13 जुलाई 2016

वेदों में छुपा है बरमूडा ट्रायंगल का अनसुलझा रहस्य



दुनिया रहस्यों से भरी पड़ी है, हर तरफ रहस्यमयी घटनाओं और जगहों का जिक्र सुनने को मिलता ही रहता  है। आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसी ही रहस्यमयी जगह की जिसका रहस्य वेदों में छुपा हो सकता है। बरमूडा ट्रायंगल जो कि अटलांटिक महासागर के पश्चिमी हिस्से में स्थित है, जिसका रहस्य अभी भी अनसुलझा हुआ है, कहा जाता है कि बरमूडा ट्रायंगल में कई एयरक्राफ्ट और जहाज बड़े ही रहस्यमय परिस्थिति में गायब हो चुके हैं।


अमेरिकी नौसेना भले ही मानती हो कि ऐसा कोई टापू नहीं है, पर वहां से जुड़ी घटनांए जब भी सामने आती हैं तो उनके दावों पर संदेह प्रस्तुत करती हैं। नौसेना भी इस पर ज्यादा स्पस्ट दिखाई नहीं देती है। वैसे तो समय-समय पर बरमूडा ट्रायंगल के रहस्य को सुलझाने के कई दावे किये गये हैं, जबकि अभी भी इसके पीछे का रहस्य अनसुलझा ही है।  कुछ का मानना है कि बरमूडा ट्रायंगल के अंदर एक छुपा हुआ पिरामिड है, जो चुम्बक की तरह हर चीज़ को खींचता है। लगातार जहाजों के गायब होने लगभग 500 साल बाद इसे “डेंजरजोन ” नाम से जाना जाता है । इस रहस्यमयी टापू के लिए एक तर्क यह भी दिया जाता है कि  साल 1492 में अमेरिका की यात्रा के दौरान कोलम्बस ने भी इस जोन में कुछ चमकता हुआ देखा था, जिसके बाद उनका दिशा सूचक ख़राब हो गया। इसके अलावा कई ऐसी घटनाएँ हुई, जिसका कारण आज तक कोई नहीं जान पाया है। परंतु विश्व की सबसे पुरानी और आज तक विद्यमान वैदिक संस्कृति के मुख्य ग्रन्थ वेद मे इसके कुछ प्रमाण मौज़ूद हो सकते है जिसका अध्ययन नासा द्वारा किया जा रहा है।


1. लगभग 23000 सालों पहले लिखे गए ऋग्वेद के अस्य वामस्य में कहा गया है कि मंगल का जन्म धरती से हुआ है।
2. ऋग्वेद में लिखा है कि जब धरती ने मंगल को जन्म दिया, तब मंगल को उसकी मां से दूर कर दिया गया, तब भूमि ने घायल होने के कारण अपना संतुलन खो दिया (और धरती अपनी धुरी पर घूमने लगी)। उस समय धरती को संभालने के लिए दैवीय वैध, अश्विनी कुमार ने त्रिकोणीय आकार का लोहा उसके चोटहिल स्थान में लगा दिया और भूमि अपनी उसी अवस्था में रुक गई।
3. यही कारण है कि पृथ्वी की धुरी एक विशेष कोण पर झुकी हुई है, धरती का यही स्थान बरमूडा ट्रायंगल है।
4. सालों तक धरती में जमा होने के कारण त्रिकोणीय लोहा प्राकृतिक चुम्बक बन गया और इस तरह की घटनाएं होने लगीं।
5. अथर्व वेद में कई रत्नों का उल्लेख किया गया है, जिनमें से एक रत्न है दर्भा रत्न है।
6. उच्च घनत्व वाला यह रत्न न्यूट्रॉन स्टार का एक बहुत ही छोटा रूप है।
7. दर्भा रत्न का उच्च गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र, उच्च कोटि की एनर्जेटिक रेज़ का उत्त्सर्जन और हलचल वाली चीज़ों को नष्ट करना आदि गुणों को बरमूडा ट्रायंगल में होने वाली घटनाओं से जोड़ा जाता है।
8.   इस क्षेत्र में दर्भा रत्न जैसी परिस्थिति होने के कारण अधिक ऊर्जावान विद्युत चुंबकीय तरंगों का उत्त्सर्जन होता है, और वायरलेस से निकलने वाली इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक तरंगों के इसके संपर्क में आते ही वायरलेस ख़राब हो जाता है और उस क्षेत्र में मौजूद हर चीज़ नष्ट हो जाती है।


इन सभी घटनाओं को मानना या ना मानना विज्ञान के ऊपर निर्भर करता है। वेद बहुत ही प्राचीन ग्रन्थ हैं कई बार वैज्ञानिक विशलेषणों पर खरी उतरी हैं पर फिर भी वेंदो की बात को हम काट नहीं सकते हैं क्योंकि हमारा विज्ञान अभी भी बहुत पीछे है।



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