सऊदी अरब की वह रात दिल दहलाने वाली थी। सोमवार की रात को एक के बाद एक सिलसिलेवार आत्मघाती हमलों में कम से कम 36 लोग मारे गए। घायलों की संख्या 150 बताई जा रही है। पहला हमला मदीना शहर में पैगंबर मोहम्मद की मस्जिद के बाहर हुआ। हैरानी की बात तो यह हैं कि मक्का के बाद मदीना इस्लाम धर्म में सबसे पवित्र मानी जाने वाली जगह है। हर साल दुनिया भर से करोड़ों लोग यहाँ आते हैं। जेद्दाह में अमेरिकी दूतावास और अल-कातिफ में शिया समुदाय के लोगों पर भी अलग-अलग हमले हुए हैं।
सऊदी अरब के प्रवक्ता ने बताया है की अमेरिकी दूतावास के बाहर विस्फोट कर खुद को उड़ा लेने वाला आत्मघाती हमलावर पाकिस्तानी था। उस आतंकी का नाम अबदुल्ला गुलज़ार बताया जा रहा है। इन हमलों की जिम्मेदारी अब तक किसी संगठन ने नहीं ली है। पर हमले की तकनीक से यह साफ़ ज़ाहिर है की इन हमलों में इस्लामिक स्टेट का हाथ था।
अमेरिका ने सऊदी अरब से दूतावास के बाहर हुए हमले के बारे में रिपोर्ट मांगी। रमजान के महीने में दुनिया के कई कोनों में यह हमले हुए । बांग्लादेश, बगदाद, सऊदी अरब, जेद्दाह, इए कुछ देश है जो इन आतंकी हमलों से जूझ रहे हैं। इस हमले से यह बात तो जग जाहिर हो गयी कि कुछ लोग इस्लाम के नाम पर आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे है। उनका दावा है कि असली इस्लाम यही है जो वे कर रहे हैं। ऐसा करने से उनको जन्नत हासिल होगी। इस बात ने एक नई बहस जो जन्म दे दिया है कि क्या वाकई इस्लाम मे जिहाद करने का यही एक मात्र तरीका है जैसा आतंकवादी लोग कर रहे हैं।
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