17 नवंबर 2016

किस तरह हो सकता है पृथ्वी का अंत

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मेरा भारत महान

पृथ्वी हमारा घर है और हम इस ग्रह पर आदिकाल से रहते आये हैं, सौर मंडल के इस तीसरे ग्रह पर ही अभी तक जीवन पाया गया है। वैज्ञानिक मानते हैं कि पृथ्वी का जन्म आज से करीब 450 करोड़ वर्ष पहले हुए था। इस ग्रह पर जानवर मनुष्य और करोडो प्रजातियां रहती हैं और अपना जवन-यापन करती हैं। वैज्ञानिक आज भी हमारे इस अद्भुत ग्रह के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि इसकी संरचना आज से करीब 450 करोड वर्ष पहले आरंभ हुई थी, विज्ञान पृथ्वी के जीवन के बारे में ज्यादा नहीं जानता है। इस प्रकार पृथ्वी रहस्य ही है जबसे हम मानवों ने विज्ञान की दृष्टि विकसित की है तबसे हमें एक सवाल हमेशा से ही आस्चर्य में डालता है कि आखिर पृथ्वी का अंत होगा कैसे किन कारणों से पृथ्वी पर मानव और अन्य प्रजातियां नष्ट हो जायेंगी।वैज्ञानिक द्रष्टीकोण से इस केमिस्ट्री को देखा जाए कि कैसे तत्व ही तत्व का नास करता है ? पृथ्वी तत्व को जल तत्व अपने आप मे घोलित कर लेता है, पृथ्वी तत्व रहता ही नही।  जल तत्व को अग्नी तत्व सुखा देती है, जल रहता ही नही। अग्नी तत्व को वायू तत्व बुझा देती है, अग्नी रहती ही नही। वायू तत्व को आकाश तत्व विलोम कर देता है।वायू तत्व रहता नही। सब तत्वों के समाप्त होने के बाद भी अंतिम तत्व बचा रह जाता है, उसको समाप्त करने की ताकत केवल वह एक मे है जो है वह अंतिम ,सर्वशक्तिमान, सबका पिता, सबका मालिक । वह जब तक चाहे सृस्टि को बनाये रखे, यह उसकी अपनी इच्छानुसार तय है , यह कार्य उसके अलावा अन्य कोई नही कर सकता। 

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