ca-pub-6689247369064277
मेरा भारत महान
मेरा भारत महान
भारत के लोकप्रिय ग्यारहवें राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को शिक्षक की भूमिका बेहद पसंद थी। उनकी पूरी जिंदगी शिक्षा को समर्पित रही। वैज्ञानिक कलाम साहित्य में रुचि रखते थे, कविताएं लिखते थे, वीणा बजाते थे और अध्यात्म से भी गहराई से जुड़े थे।
कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को हुआ था। इनके पिता अपनी नावों को मछुआरों को किराए पर देकर अपने परिवार का खर्च चलाते थे। अपनी आरंभिक पढ़ाई पूरी करने के लिए कलाम को घर-घर अखबार बांटने का भी काम करना पड़ा था। कलाम ने अपने पिता से ईमानदारी व आत्मानुशासन की विरासत पाई थी और माता से ईश्वर-विश्वास तथा करुणा का उपहार लिया था। वह भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर राष्ट्र बनना देखना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने अपने जीवन में अनेक उपलब्धियों को भारत के नाम भी किया। 27 जुलाई, 2015 को डॉ. कलाम जीवन की अंतिम सांसें लेने से ठीक पहले एक कार्यक्रम में छात्रों से बातें कर रहे थे, वह शायद इसी तरह संसार से विदा होना चाहते होंगे। उनका साफ मानना था कि बच्चे ही देश का भविष्य हैं। किसी ने उनसे उनकी मनपसंद भूमिका के बारे में सवाल किया था तो उनका कहना था कि शिक्षक की भूमिका उन्हें बेहद पसंद आती है। वह ‘रहने योग्य उपग्रह’ विषय पर अपनी बात रखना चाहते थे कि नियति ने उन्हें हमसे वापस ले लिया, लेकिन उनके सपने देश को और मानव जाति को आगे ले जाने वाले थे। उनके विचारों को हम आगे बढ़ाकर उन्हें सच्ची श्रद्धाजंलि दें सकते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें