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मेरा भारत महान
ऐसा बहुत बार होता है ना…कि आप कहीं जा रहे हों और आप को अचानक लगता है कि कोई आपका पीछा कर रहा है, सुनसान रास्तों पर अचानक झिंगुर बोलने लगे, आपके पैरों की आवाज के साथ किसी और के चलने की भी आवाज सुनाई दें…लेकिन जब इन संकेतों के बाद आप पीछे मुड़कर देखते हैं…तो कुछ भी नहीं दिखता और तब तक आपकी हालत पतली हो चुकी होती है । क्या आपने कभी सोचा है कि जिस चीज को कभी आपने देखा भी नहीं….उसके होने और कुछ नुकसान कर देने के बारे में सोचकर हमारे पसीने छूट जाते है । शायद इसका जवाब किसी भी के पास भी नहीं है । बहुत से लोग इन नगेटिव एनर्जी को नहीं मानते, लेकिन इसके वजूद को नकारा भी नहीं जा सकता है ।
अगर आपने टनल नंबर 33 नाम नहीं सुना तो फिर आप इस जगह के बारे में जानकर डर जायेंगे । जी हां.. एक रेलवे लाइन जो गुफा में से होकर जाती है । चलिए बताते हैं आपको इस सुरंग के बारे में, जो आज लोगों के लिए जीती जागती मौत बनी हुई है । कालका से शिमला तक जाने वाले रेल रूट पर वैसे तो कई सारी टनल पड़ती हैं, लेकिन उनमें सबसे खास और खौफनाक है टनल नंबर 33…। कहा जाता है कि इस टनल में आज भी उस इंजीनियर की आत्मा का वास है, जिसने टनल के ठीक सामने आत्महत्या कर ली थी। इस टनल को टनल नंबर 33 भी कहते हैं। 1143.61 मीटर लंबी यह टनल कालका-शिमला मार्ग पर बरोग रेलवे स्टेशन के पास स्थित है। इसका निर्माण 20वीं सदी में हुआ था और यह दुनिया की सबसे सीधी टनल है। इस टनल को पार करने में ट्रेन ढाई मिनट लेती है
ब्रिटिश काल में कर्नल बरोग नाम का ब्रिटिश इंजीनियर था, जिसे इस टनल बनाने की जिम्मेदारी दी गई। उस दौरान पहाड़ों को काटने के लिये बड़े-बड़े शीशों और एसिटिलीन गैस का इस्तेमाल किया जाता था। कर्नल ने सबसे पहले पहाड़ का निरीक्षण किया और दो छोर पर मार्क लगाये और मजदूरों को दोनों छोर से सुरंग खोदने के निर्देश दिये। कर्नल बरोग का अनुमान था कि खुदाई करते-करते दोनों सुरंगें बीच में आकर मिल जायेंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इंजीनियर के काम में थोड़ा डेविएशन आ गया। सुरंग खोदते वक्त ऐसे डेविएशन आना वैसे आम बात है, लेकिन ब्रिटिश सरकार को यह ठीक नहीं लगा। सरकार ने पैसे की बर्बादी करने का इंजीनियर पर 1 रुपए का जुर्माना ठोक दिया। मजदूरों ने भी बहुत खरी खोटी सुनायी क्योंकि उनकी मेहतन बेकार चली गई थी। इंजीनियर इस बात को लेकर बेहद परेशान हो गया और एक दिन अपने कुत्ते को लेकर सुबह टहलने निकला और खुद को कुंठित मानते हुए उसने खुद को गोली मार ली।जिस जगह पर इंजीनियर ने खुद को गोली मारी थी उस जगह पर आज बरोग पाइन वुड होटल है। खून से सना इंजीनियर का शव घंटों तक वहीं पड़ा रहा। जिस वक्त इंजीनियर ने खुद को गोली मारी थी, उस वक्त वहां कोई नहीं था। इस आत्महत्या का प्रत्यक्षदर्शी सिर्फ कुत्ता था। क्योंकि गांव वालों को वहां तक पहुंचने में लग गये। लोगों ने बड़ी बशर्मी से बरोग को अर्द्धनिर्मित टनल के सामने ही दफना दिया। इंजीनियर की मौत के बाद 1900 में टनल पर फिर से काम शुरू हुआ और 1903 में टनल पूरी तरह तैयार हो गई। ब्रिटिस सरकार ने टनल का नाम इंजीनियर के नाम से से बरोग टनल रखकर सरकार ने आफत मोल ले ली ।
इस टनल को पूरा करने का काम एचएस हर्लिंगटन ने किया। उनकी मदद स्थानीय संत बाबा भालकू ने भी की। इस टनल के निर्माण में 8.4 लाख रुपए का खर्च आया। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस टनल में आज भी इंजीनयिर की आत्मा घूमती है। यही कारण है कि रात के वक्त इस टनल के पास कोई नहीं जाता है। स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि रात को टनल के अंदर से किसी के करहाने की आवाज़ें आती हैं हालांकि वास्तव में यह टनल बेहद खौफनाक है भी। अगर टनल के अंदर लगी सारी लाइटें बुझा दी जायें, तो अंदर बेहद डरावना मंजर होता है। अंदर पहाड़ का पानी रिसता रहता है। इस टनल के अंदर कुछ दूर चलने पर आपको एक सुरंग मिलेगी, जहां से अजीबो-गरीब आवाजें आती हैं। सरकार ने उस सुरंग को बंद करने के लिये लोहे का दरवाजा भी लगाया, लेकिन एक दिन लोगों को दरवाजे का ताला टूटा मिला। तब से लेकर आज तक उसमें ताला नहीं डाला गया। कोई भी वहां जाकर खौफनाक आवाज़ें सुन सकता है। यहां के निवासियों का दावा है कि यहां सुरंग में कई बूरी आत्माएं रहती हैं । लोगों का दावा है कि उन्होंने कई बार एक औरत को सुरंग के आसपास देखा है । जब वो औरत लोगों को अपनी ओर आती हुई देखती है तो वो भाग जाती है । लोग उसका पीछा भी करते हैं लेकिन वो औरत वहां मौजूद एक कुएं में कूद जाती है ।
लोगों का कहाना है कि उन्होंने एक ऐसे आदमी को कई दफा देखा है, जो लाइटर मांगता है और कहता है सिगरेट जलानी है,,लाइटर मिलेगा ?? और देखते ही देखते ही वो गायब हो जाता है । ये लोगों के सामने अभी भी पहेली बनी हुई है । इस टनल के आस पास कोई नहीं जाता है । क्योंकि इस सुरंग के अंदर जाना किसी भी खतरे से खाली नहीं है ।
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