18 नवंबर 2016

क्रांतिनायक नरेद्र मोदी

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मेरा भारत महान

इससे पहले कि मैं अपना लेख प्रारम्भ करू मैं एक कहानी जो मैंने बचपन मे पढी थी आपको सुनाना जरूरी समझता हूँ. एक चित्रकार थे उन्होने एक बहुत ही बडे चित्रकार से शिक्षा ली. समय के साथ वह प्रसिद्ध भी हो गये. एक दिन उनके मन मे विचार आया कि चलो जनता से ही सच्चाई जान ले कि वह कितने बडे चित्रकार हैं. इसके लिये उन्होने एक पेंटिंग बनायी और उसे शहर के चौराहे पर टांग दिया और साथ ही यह बोर्ड भी लगा दिया कि जिस किसी को भी इस चित्र मे कोई कमी किसी जहग पर नज़र आये तो वह उस पर निशान लगा दे. अगले दिन जब वह चित्रकार अपनी पेंटिंग देखने जाता है तो पाता है कि सारी ही पेंटिंग पर कमी होने के चिन्ह लगे हैं. इससे वह चित्रकार बहुत निराश हुआ, उसे लगा कि वह तो चित्रकारी जानता ही नही है. उसकी अब तक की सारी शिक्षा, मेहनत बेकार ही साबित हुई. उस निराश चित्रकार ने अपनी पेंटिंग उठाई और अपने गुरु के पास गया. गुरु ने चित्रकार से पूछा कि क्या बात है? तुम इतने निराश, हताश से क्योँ दिख रहे हो. तो चित्रकार ने अपनी पेंटिंग दिखाते हुए सारी घटना का विवरण गुरु जी को दिया. तब गुरु जी ने कहा कि तुम अव इससे बुरी पेंटिंग बनाओ और इस बार पट्टी लगाओ कि जिसे जो भी कमी इस चित्र मे नज़र आती है उसे सुधार दे. चित्रकार ने वैसा ही किया और जब अगले दिन वह उसी चोराहे पर अपनी पेंटिंग को देखने गया तो उसमे किसी ने कोई सुधार नही किया. अब चित्रकार को गुरु जी के कथन का अर्थ समझ मे आ गया.

अब बात करते हैं हमारे प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी जी की. उन्होने 8 नवम्बर की रात 8 बजे से 500 और 1000 के नोट का चलन बंद कर दिया है. अब इस पर विपक्ष गलतिया निकाल रहा है. कुछ लोग समय सीमा बढाने की मांग कर रहे हैं. पर इस तरह तो कालेधन की जिस समस्या से निपटने के लिये यह कदम उठाया गया है वह बेकार हो जायेगा, समय ही तो नही देना है कालाधन रखने वालो को. इतने कम समय देने के बाद भी जब कुछ लोग अपने - अपने जुगाड से कुछ न कुछ तो कालेधन को बदलने मे लगे हैं तो समय मिलने पर तो योजना का बंटाधार ही हो जाता. आमजनता की परेशानी के नाम पर यह राजनितिक दल अपनी अपनी राजनितिक रोटियाँ सेकने मे लगे हैं. अधिकतर आम जनता तो यही कह रही है कि हम यह परेशानी झेलने के लिये तैयार हैं.

