17 दिसंबर 2016

शादी के सात फेरे

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मेरा भारत महान
भारतीय विवाह में विवाह की परंपराओं में सात फेरों का भी एक चलन है। जो सबसे मुख्य रस्म होती है। हिन्दू धर्म के अनुसार सात फेरों के बाद ही शादी की रस्म पूर्ण होती है। विवाह के दौरान पंडित इन 7 वचनों का संस्कृत भाषा में बोलते हैं, लेकिन आज हम आपको उन्हीं सातों फेरों का हिंदी अनुदार करके बताने जा रहे हैं। इससे आप विवाह के दौरान लिए जाने वाले 7 फेरों का मतलब और महत्व जान पाएंगे। 
  • पहला
यदि आप कोई व्रत उपवास, अन्य धार्मिक कार्य या तीर्थयात्रा पर जाएँगे, तो मुझे भी अपने साथ ले जाएँ। यदि आप इसे स्वीकार करते है तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ। 
  • दूसरा
आप अपने माता पिता की तरह ही मेरे माता पिता का भी सम्मान करेंगे, और परिवार की मर्यादा का पालन करेंगे। यदि आप इसे स्वीकार करते है तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ।
  • तीसरा 
आप जीवन की तीनो अवस्थाओं (युवावस्था, प्रौढ़ावस्था, वृद्धावस्था) में मेरा पालन करते रहेंगे। यदि आप इसे स्वीकार करते है तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ।
  • चौथा 
अब हम विवाह बँधन में बंध रहे है, तो भविष्य में परिवार की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति की ज़िम्मेदारी आपके कंधो पर है। यदि आप इसे स्वीकार करते है तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ।
  • पाँचवा 
अपने घर के कार्यों में विवाह आदि लेन देन और अन्य किसी हेतु ख़र्च करते समय यदि आप मेरी भी राय लिया करेंगे, तो मैं आपके वामाँग में आना स्वीकार करती हूँ.
  • छठा 
यदि मैं कभी सहेलियों के साथ रहूँ, तो आप सबके सामने कभी मेरा अपमान नहीं करेंगे. जुआँ या किसी भी तरह की बुराइयाँ अपने आप से दूर रखेंगे, तो ही मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ।
  • सातवाँ
आप पराई स्त्रियों को माँ समान समझेंगे और पति पत्नी के आपसी प्रेम के बीच अन्य किसी को भी नहीं आने देंगे। यदि आप ये वचन दे तो ही मैं आपके वामाँग में आना स्वीकार करती हूँ।

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