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महाभारत में परमाणु हथियार भी कुछ लोगों के पास थे. महाभारत में परमाणु हथियार का उपयोग यदि कर दिया जाता तो निश्चित रूप से तबाही आ सकती थी. आप बेशक यह बात पढ़कर हँस रहे होंगे क्योकि आपको यह बात बिना हाथ पैर वाली लग रही होगी. आपको बता दें कि जिन हथियारों के बारें में आज बोला जाता है कि वह धरती को खत्म कर सकते हैं, ऐसे कई हथियारों के बारें में महाभारत के अंदर पहले से ही लिखा हुआ है.
महाभारत कोई आज तो लिखा नही गया है और ना ही आज उनको एडिट किया गया है. सालों पहले ऐसा यहाँ लिखा हुआ है कि महाभारत के कुछ योद्धाओं के पास ऐसे हथियार थे जो पूरी सेना को एक ही बार में और एक पूरे देश को मिनटों में तबाह कर सकते थे. आपको यह भी बता दें कि जब महाभारत शुरू हो रहा था तभी यह बात निश्चित की गयी थी कि इस युद्ध में कोई भी ब्रह्मास्त्र का उपयोग नहीं करेगा. क्योकि यही ब्रह्मास्त्र ही सारी दुनिया को खत्म कर सकते थे. वैसे यह ब्रह्मास्त्र आज के परमाणु हथियार से ज्यादा शक्तिशाली और अत्याधुनिक था. अश्वत्थामा का नाम सबसे पहले इसलिए लिखा गया है क्योकि अश्वत्थामा ने महाभारत के अंदर ब्रह्मास्त्र का उपयोग किया था. इस हथियार से सारी दुनिया तबाह हो सकती थी किन्तु अर्जुन ने अपने ब्रह्मास्त्र का उपयोग कर इसकी मारक क्षमता को खत्म कर दिया था.
महाभारत का दूसरा योद्धा अर्जुन है जिसके पास परमाणु हथियार था. जब अश्वत्थामा ने अपना ब्रह्मास्त्र छोड़ा था तो उसके बाद अर्जुन ने उसको रोकने के लिए अपना हथियार चलाया था. ऐसा भी महाभारत में लिखा हुआ है कि जब दोनों हथियार चले थे तो इतनी रोशनी आसमान में हुई थी जैसे कि हजारों सूरज निकल गये हो. चारों तरफ धुँआ था और सैनिकों की चमड़ी उतरने लगी थी.
महाभारत का तीसरा योद्धा भीष्म पितामह हैं जिनके पास परमाणु हथियार था. भीष्म में कभी भी इस हथियार का उपयोग नहीं किया था. वैसे कई मौकों पर भीष्म ने सोचा तो जरुर था कि इसका उपयोग किया जाए किन्तु इनके ज़मीर ने ऐसा कभी इनको करने नहीं दिया था.
कर्ण के पास भी यह ब्रह्मास्त्र था. महाभारत में इसका जिक्र है कि दुर्योधन ने कर्ण को कई बार चेताया भी था कि वह जरूरत पड़ने पर ब्रह्मास्त्र का उपयोग कर सकता है. किन्तु कर्ण ने युद्ध के नियमों को तोड़ना कभी सही नहीं समझा और इसने कभी ब्रह्मास्त्र का उपयोग नहीं किया था.
अब अगर गुरु के पास ब्रह्मास्त्र नहीं होगा तो वह कैसे अपने शिष्यों को ब्रह्मास्त्र के बारें में बता सकता है. जब द्रोणाचार्य पांडवों को शिक्षा दे रहे थे तब इन्होनें अर्जुन को ब्रह्मास्त्र प्राप्त करने की आज्ञा दी थी. द्रोणाचार्य ने कुछ ही लोगों चुना था कि वह ब्रह्मास्त्र को प्राप्त करें क्योकि जिसके पास यह शक्ति हो वह धैर्यवान होना भी जरुरी होना चाहिए. अन्यथा तो धरती कभी भी खत्म हो सकती थी.
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