लाइने कम क्योँ नही हो रही? मैं टी वी पर लम्बी - लम्बी कतारेँ देख रहा था जो दिल्ली की थी. हमारे छोटे शहर मे तो 50 से 100 लोगोँ तक की ही लाइन दिख रही थी. मैं शनिवार को ही चेक से 10,000 रुपये निकाल कर लाया. कुल 15 मिनट के करीब लगे पैसे लेने मे. मेरे आगे एक अधेड महिला खडी थी और एक बुजुर्ग थे मैंने उन दोनो से निवेदन किया कि आप कुर्सी पर बैठ जाँय, जब उनका नम्बर आयेगा तब ही काउंटर पर आये. मेरे से आगे सिर्फ 10-12 लोग थे. दोनो ही बहुत खुश हुए. इस बीच एक परेशान सेना के व्यक्ति भी आये उन्हे बहुत जरूरत थी और समय उनके पास नही था उन्हे मैंने अपने से पहले आने दिया. यह सेना के प्रति मेरा सम्मान था. अन्य किसी ने भी एतराज नही किया. ज्यादा लाइन ए टी एम पर और 4000 रुपये बदलवाने वालो की थी. बाद मे पता किया तो कारण समझ मे आया. कुछ व्यापारियो, विजनेस करने वालोँ ने अपने कर्मचारियो को चार - चार हजार की 3-4 गड्डियाँ थमा रखी थी. जो अपने एकाउंट मे अपनी - अपनी आई डी के साथ जमा कराने के लिये दे रखे थे. अब यह लोग एक बर पैसे जमा करा कर फिर से लाइन मे लग रहे थे इसलिये लाइन कम नही हो रही हैं. कल ही मेरे एक पत्रकार मित्र ने एक जानकारी दी कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत के आफिस के बाहर असाधारण भीड़ देखी गयी. जासूसी करने पर पता चला कि उन्होने भी अपने कर्मचारियोँ, अजीजो, यहाँ तक कि अपने सुरक्षा कर्मी पुलिस वालोँ को भी नोट बदलने के लिये दिये. अब ऐसा ही अन्य दलोँ के नेता भी कर रहे होंगे इसमे संदेह नही हो सकता. यही कारण है कि भीड़ कम नही हो रही है. मैंने तो 5000 रुपये अन्य जरूरत मंद रिश्तेदारोँ को दे दिये. ऐसे समय पर दूसरोँ के काम आना ही मानवता है. बाकी पांच हजार से तो मेरा पूरा महीना चल जायेगा. मुझे 100 के नोट की गड्डी दी थी बैंक ने. तो इस तरह मैंने एक व्यक्ति ने तीन लोगोँ की सहायता कर दी. ऐसा ही सब करेँ तो दिक्कत नही होगी.
अब याद करते हैं वह समय जब मोरारजी देसाई ने 1000, 5.000 और 10,000 के नोट बंद किये थे 1978 मे. उस वक्त आम जनता को कोई परेशानी नही हुई थी. क्योंकि आम जनता के पास अधिकतम 100 रुपये का नोट होना भी बडी बात थी. मेरे पिताजी का वेतन मात्र 400 रुपये था. ऐसे कम ही लोग रहे होंगे जिनका वेतन 3 - 4 हजार से उपर रहा होगा. तो इससे पहले तो सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस की सरकार थी तो यह 1000, 5000, और 10,000 के नोट कांग्रेस सरकार क्योँ लायी थी. हमने तो यह नोट देखे भी नही थे. यह कालाधन रखने वालोँ की सुविधा के लिये ही लाये गये थे. इसमे किसी को कोइ संदेह नही होना चाहिये. कांग्रेस ने ही इस देश मे कालेधन की समस्या पैदा की है. कांग्रेस ने ही इस देश को वह रास्ता दिखाया कि कैसे कालाधन बनाया और छुपाया जा सकता है. आज परेशानी इसलिये हो रही है क्योंकि आम लोग भी 500 और 1000 का नोट रखते हैं. इसकी जरूरत सभी को है. पर हम भी सन्यम से काम नही लेते. एक अफवाह क्या उडी की सभी नमक पर टूट पड़ते हैं, नमक की बोरी तक खरीदने के लिये लोगोँ के पास पैसे थे तो क्या घर खर्च चलाने के लिये नही थे. जब नमक के लिये यह हाल था तो फिर यह तो नोट का मामला है. आप ध्यान देँ कि बिजली, पानी, स्कूल फीस आदि जमा कराने के लिये हम अंतिम तारीख का इंतजार करते हैं. अंतिम दिन ही भीड होती है. पर अब सभी को सबसे पहले नोट निकालने हैँ अब कुछ दिन का इंतजार नही कर सकते जब भीड कम हो जायेगी. अब जिसे जरूरी है उसी को पहले नोट निकालने देँ तो कोई समस्या नही रहेगी.
