ca-pub-6689247369064277 मित्रों हमारे देश में ISI के एजेंटो का मिलना आम हो गया है ओर अब तो ISIS जैसे मानवता के शत्रु आतंकी संगठन के रिक्रूटर भी मिलने लगे हैं | हमे किसी भी समस्या का सामना करने के लिए सावधान रहना होगा अपने आस पास दृष्टि रखें किसी भी व्यक्ति पर शक होने पर अपने यहाँ के निकट थानों या ख़ुफ़िया विभाग ( LIU, IB ) को जानकारी उपलब्ध कराएं |
सवेदनशील क्षेत्र :- पश्चिम बंगाल, हैदराबाद, महाराष्ट्रा, राजस्थान, असम एवं उत्तर प्रदेश |
अपने राष्ट्र की रक्षार्थ
क). राष्ट्रवादी ही राष्ट्र का रक्षक होता है (जिससे हमे प्रेम होता है उसके लिए प्राण भी दाव पर लग जाए कोई अंतर नहीं इसलिए सभी युवाओं के अंदर देशप्रेम पैदा करें)
ख). एकता में ही शक्ति है (अपने गाँव, कस्बा व शहर में एक सूत्र में सभी राष्ट्रवादी युवाओं को पिरोना)
ग). आत्मबल सभी बलों में सर्वोत्तम बल है (हमें युवाओं के अंदर आत्म शक्ति का संचय करना होगा)
घ). बौद्धिक बल (रक्षा के लिए युद्ध की आवश्यकता होती है और युद्ध जितने के लिए रणनिति की इसलिए महाभारत, चाणक्य सूत्र का अवलोकन आवश्यक है)
ङ). शारीरिक बल (शारीरिक बल शत्रु पर मानसिक दबाव के लिए आवश्यक है)
च). आत्मरक्षा की तैयारी (आत्मरक्षा के लिए कुश्ती, कबड्डी, लाठी चलाना, भाला फेंकना का पूर्ण ज्ञान)
छ). छद्म प्रवर्ति (आज के समय में सिद्धांतो का महत्व नहीं इसलिए साम, दाम, दण्ड भेद जो भी आवश्यक हो उसको अपनाया जाए)
ज). जागरूकता (जागरूकता से समय पर शत्रु की निति का समय पर पता चला जाता है ताकि भविष्यात्मक तैयारी हो सके)
झ). धैर्य (धैर्यवान होने से सही निति बनाने में पूर्णता आती है)
ञ). सवांद (कम समय में ज्यादा से ज्यादा संख्या में सूचनाओ का आदान-प्रदान)
सवेदनशील क्षेत्र :- पश्चिम बंगाल, हैदराबाद, महाराष्ट्रा, राजस्थान, असम एवं उत्तर प्रदेश |
अपने राष्ट्र की रक्षार्थ
क). राष्ट्रवादी ही राष्ट्र का रक्षक होता है (जिससे हमे प्रेम होता है उसके लिए प्राण भी दाव पर लग जाए कोई अंतर नहीं इसलिए सभी युवाओं के अंदर देशप्रेम पैदा करें)
ख). एकता में ही शक्ति है (अपने गाँव, कस्बा व शहर में एक सूत्र में सभी राष्ट्रवादी युवाओं को पिरोना)
ग). आत्मबल सभी बलों में सर्वोत्तम बल है (हमें युवाओं के अंदर आत्म शक्ति का संचय करना होगा)
घ). बौद्धिक बल (रक्षा के लिए युद्ध की आवश्यकता होती है और युद्ध जितने के लिए रणनिति की इसलिए महाभारत, चाणक्य सूत्र का अवलोकन आवश्यक है)
ङ). शारीरिक बल (शारीरिक बल शत्रु पर मानसिक दबाव के लिए आवश्यक है)
च). आत्मरक्षा की तैयारी (आत्मरक्षा के लिए कुश्ती, कबड्डी, लाठी चलाना, भाला फेंकना का पूर्ण ज्ञान)
छ). छद्म प्रवर्ति (आज के समय में सिद्धांतो का महत्व नहीं इसलिए साम, दाम, दण्ड भेद जो भी आवश्यक हो उसको अपनाया जाए)
ज). जागरूकता (जागरूकता से समय पर शत्रु की निति का समय पर पता चला जाता है ताकि भविष्यात्मक तैयारी हो सके)
झ). धैर्य (धैर्यवान होने से सही निति बनाने में पूर्णता आती है)
ञ). सवांद (कम समय में ज्यादा से ज्यादा संख्या में सूचनाओ का आदान-प्रदान)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें