31 जुलाई 2016

एक शहीद सैनिक, जो आज भी देश की सेवा में है!


देश की सरहदों पर देश की रक्षा करते हुए सैनिको के बारे मे तो आपने सूना ही है पर पिछले 45 सालों से बाबा हरभजन सिंह  की आत्मा अब भी देश की सरहदों की रक्षा मे ततपर है। भारत चीन की फ्लैग मीटिंग मे आज भी उस सहीद सैनिक की कुर्सी लगाई जाती है। चीन की तरफ से होने वाले किसी भी संभावित खतरे को भांपकर बाबा हरभजन सिंह की आत्मा हमारे देश की सेना को आगाह कर देती है। यह बात चीन के सैनिक भी मानते है।भारतीय पुलिस हो या सेना, इन जैसे सतर्क और बेहद संजीदा अमले में अंधविश्वास की कोई जगह नहीं होती. लेकिन ये कहानी है भारतीय सेना के विश्वास की, जो वास्तविक होकर भी अविश्वसनीय है। 
एक सैनिक है, जो मरणोपरांत भी अपना काम पूरी मुस्तैदी और निष्ठा से कर रहा है. मरने के बाद भी वो सेना में कार्यरत है और प्रति माह मिलने वाले वेतन के साथ साथ उसकी पदोन्नति भी होती है और हर वर्ष उनको घर जाने के लिये 2 माह की छुट्टी भी दी जाती है।  हैरान करने वाली ये दास्तान है बाबा हरभजन सिंह की। 30 अगस्त 1946 को जन्मे बाबा हरभजन सिंह, 9 फरवरी 1966 को भारतीय सेना के पंजाब रेजिमेंट में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे. 1968 में वो 23वें पंजाब रेजिमेंट के साथ पूर्वी सिक्किम में सेवारत थे. 4 अक्टूबर 1968 को खच्चरों का काफिला ले जाते वक्त पूर्वी सिक्किम के नाथू ला पास के पास उनका पांव फिसल गया और घाटी में गिरने से उनकी मृत्यु हो गई. पानी का तेज बहाव उनके शरीर को बहाकर 2 किलोमीटर दूर ले गया. कहा जाता है कि उन्होंने अपने साथी सैनिक के सपने में आकर अपने शरीर के बारे में जानकारी दी. खोजबीन करने पर तीन दिन बाद भारतीय सेना को बाबा हरभजन सिंह का पार्थिव शरीर उसी जगह मिल गया.
कहा जाता है कि सपने में ही उन्होंने इच्छा जाहिर की थी कि उनकी समाधि बनाई जाये. उनकी इच्छा का मान रखते हुए उनकी एक समाधि भी बनवाई गई. लोगों में इस जगह को लेकर बहुत आस्था थी लिहाजा श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना ने 1982 में उनकी समाधि को 9 किलोमीटर नीचे बनवाया दिया, जिसे अब बाबा हरभजन मंदिर के नाम से जाना जाता है. हर साल हजारों लोग यहां दर्शन करने आते हैं. उनकी समाधि के बारे में मान्यता है कि यहाँ पानी की बोतल कुछ दिन रखने पर उसमें चमत्कारिक गुण आ जाते हैं और इसका 21 दिन सेवन करने से श्रद्धालु अपने रोगों से छुटकारा पा जाते हैं।उनके मंदिर मे रात दिन सैनिको के साथ साथ श्रद्धालुओं का मेला लगा रहता है।

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