नेला कादरी बलूचिस्तान की सोशल ऐक्टिविस्ट और नेता हैं जो कि पिछले काफी समय से बलूचिस्तान में पाकिस्तान की मौजूदगी के खिलाफ कैंपेन चला रही हैं। नेला कादरी बताती है कि किस तरह पाकिस्तान ने बलूचिस्तान पर कब्जा कर रखा है और वहां नरसंहार, आतंकवाद, रेप की वारदात को अंजाम दिया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उम्मीद है कि मोदी को बलूचिस्तान की आजादी की लड़ाई में मदद करनी चाहिए।
बलूचिस्तान पर भारत से उम्मीदों के बारे में कादरी ने कहा कि भारत के लोगों ने मोदी और बीजेपी को मजबूत बहुमत दिया है। मोदी बोल्ड और मजबूत नेता हैं। पूर्ववर्ती सरकार को ऐसा बहुमत नहीं मिला था और न ही इतना इंटरनैशनल समर्थन। इंदिरा गांधी के साथ आंतरिक समस्याएं थीं लेकिन वह फिर भी बांग्लादेशियों के साथ खड़ी रही थीं। मोदी ऐसा क्यों नहीं कर सकते हैं? यदि मोदी मजबूत कदम उठाते हैं तो उन्हें पूरी दुनिया से समर्थन मिलेगा। इंडिया ने दुनिया में इज्जत कमाई है जबकि पाकिस्तान ने नफरत। इंडिया की मजबूती उसका लोकतंत्र है। इंडिया एक सेक्युलर स्टेट है। इंडिया और मोदी जी को बलूचिस्तान के मामले में गंभीरता से सोचने की जरूरत है। हमें कोई जल्दी नहीं है। बलूचिस्तान की आजादी भारतीय हितों के हक में है।
बलूचिस्तान
पूरे पाकिस्तानी
प्रांत का
44% हिस्सा है।
जो कि
खनिज के
क्षेत्र में
समृद्ध है।
पर इस
क्षेत्र का न केवल पाकिस्तान द्वारा बिना किसी इस क्षेत्र के हिस्सेदारी के, खनिजों का शोषण किया जा रहा है
बल्कि चरमपंथी गुटों एवं अलगाववादी गुटों पर नियंत्रण रखने के नाम पर उन पर सैन्य कारवाई की जा रही है। अगर आर्थिक असंतोष को लेकर चले तो इसकी एक झलक इस घटना से मिल सकती है कि, वर्ष 1952 में इस क्षेत्र के डेरा बुगती में गैस के भंडार का पता लगाया गया। वर्ष
1954 से यहां से गैस का उत्पादन शुरू हुआ और उसका लाभ पूरे पाकिस्तान को मिलने लगा लेकिन बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा को
1985 में इस पाइपलाइन से जोड़ा गया। इसी क्षेत्र के चगाई मरूस्थल में वर्ष 2002 से सड़क परियोजना शुरू की गई। जो कि चीन के साथ तांबा, सोना एवं चांदी उत्पादन करने की पाकिस्तानी योजना है। इससे प्राप्त लाभ में चीन का हिस्सा 75 प्रतिशत है एवं
25 प्रतिशत पाकिस्तान का। इस
25 प्रतिशत में से इस क्षेत्र को महज 2 प्रतिशत की हिस्सेदारी दी गई है।
अगर मानवाधिकार हनन के मुद्दों को देंखे तो पता चलेगा कि यहां पाकिस्तानी सेना शाति बनाएं रखने के नाम पर लोगों के अपहरण एवं हत्या करने में संलग्न है। यहां के हालात के बारे में दुनिया अनभिज्ञ रहे इसलिए इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया पर कई पाबंदिया है साथ ही साथ रिपोर्टरों पर भी कई जुल्म किये जाते हैं। इंटरनेट के सादरों को यहां पर ब्लॉक किया गया है। इसी सबको ध्यान में रखकर कैलिर्फोनिया के रिपब्लिकन सांसद दाना रोहराबचेर ने दो अन्य सांसदों के समर्थन से कांग्रेस में बलूचिस्तान के लोगों के लिए इन जुल्मों के खिलाफ ‘आत्मनिर्णयन’ के अधिकार की मांग वाला एक प्रस्ताव पेश किया है। इसमें कहा गया है कि बलूचिस्तान का प्रदेश पाकिस्तान, ईरान और अफगानिस्तान में फैला हुआ है। जहां निवास करने वाले लोगों को कोई संप्रभु अधिकार नहीं दिया गया है। खास करके पाकिस्तान में बलूच लोगों को हिंसा एवं गैर कानूनी हत्या का शिकार बनाया जा रहा है। इसलिए बलूच लोगों का आत्मनिर्णय का अधिकार मिले और उनका अपना संप्रभु देश हो।
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