भारत एक लोकतान्त्रिक देश है और विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का गौरव भी भारत को ही प्राप्त है। लोकतंत्र मे सभी समुदायों को एक गुलदस्ते की तरह रंग बीरेंगे फूलों की तरह रहना इसका आधार है यंहा मिलजुलकर रहने के लिए विभिन्न राजनैतिक दलों के अति मनमोहक स्लोगन भी है मसलन सर्वधर्मसमभाव, समाजवाद, सेकुलरिज्म, धर्मनिरपेक्षता इत्यादि परंतु कभी कभी समाज के कुछ लोग इस गुलदस्ते के फूलों को नोचने का काम बड़ी आसानी से कर लेते है उनको भारत के कानून का भी ख़ौफ़ नही है। दुर्भाग्य की बात कुछ राजनैतिक पार्टियां भी वोट बैंक के लालच मे इन घटनाओं को होने देती हैं और इससे भी दुर्भाग्य कि लोकतंत्र के चौथा स्तम्भ कहे जाने वाले मीडिया क़ी भी आंखें ऐसी घटनाओं पर बन्द हो जाती है या बन्द करा दी जाती है इसकी कोई जानकारी समाज के पास नही होती। जो भी हो अंत मे इसकी गाज समाज पर ही गिरती है जो लोग अम्न और चैन के साथ रहना पसन्द करते हैं। यह एक अच्छे लोकतंत्र के लिए सुभ संकेत नही कहे जा सकते हैं। आज ही उत्तर प्रदेश मे कुछ जिहादी तत्वों ने मन्दिर मे घुष्कर पुजारी की बर्बर पिटाई कर दी , वे केवल भजन का विरोध कर रहे थे जबकी वहां बैठे लोग भजन का आनंद ले रहे थे। वे लोग आनंद लेने के बजाय उसको बन्द करवाने आये थे।
उत्तर प्रदेश में जिहादी तत्वों के हौंसले किस कदर बुलंद हो चुके हैं की अब उनको कानून का भी ख़ौफ़ नही रह गया है वे कानून को अपनी जेब मे रखकर चल रहे है तथा आपस मे मिलजुलकर रहने के बजाय दुसरे संप्रदाय के लोगों का खुले आम दमन कर रहे है ये उसका एक छोटा सा उदाहरण है।
फैज़ाबाद के रुदौली के भेलसर गाँव में बीते शुक्रवार दर्जन भर मुस्लिम मंदिर के बाहर इखट्टा हो गए और पुजारी पर दबाब बनाया की मंदिर में बज रहा भजन बंद कर दो, इसके विरोध पर उन्होंने डंडो से मार मार कर पुजारी को अधमरा कर दिया, पुजारी की चींख पुकार सुनकर गाँव के अन्य लोग आये तो जिहादी भाग गए। स्थानीय लोगों ने पुजारी को अधमरे अवस्था में अस्पताल पहुचाया ।
पुलिस को पुजारी उदयभान झा ने बताया की मंदिर में रोजाना की तरह भजन बज रहा था ,शुक्रवार को मुस्लिम यहाँ आये और भजन बंद करने की मांग करने लगे मैंने विरोध किया तो उन्होंने पीट दिया और चेतावनी दी की पीर के दिन खासकर हल्ला गुल्ला पसन्द नही। सरकार ने भी गाँव की स्तिथि को देखते हुए वहां धारा 144 लगा दी। आस्चर्य की बात है मीडिया इस पर खामोश रहा।
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