14 जुलाई 2016

क्या राजभर लोग पहले क्षत्रिय थे ?


इतिहास मे इस बात के साक्ष्य मिले है कि राजभर लोग आज से हजार वर्ष पूर्व क्षत्रिय हुआ करते थे ।वर्तमान परिद्रष्य मे ये जाती विमुक्त जाति मे आती है
 विमुख जाती  इन सब पिछड़ी जातिओं से भी अलग है । सामान्यतया पिछड़ी जाति कहलाती है  -- सामान्य, अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) या अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) । विमुक्त जाति यानी Denotified Caste। डीनोटिफाइड का अध्ययन  करने पर पता चला क़ि अंग्रेजों ने जब भारत में शासन शुरू किया तो उनकी लूट और भारत के उद्योगों को नष्ट करने के कारण जो लोग बेरोजगार हुये उनमें से कुछ लोग अंग्रेजों का हिंसक विरोध करते थे।ऐसे लोगों को चिन्हित करने के लिए अंग्रेज़ विलियम सीमेन को ज़िम्मेदारी दी गयी । हिंदुस्तान की एकता को तोड़ने मे विलयम सीमन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। इस कार्मिक कालांतर मे  सीमन को कमिश्नर की पदवी दी गई। उसने सबसे पहले एक खास समुदाय को, जो इनका हिंसक विरोध करता था, उसको ठग के नाम से नामांकित किया और 1839 मे इस समुदाय के 3000 लोगों को पकड़ा गया। इनमें से 466 को फांसी पर लटका दिया, 1564 को देशनिकाला और  कालापानी और 933 लोगों को आजीवन कारावास की सजा दी गयी। 1850 तक जबरन ठग घोसित किये गए पक्के देशभक्तों को  लगभग  खत्म कर दिया गया। 
 इस कार्यप्रणाली से प्रोत्साहित होकर अंग्रेजों ने भारत मे उनको हिन्ससक चुनोती देने और उनका विरोध करने वाले समुदायों के लिए एक कानून बनाने की योजना बनाई जिसको 1871 में James Fitzjames Stephen (जिसने एक साल बाद Indian Evidence Act 1872 बनाया था) ने Criminal Tribe Act का गठन किया।उसकी दलील थी कि – जिस तरह हिन्दुस्तान मे  बुनकर, लोहार इत्यादि पुश्तैनी पेशा है, उसी तरह अपराध करना भी एक पुश्तैनी पेशा है जो कि इनको अपने पूर्वजों से वंशानुगत रूप से प्राप्त होता है
। अर्थात इन समुदायों के लोग पैदायशी अपराधी होते है और इसलिए इनको भी ठगों की तरह खत्म किया जाए।
कालांतर में इस कानून को पूरे देश मे लागू किया गया, जिसमें चिह्नित लोगों को बिना किसी अपराध के और सबूत के, तथा बिना किसी कानूनी कार्यवाही के कत्ल किया जाना, एक आम बात बन गयी। इतिहासकर रामनारायण रावत के अनुसार शुरू में इसमें सिर्फ जाटों (ये भी भारत मे शासक-क्षत्रिय रह चुके थे) को सम्मिलित किया गया परंतु बाद में इसका विस्तार कर अधिकतर शूद्रों जैसे चमार, सन्यासियों और पहाड़ी लोगों को शामिल कर लिया गया। इस कानून के अंतर्गत इन पैदायशी अपराधियों मे Bowreahs, Sonareahs, Binds, Budducks, Bedyas, Domes, Dormas, Bembodyahs, Keechuks, Dasads, Koneriahs, Moosaheers, Rajwars, Gahsees, Banjors, Boayas, Dharees, Sowakhyas को भी शामिल कर, एक तरह से इनके सामाजिक बहिष्कार को प्रोत्साहित किया गया।ये  हिन्दुस्तान के पक्के देशभक्त हुआ करते थे इसलिए ये लोग अंग्रेजों के द्वारा तय किये गए अंग्रेजों के अपराधी कहलाये । [नोट : MA Sherring के अनुसार बिन्द और मुसहर नमक के निर्माता थे जिस व्यापार पर अंग्रेजों ने 1780 मे ही एकाधिकार जमा कर उनको बेरोजगार कर दिया था. बेड़िया, वस्तुओं के लोकल ट्रांसपोर्टर हुआ करते थे.] कालांतर मे Criminal Tribes Act 1931 के तहत सैकड़ों हिंदुओं को इस कानून के घेरे मे लाया गया। अकेले मद्रास में 237 अपराधी जातियों को शामिल किया गया था।आजादी के बाद इस कानून को 1949 में खत्म कर 23 लाख लोगों को गैर अपराधी बनाया गया (23,00,000 tribals being decriminalised).
