ca-pub-6689247369064277
सोमनाथ मंदिर भारत के पवित्र स्थानों में से एक है। सोमनाथ मंदिर की गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में होती है। सोमनाथ की भूमि पवित्र इसलिए है क्यूंकि भगवान श्री कृष्ण इसी भूमि से निजधाम की ओर अपनी अंतिम यात्रा पर गये थे। सोमनाथ मंदिर गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित है। अक्सर समुद्र की लहरें इस मंदिर को छूती हैं। इस मंदिर में स्थापित सोमनाथ की मूर्ति स्थापत्य कला की उत्कृष्ट उदाहरण मानी जाती रही है। इस मूर्ति को देखकर हर कोई चकित रह जाता है क्यूंकि यह मूर्ति मंदिर के बीचोंबीच बिना की सहारे के खड़ी है। इस मूर्ति को सहारा देने के लिए इसके ऊपर भी कुछ नहीं है और नीचे भी नही। इस मंदिर में छप्पन स्तम्ब है जो की शीशा जड़ी सागवान की लकड़ी से निर्मित है। सोमनाथ की मूर्ति के पूजा घर में हमेशा अँधेरा रहता है। इस मूर्ति के समीप हमेशा एक सोने की जंजीर टंगी रहती है, जिसका वजन करीब दो सौ मन का है। चंद्रग्रहण के अवसर यहाँ भक्तों का हुजूम उमड़ता है। जंजीर का इस्तेमाल पहर की समाप्ति पर ब्राह्मणों के दूसरे दल को जगाने के लिये किया जाता है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि इस मंदिर में मनुष्यों की आत्माएं उन्हें छोड़, यही पर आ जाती है। फिर यह मूर्ति इन आत्माओं को अपनी इच्छानुसार दूसरे शरीरों में प्रविष्ट करा देती है इस मंदिर को गंगा नदी के पानी से धोया जाता है। एक समय था जब इस मंदिर को दस हजार गाँव दान में प्राप्त हुए थे।
सन् 1025 में इस मंदिर में मध्य गज़नी का तुर्क सरदार महमूद यहाँ आया , मूर्ति को बिना किसी सहारे के देख वो भी हैरान रह गया था। तब उसने अपने सेवकों से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि यह मूर्ति किसी गुप्त वस्तु के सहारे खड़ी है.।यह जानकर महमूद की उत्सुकता ओर बढ़ गयी और वो मूर्ति के चारों और चक्कर काटने लगा और उसने अपने सेवकों से इस रहस्य के बारे में पता लगाने को कहा। सभी सेवक उसका आदेश पालने में जुट गए लेकिन कोई भी वास्तु पाने में असमर्थ रहें। फिर महमूद को किसी सेवक ने बताया कि मंदिर का मंडप चुम्बक जड़ित है जबकि मूर्ति लोहे की बनी है। इसका पता लगने के बाद महमूद ने मंडप की छत से कुछ पत्थर निकालने का आदेश दिया। पत्थर निकलने पर मूर्ति एक ओर झुक गयी और जमीन पर गिर पड़ी। इसी तरह आम लोगों को सोमनाथ मंदिर में रखी गयी मूर्ति के पीछे की स्थापत्य कला की जानकारी मिली।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें