21 जुलाई 2016

जेएनयू से अब जाकर आई एक अच्छी खबर।



अपने ही देश का विरोध और देशद्रोही आतंकवादी अफ़ज़ल समर्थन के विरोध प्रदर्शन के बाद, जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय से यह सबसे पहली अच्छी खबर आई होगी। साल की शुरुआत में विश्वविद्यालय परिसर में हुए विवादित घटना से जुड़े छात्रों  से संबंधित एक नये घटनाक्रम में जेएनयू प्रशासन ने अगले सेमेस्टर के लिए उनके पंजीकरण पर रोक लगा दी है। 21 छात्रों की इस सूची में जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हेया कुमार, उमर खालिद और अनिरबान भट्टाचार्य के नाम भी शामिल है। मतलब, अब ये आस्तीन के सांप, वापिस यूनिवर्सिटी में प्रवेश नहीं ले पायेंगे! वैसे भी ये अधेड़ उम्र के हो चुके हैं और तीन-चार साल के प्रोग्राम को दशक में पूरा करने की योजना बना के बैठे हुए थे ताकि किसी प्रकार यहाँ गन्दगी डालने का अभियान जारी रहे!

9 फरवरी को हुए इस विवादित आयोजन में इन तीनों को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और फिर बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया। याद हो की संसद पर हमले के साबित दोषी अफजल गुरू की बरसी के उपलक्ष्य में आयोजित किए गए कार्यक्रम के दौरान देश विरोधी नारेबाजी की गयी थी और प्रेस्टीटूट के तमाम तरह के ढोंग के बाद भी यह बात सिद्ध हो गई थी की वास्तव में वहां देश विरोधी नारे लगे थे।
छात्रों के नाम वाले सर्कुलर पर जेएनयू के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार की टिप्पणी अंकित है। जिस पर लिखा गया गया है: “अगले नोटिस तक इन छात्रों का पंजीकरण रोका जाता है”।
जहां विश्वविद्यालय प्रशासन ने घटनाक्रम को लेकर कुछ चुप्पी साध राखी है, वहीं प्रभावित छात्रों ने अदालत के आदेश का उल्लंघन बताते हुए इसका विरोध किया।
हमारा उनसे निवेदन है कि यदि कोई छात्र दुगुने समय में या तिगुने समय में एक प्रोग्राम पूरा करते हुए राजनीती में व्यस्त रहता है, तो उसे बाहर का रास्ता दिखाकर उसकी जगह किशी लायक छात्र को रखना चाहिए । यूनिवर्सिटी पढ़ने के लिए होनी चाहिए, न की वामपंथियों  अथवा किशी भी अन्य राजनैतिक पार्टी की देशविरोधी घटिया विचारधारा को आगे करने का एक माध्यम होना चाहिए। 










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