1952 में नेहरू सरकार ने  हिन्दुस्तान को टिडने वाले इस कानून को खत्म करने के बजाय इस कानून को बदल कर – The Habitual Offenders Act (HOA) (1952) नाम दे दिया। और जो पहले से अपराधी समुदाय के एक बदनुमा दाग लेकर जीने को बाध्य थे उनको denotified tribes नाम देकर, एक और सामाजिक धब्बा उनकी पीठ पर छाप दिया – अर्थात विमुक्त जाति। इस आज़ाद भारत में भी ढेर सारे विमुक्त जाति के लोग PASA  (Prevention of Anti-social Activity Act) के अंतर्गत चिन्हित होते रहे. इन समुदायों के ज़्यादातर लोगो को BPL की स्थिति मे होने के बावजूद इनको SC, ST या OBC के ग्रुप से अभी भी बाहर रखा गया है। नेशनल ह्यूमन राइट कमिशन और UN ने इस कानून को ख़त्म करने की सिफारिश की थी, क्योंकि इसमें ज़्यादातर नियम कानून Criminal Tribes Act से ही लिए गए हैं. अभी इस कानून की वैधानिक स्थिति क्या है, ये तो मुझे नहीं पता लेकिन इस विमुक्त जाति मे 60 मिलियन यानि 6 करोड़ भारतीय लोग शामिल है. राजभर भी उनमे से एक हैं. ये मॉडर्न caste system की एक और पोल खोलता है कि इसका भारत से कोई संबंध नहीं है, ये ईसाई अंग्रेजों का भारत को एक उपहार है. विडम्बना ये है कि Annihilation of Caste की कसमें खाने वाले डॉ अंबेडकर को भी भारत के एक बड़े वर्ग पर ये क्रूर अन्याय दिखाई न दिया?? क्योंकि वे बौद्ध तो 1956 मे बने थे, और स्वतंत्र भारत मे ब्रिटिश कानून की नकल कर जवाहर लाल ने इन लोगों को पैदायशी अपराध से 1952 मे विमुक्त किया था । अखंड भारत पर न जाने किसकी नज़र लग गयी कि इसको नोंच नोंच कर आज इसके भूभाग को इतना कम कर दिया है। यह लाखों हज़ारों सालों मे नही बल्कि बहुत कम समय मे हो गया है। किशी भी देश की एकता अखंडता उस देश के नागरिकों, उनके धर्म पर आधारित रहती है। हिन्दुस्तान नाम हिन्दू से पड़ा। इसलिए हिंदुओं को तोड़ो और हिन्दुस्तान पर राज़ करो करना अंग्रेज, मुगल, हमारे पड़ोसी देश और आज के सेक्युलर कहलाने वाले तथाकथित राजनेता इस काम को बखूबी अंजाम देने मे लगे है जिससे हम देशवासिओं को सचेत रहने की आवश्यकता है।  वर्षों से अखंस भारत को तोड़ने का यह सडयंत्र आज भी निर्रन्त्र प्रगति पर है। हिंदुस्तान  मे 80 प्रतिशत्त हिंदुओं को आपस मे तोड़े बिना हिन्दुस्तान को तोड़ा नही जा सकता इसलिए हिंदुओं मे समानता लाने  के लिए आरक्षण का 10 वर्षों तक इंतजाम किया गया था ।आज यह विषय इतना ज़हरीला बन चूका है की जो भी इसको छूता है उसमे ज़हर भर जाता है। ज़हर बाटने वाला आज जहर पिलाकर हिन्दू समाज को टूटने से बचाना नही चाहता और ज़हर को जहर बताने वाले , और ज़हर पीकर खुस होने वाले लोगों की लड़ाई देखकर दुसमन खुस हो रहा है।हिंदुस्तान के उस दुश्मन को हिंदुस्तान के एक और विखंडन के मन्सूबे सफल होते नज़र आ रहे होंगे।

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