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सांस्कृतिक दृष्टि से प्राचीन भारत की सीमाएं विश्व में दूर-दूर तक फैली हुई थीं। भारत ने राजनीतिक आक्रमण तो कहीं नहीं किए, परंतु सांस्कृतिक दिग्विजय अभियान के लिए भारतीय मनीषी विश्वभर में गए। शायद इसीलिए भारतीय संस्कृति और सभ्यता के चिन्ह विश्व के अधिकतर देशों में मिलते हैं। आज हम आपको बता रहे हैं कि हमारा प्राचीन सांस्कृतिक भारत कहां तक था और जिन धर्मों का जन्म भारत में हुआ वे विश्व में कहां-कहां पहुंचे।
ईरान में आर्य संस्कृति का उद्भव 2000 ई. पू. उस वक्त हुआ जब ब्लूचिस्तान के मार्ग से आर्य ईरान पहुंचे और अपनी सभ्यता व संस्कृति का प्रचार वहां किया। उन्हीं के नाम पर इस देश का नाम आर्याना पड़ा। 644 ई. में अरबों ने ईरान पर आक्रमण कर उसे जीत लिया। प्रथम शताब्दी में कौंडिन्य नामक एक ब्राह्मण ने हिन्दचीन में आर्य संस्कृति की स्थापना की।
वियतनाम का पुराना नाम चम्पा था। दूसरी शताब्दी में स्थापित चम्पा भारतीय संस्कृति का प्रमुख केंद्र था। यहां के चम लोगों ने भारतीय धर्म, भाषा, सभ्यता ग्रहण की थी।
प्रथम शताब्दी में साहसी भारतीयों ने मलयेशिया पहुंचकर वहां के निवासियों को भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति से परिचित करवाया। कालान्तर में मलेशिया में शैव, वैष्णव तथा बौद्ध धर्म का प्रचलन हो गया। 1948 में अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हो यह सम्प्रभुता सम्पन्न राज्य बना।
इंडोनेशिया किसी समय में भारत का एक सम्पन्न राज्य था। आज इंडोनेशिया मुस्लिम बाहुल्य होने के बावजूद यहां के लोग हिन्दू देवी-देवताओं से परंपराओं के माध्यम से जुड़ा है।
अफगानिस्तान 350 ई.पू. तक भारत का एक अंग था। सातवीं शताब्दी में इस्लाम के आगमन के बाद अफगानिस्तान धीरे-धीरे राजनीतिक और बाद में सांस्कृतिक रूप से भारत से अलग हो गया।
कुछ समय पहले तक नेपाल विश्व का एकमात्र हिन्दू राष्ट्र हुआ करता था। इसका एकीकरण गोरखा राजा ने 1769 ई. में किया था। पूर्व में यह प्राय: भारत राष्ट्र का ही अंग रहा है।
प्राचीन काल में भूटान भद्र देश के नाम से जाना जाता था। 8 अगस्त 1949 में भारत-भूटान संधि हुई जिससे स्वतंत्र प्रभुता सम्पन्न भूटान की पहचान बनी।
तिब्बत का उल्लेख हमारे ग्रन्थों में त्रिविष्टप के नाम से आता है। यहां बौद्ध धर्म का प्रचार चौथी शताब्दी में शुरू हुआ। तिब्बत प्राचीन भारत के सांस्कृतिक प्रभाव क्षेत्र में था।
श्रीलंका का प्राचीन नाम ताम्रपर्णी था। श्रीलंका भारत का प्रमुख अंग था। 1505 में पुर्तगाली, 1606 में डच और 1795 में अंग्रेजों ने लंका पर अधिकार किया। 1935 ई. में अंग्रेजों ने लंका को भारत से अलग कर दिया।
अराकान की अनुश्रुतियों के अनुसार यहां का प्रथम राजा वाराणसी का एक राजकुमार था। 1852 में अंग्रेजों का बर्मा पर अधिकार हो गया। 1937 में भारत से इसे अलग कर दिया गया।
15 अगस्त 1947 के पहले पाकिस्तान, भारत का एक अंग था।
बांग्लादेश भी 15 अगस्त 1947 के पहले भारत का अंग था। देश विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान के रूप में यह भारत से अलग हो गया। 1971 में यह पाकिस्तान से भी अलग हो गया और स्वतंत्र देश बना।
इनके अलावा चीन, जापान, मंगोलिया, लाओस, हॉन्गकॉन्ग, ताइवान, मकाउ, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया एवं उत्तर कोरिया विश्व के अनेकों देशों में बौद्ध धर्म का बड़ा प्रभाव है। खास बात यह है कि आज बौद्ध धर्म विश्व का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है और इस धर्म का जन्म ई.पू. छठी शताब्दी में भारत में हुआ था।
सनातन धर्म ऐसा धर्म है जिसमें किसी को यह कहने की आवश्यकता नहीं पड़ती की हमारा धर्म सर्वश्रेष्ठ है जो हमारे धर्म को नहीं मानेगा उसका सिर कलम कर देंगे।
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