1 दिसंबर 2016

कौरवो के जन्म का एक अनसुना सच

ca-pub-6689247369064277
मेरा भारत महान
भारत एक प्राचीन देश है। प्राचीन काल से ही भारत , ज्ञानी विद्वानों की जन्म स्थली रहा है । भारत देश के ऋषि-मुनियो ने अनेको अविष्कार किये है, जिन तकनीको को दुनिया आज खोज रही है । उन तकनीको को भारत के ऋषि-मुनियो ने सैकड़ो वर्षो  पूर्व ही खोज लिया था । इन खोजो में एक टेस्ट ट्यूब बेबी पद्धति की खोज भी थी, जिस टेस्ट ट्यूब बेबी पद्धति को दुनिया आज का अविष्कार मान  रही है, इस पद्धति को हमारे ऋषि-मुनियो ने महाभारत काल में ही खोज लिया था । प्राचीन ग्रंथो के अनुसार  धृतराष्ट्र के 100 पुत्रों का जन्म इसी पद्धति से हुआ था |

 जब धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी ने गर्भ धारण किया, तो गर्भ धारण के दो वर्ष पश्चात भी उसे कोई संतान नहीं हुई. तब गांधारी एक ऋषि के पास गई. ऋषि ने गांधारी को बताया के वह साधरण तरीके बच्चे को जन्म नहीं दे सकती।  इसके पश्चात गांधारी ने ऋषि को कुछ उपाय बताने को कहा, ऋषि ने गांधारी की विनती सुनने के बाद गांधारी को अपने गर्भ को 101 मिट्टी से बने बर्तनों में डालने को कहा. ऋषि की बात सुनकर गांधारी ने अपने गर्भ को 101 मिट्टी से बने बर्तनों मे डाल दिया, जिसे आज हम टेस्ट ट्यूब पद्धति से जोड़ कर देख सकते है. मिट्टी के बर्तनों में डाले हुए गांधारी  के गर्भ से ‘सौ’ पुत्र और एक ‘पुत्री’ ने जन्म लिया था |
भले ही आज हम इन आविष्कारों को वर्तमान विज्ञान के आविष्कार मान बैठे हो परन्तु ये सत्य नही है इन आविष्करो की परकास्ठा सैकड़ो वर्षो पूर्व ही लिखी जा चुकी थी.  भारत के सुप्रसिद्ध ग्रन्थ ‘महाभारत’ में 3000 ईसा पूर्व  ही इस पद्धति के दुआरा कौरवों का जन्म होना बताया गया है. ‘स्टेम सेल रिसर्च ’ पर आयोजित एक सम्मेलन में एक वैज्ञानिक द्वारा  कहा गया की ‘महाभारत काल में कौरवों का जन्म इसी तकनीक से हुआ था, जिस तकनीक को आज तक हम पूर्ण रूप से विकसित नहीं कर पाये है |
"साउथर्न  चैप्टर ऑफ़ द ऑल इंडिया बायोटेक एसोसिएशन"  द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में एक वरिष्ठ सर्जन ने बताया है कि ‘अपने पूरे जीवन काल में कोई भी महिला एक ही उम्र के 100 बच्चो को जन्म नहीं दे सकती। हम आपको बता दे की महाभारत में गांधारी को 100 पुत्र थॆ, जिन्हें कौरव कहते है. उनमें 100 पुत्रो में सबसे बड़ा पुत्र दुर्योधन था. अत हम कह सकते है की कोरव टेस्ट ट्यूब बेबी पद्धति  के समक्ष ही किसी पद्धति के देन है | 

कौरव महाभारत युद्ध के मुख्य पात्र थे। समस्त कौरवों की संख्या सौ थी कोरवो के एक बहन भी थी जिसका नाम दुश्शला था| समस्त कौरव परक्रमी थे। पांडव की संख्या केवल पांच थी उनमे सबसे बड़ा युधिष्ठिर था| गान्धारी अपने बच्चो के देखभाल करने के कारण धृतराष्ट्र की सेवा करने में असमर्थ थी अत: धृतराष्ट्र की सेवा करने के लिए एक दासी रखी गई। धृतराष्ट्र और दासी के संबंधो से युयुत्स नामक बच्चे का जन्म हुआ। विवाह योग्य होने पर समस्त राजकुमारों का विवाह कर दिया गया। गान्धारी की एकमात्र पुत्री दुश्शला का विवाह जयद्रथ के साथ के साथ किया गया।

कोई टिप्पणी नहीं: