17 जुलाई 2016

दस धार्मिक परम्परायें हैं विज्ञान संवद।

विश्व के सभी धर्मो मे कुछ परम्परायें ऐसी भी है जिसपर कहीं न कहीं विज्ञान भी सहमत है। भारतीय परंपरा के पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक कारण ज़रूर होता है। अक्सर नए लोग या सास्त्रीय भाषा मे कहें पामर लोग इन परम्पराओं को अंधविश्वास समझ कर नकार देते है। पर ऐसा नहीं है कि परम्पराएं मात्र अन्धविश्वास पर बनी होती हैं।इन तथ्यों को जान कर आपको भी यकीन हो जायेगा कि परम्पराएं और मान्यताएं विज्ञान की कसोटी पर आधारित होती हैं। आज के मुकाबले पहले के लोगों के ज्यादा पढ़े-लिखे न होने के कारण उन्हें इनके वैज्ञानिक कारण समझना मुश्किल होता होगा, इसलिए धर्माचार्यों ने इन्हें धर्म से जोड़ दिया गया होगा ताकी एक परम्परा बन सके।


मंदिर जाना






मंदिरों को एक ख़ास दिशा में बनाया जाता है, ऐसी जगह, जहां चुम्बकीय और विधुतीय तरंगों से सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। मूर्ती को मंदिर के केंद्र में स्थापित किया जाता है, जिसकी दक्षिणावर्त परिक्रमा करने से शरीर इसकी सकारात्मक ऊर्जा को सोख लेता है।


 मांस, मदिरा, प्याज़, लहसुन आदि से परहेज़।






मदिरा सेवन काम-वासना बडाती है और इंसान  के मन मे सोचने समझने की कमी के कारण संकोच कम हो जाता है। बुदधी  मन्द पड जाती है। प्याज़, लहसुन खाने से क्रोध बढ़ता है क्रोध बुधी का दुश्मन है। ये सभी पदार्थ तामसिक गुणों को बढ़ाने वाले हैं।


 दही खाना






इससे पाचन-शक्ति बेहतर होती है इसलिए सफ़र या किसी शुभ काम के लिए जाने से पहले दही खाने को कहा जाता है।


ब्रह्म मुहूर्त में जगना





सूर्योदय से 90 मिनट पहले का समय ब्रह्म-मुहूर्त होता है। कहते हैं इस मुहूर्त में पढ़ना अच्छा होता है. दरअसल, इस समय वातावरण शांत होता है। ऑक्सीजन की मात्रा इस वक़्त हवा में अधिक होती है. इस समय पडाई पर ध्यान लगाना आसान होता है।


सोना-चांदी खरीदना





हिन्दुओं में शुभ दिनों और त्योहारों पर सोना व चांदी खरीदने की परंपरा होती है। इसका कारण है कि सोने-चांदी की कीमत अन्य चीज़ों के मुकाबले लंबी अवधी मे हमेशा बढ़ती है।इससे परिवार को आर्थिक-स्थिरता मिलती है।


तिल और गुड़ के पकवान 






आयुर्वेद के अनुसार, तिल खाने के अनेक फायदे होते हैं और ये एक आयुर्वेदिक दावा भी है। काला तिल सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है. इस समय मौसम बदल रहा होता है, ऐसे में बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है, तिल और गुड़ के सेवन से रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। शरीर मे ऊर्जा का प्रवाह होता है।


 होली में रंग खेलना


Biologists का मानना है कि आयुर्वेदिक सुद्ध पानी मिले रंग या सूखे रंग त्वचा के रोम-छिद्रों में जा कर शरीर के आयन को मज़बूत करता है और स्वास्थ्य व सुन्दरता को बढ़ाता है। होलिका दहन के पीछे भी वैज्ञानिक कारण है। सर्दियां ख़त्म होने पर वातावरण में और इंसान के शरीर में कीटाडुओं  की संख्या बढ़ जाती है. जब होलिका दहन किया जाता है, तो तापमान 145 डिग्री फारेनहाइट तक चला जाता है. जब लोग आग की परिक्रमा करते हैं तो इस तापमान में कीटाडुं मर जाते हैं.
मांग भरना

सिन्दूर, हल्दी, चूना और मर्करी मिला कर बनाया जाता है. मर्करी रक्त-चाप नियंत्रित करता है, यह यौन इच्छा को भी बढ़ाता है। यही कारण है कि विधवाओं को सिन्दूर नहीं लगाने दिया जाता ह।. ये तनाव को कम करने में भी मदद करता है.

रमज़ान



फास्टिंग करने से शरीर का मेटाबोलिस्म ठीक रहता है। रमज़ान के दिनों में सूरज निकलने से पहले हल्का भोजन लिया जाता है और सूरज छिपने के बाद कुछ मीठा खाया जाता है। इससे रक्त-चाप और हृदय की खराबी का मुख्य कारक कैलेस्ट्रोल नियंत्रण में रहता है।

नमाज़






नमाज़ की 5 मुद्राएं होती हैं. अत्याधुनिक विज्ञान की खोज के अनुसार इसको करने से  शरीर के लिए  व्यायाम होता है। जो शरीर के सात चक्रों को  सक्रिय करता है। इससे मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन बेहतर बना रहता है।

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