22 जुलाई 2016

शिवमंदिर , जिसको आधार मानकर संसद भवन बना




भारतीय पुरातत्व विभाग के मुताबिक़, इस मंदिर को नवीं सदी में बनवाया गया था। कभी हर कमरे में भगवान शिव के साथ देवी योगिनी की मूर्तियाँ भी थीं, इसलिए इसे चौंसठ योगिनी शिवमंदिर भी कहा जाता है। देवी की कुछ मूर्तियाँ चोरी हो चुकी हैं। कुछ मूर्तियाँ देश के विभिन्न संग्रहालयों में भेजी गई हैं। तक़रीबन 200 सीढ़ियाँ चढ़ने के बाद यहाँ पहुँचा जा सकता है। यह सौ से ज़्यादा पत्थर के खंभों पर टिका है। भारत देश में बहुत से रहस्य और चम्तकार देखने को अक्सर मिल जाते हैं। मंदिरो के इस देश में हजारों, लाखों साल पुराने मंदिर हैं जो अपनी-अपनी सुंदरता और प्रचीनता के लिए प्रसिद्ध हैं। आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे मंदिर की जो देखने में एकदम भारतीय संसद की तरह लगता है। हमारे संसद को माना जाता है कि इसे ब्रिटिश सरकार के वास्तुकारों ने बनाया था। मुरैना जिले के मितावली गांव में स्थित चौंसठ योगिनी शिवमंदिर अपनी वास्तुकला और गौरवशाली परंपरा के लिए आसपास के इलाके में तो प्रसिद्ध है, लेकिन मध्यप्रदेश पर्यटन के मानचित्र पर जगह नहीं बना सका है। इस मंदिर को गुजरे ज़माने में तांत्रिक विश्वविद्यालय कहा जाता था। उस दौर में इस मंदिर में तांत्रिक अनुष्ठान करके तांत्रिक सिद्धियाँ हासिल करने के लिए तांत्रिकों का जमवाड़ लगा रहता था। मौजूदा समय में भी यहां कुछ लोग तांत्रिक सिद्धियां हासिल करने के लिए यज्ञ करते हैं। 
एडविन ने इसी तर्ज पर बनाया संसद भवन
यह स्थान ग्वालियर से क़रीब 40 कि.मी. दूर है। इस स्थान पर पहुँचने के लिए ग्वालियर से मुरैना रोड पर जाना पड़ेगा। मुरैना से पहले करह बाबा से या फिर मालनपुर रोड से पढ़ावली पहुँचा जा सकता है। पढ़ावली ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। यही वह शिवमंदिर है, जिसको आधार मानकर ब्रिटिश वास्तुविद् सर एडविन लुटियंस ने संसद भवन बनाया


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