7 दिसंबर 2016

भारतीय नहीं विदेशी है समोसा

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मेरा भारत महान

आज भी दुनिया में समोसा एक मात्र ऐसा व्यंजन है  जिसको हल्का फुल्का टाइमपास करने के लिए या जलपान मे सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ लोग भारत में चाय भी लेना पसंद करते हैं। आज भी जब कोई मेहमान भारतीय घरों में आते हैं तो उन्हें नाश्ते में समोसा अक्सर दिया जाता है। समोसे का स्वाद ही कुछ ऐसा है कि ये हर किसी की जुबान पर अपना प्रभाव छोड़ ही जाता है और इसके बिना तो नाश्तेते का मज़ा ही नही आता  है।देश की घर गली-नुक्कड़ से लेकर फाइव स्टार होटल तक में नजर आने वाला समोसा भारतीयों का पसंदीदा है, बहुत कम लोग ही ऐसे होंगे जिसे समोसा पसंद न हो। बच्चे हो या सयाने, समोसा सभी को पसंद होता है। लेकिन क्या आपने ये जानने की कोशिश की है, कि आखिर समोसे की शुरुआत कैसे हुई ? समोसे का इतिहास काफी पुराना है ,और खास बात ये है कि इसकी शुरुआत भारत में नहीं बल्कि किसी और देश में हुई थी। जी हां समोसा भारत नहीं बल्कि किसी और देश में इजाद किया गया था। समोसा  मध्यपूर्वं एशिया के रास्ते भारत में पहुंचा । अगर हम खान-पान के इतिहास पर नजर डालें तो पाएंगे की समोसे ने जितनी लंबी यात्रा तय की है, शायद ही किसी और व्यंजन ने की होगी। समोसे का जन्म मिस्र में हुआ था जिसके बाद ये लीबिया पहुंचा और उसके बाद मध्यपूर्व एशिया होते हुए भारत तक पहुंचा।


समोसे का इतिहास इरान से जुड़ा हुआ माना जाता है, कहा जाता है समोसा फारसी भाषा के ‘संबोसाग’ से निकला शब्द है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि गजनवी साम्राज्य के शाही दरबार में एक ‘नमकीन पेस्ट्री’ पेश की जाती थी, जिसमें कीमा, मीट और सूखा मेवा भरा जाता था। भारत मे शाकाहारियों की संख्या ज्यादा होने के कारण इसमे आलू, मटर और पनीर का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है। 

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