कैद" किया जाता था ..जबकि उस महल में सारी सुख सुविधाए थी।
२- जो अंग्रेज वीर सावरकर को काला पानी देकर अंडमान की जेल में ...बाल गंगाधर तिलक को म्यांमार की मांडले
जेल में कैद करते थे वो अंग्रेज हमेशा गाँधी पर मेहरबान क्यों रहे ?
३- अंग्रेजो ने हजारो सेनानियों को फांसी पर लटका दिया था ..लाला लाजपत राय की लाठियों से पीट पीटकर मार डाला... उन्ही अंग्रेजो ने गाँधी को कभी एक थप्पड़ तक क्यों नही मारा ?
४- भारत छोड़ो आन्दोलन जब अपने चरम परथा.....लोग अग्रेजो के खिलाफ संगठित होकर विद्रोह करने लगे थे ..तब अचानक गाँधी ने चौरीचौरा कांड का बहाना बनाकर आन्दोलन को वापस क्यों ले लिया ??
५- नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने जब सशस्त्र हमला किया तब गाँधी ने लोगो को नेताजी के आदोलन में शामिल न होने के लिए अपील क्यों किया ?
६- जब नेताजी सुभाषचंद्र बोस बहुमत से कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव जीते और उनके प्रतिद्वंदी पट्टाभिसीतारमैया को सिर्फ दो वोट मिला थे ... तब लोकतंत्र का सम्मान करते हुए गाँधी ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को कांग्रेस अध्यक्ष क्यों नही बनने दिया ? क्यों बयानबाजी करने लगे कि पट्टाभिसीतारमैया की हार मेरी हार है और अब मेरा कांग्रेस में रहना असम्भव है ?
गाँधी ने नेताजी को इमोशनल ब्लेकमेल करके त्यागपत्र देने पर विवश कर दिया था ...मित्रो ... ऐसे एक दो नहीं बल्कि सैकड़ो उदाहरण है जो प्रमाणित करते है कि मोहनदास गाँधी ने हमेशा अंग्रेजों का हित सिद्ध किया था, उनके कारण ही भारत को इतनी देर से और खण्डित आज़ादी मिली।
लार्ड इरविन पैक्ट की आड़ में गांधी एवं अंग्रेजों के बीच अघोषित समझौता हुआ था कि सत्ता कांग्रेस को सौंपी जायेगी अन्यथा क्रांतिकारियों के बल पर आजादी मिलती तो एक भी अंग्रेज जीवित वापस नहीं जा पाते। गांधी ने सहमति जताई थी कि सुभाष, सावरकर एवं अन्य क्रांतिकारियों का विरोध किया जायेगा,,, उनके आंदोलन को कुंद कर दिया जायेगा।
जिन्हें चरखे पर मिली आजादी, उन्हें गांधी नेहरू याद रहा। आजादी के परवानों को सदा, नेताजी सुभाष भगत सिंह याद रहा।
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