अब बात करते है इस आरोप की कि सरकार ने पहले ही ए टी एम मे जरूरी फेरबदल क्योँ नही किये ताकि जनता को परेशानी न हो. क्योंकि अब तो वित्त मंत्री और आर बी आइ ने भी कह दिया है कि ए टी एम के सोफ्टवेयर मे बदलाव की जरूरत है और यह वह पहले से ही जानते थे पर कर नही सकते थे क्योँकि इससे गोपनीयता भंग होती. बैंक वालो को तो पता चलता ही और उससे आगे भी बात सारे देश मे और पाकिस्तान मे वैठे नोट छापने वालो और देश के अंदर कालाधन रखने वालो को भी पता लग जाता. फिर भी इतने दिन क्यो लग रहे है? इसका उत्तर जानने के लिये मैंने एक बैंक मेंनेजर से बात की तो उन्होने बताया कि ए टी एम मे जो सोफ्टवेयर हैं वह दो विदेशी कम्पनियोँ के है. हर क्षेत्र मे सिर्फ एक ही इंजीनियर होता है जो इसका जानकार होता है. क्योंकि उन्हे भी इसमे गोपनीयता बनाये रखनी होती है. इसलिये इसमे समय लगेगा. इससे समझ मे आया क्योँ मोदी ने 50 दिन मांगे हैँ.
अब एक और आरोप आ रहा है कि किसी ने तो 6 तारीख को ही फेस बुक पर 2000 के नोट की तस्वीर डाल दी थी. इसका उत्तर भी जेटली ने दे दिया है. कि नोट तो पहले से ही छापे जा रहे थे और 6 तारीख को वह दस विभिन्न केंद्रोँ मे गोपनीयता के साथ ही पहुंचाये गये और वहाँ से बैंक मे जाने थे. इसी समय किसी कर्मचारी ने 2000 के नोट की फोटो खींची और फेसबुक पर डाल दी. मेरे विचार मे अब इस व्यक्ति पर कठोर कार्यवाही की जानी चाहिये जिसने इस गोपनीयता को भंग किया. अब सवाल यहाँ पर यह है कि मात्र 10 स्थानो पर नोट ले जाने पर गोपनीयता भंग हो गयी तो अगर सारे देश मे सारे बैंको मे और सारे ए टी एम मे एक साथ नोट पहुंचाने की कोशिश पहले से की गयी होती तो कितने दिन पहले यह काम शुरु करना पडता और कितने पहले ही यह गोपनीयता भंग हो जाती? कितनी भी कोशिश कर लो सभी बैंको तक और ए टी एम तक एक दो दिन मे यह काम हो ही नही सकता था. फिर क्योंकि फेस बुक पर लोग फोटोशोप करके अनाप - शनाप फोटो और अफवाह फैलाते रहते है. इसलिये इस पर किसी ने ध्यान नही दिया. और यह अच्छा ही हुआ. इस फोटो की खबर केजरीवाल को भी 11 तारीख को लगी तो बाकी को क्या लगती. जनता को भडकाने के लिये अब राजनीतिक दल भी मैदान मे आ चुके है. आप टी वी पर दिखायी जाने वाली भीड़ पर गौर कीजिये इसमे भीड़ बढाने के लिये लोग बिठाये गये है. कल तो मोदी मुर्दाबाद के नारे लगवाये जा रहे थे और नारे लगाने वाले कुछ तो बच्चे थे और कुछ भाडे के. एन डी टी वी पर जब ए टी एम के आगे की भीड़ मे खड़े युवक से परेशानी पूछी तो उसने बता दी पर जब वह कहने लगा कि मोदी ने अच्छा .... तो माइक उसके आगे से हट गया. शाम को एन डी टी वी की बहस मे खास जे एन यु से प्रोफेसर बुलाये गये पर अच्छा था कि पूर्व आर बी आइ गवर्नर भी थे जिन्होने इस कदम पर मोदी का समर्थन किया, दोनो प्रोफेसरो ने क्या कहा  कहने की जरूरत नही है क्योंकि जे एन यु से थे. पर अफसोस इस बात का था कि वह तर्क नही कुतर्क कर रहे थे.
कश्मीर मे 8 तारीख के बाद से ही पत्थरबाजी बंद है. जो काम पेलेट गन से न हो पाया मोदी के इस एक फैसले ने कर दिया. अब गनी लोन आदि के पास तो पाकिस्तान से आये 500 और 1000 के नोट ही हैँ जो अब चल नही रहे है तो पत्थरबाज बेकार हो गये. देश ही नही विदेशोँ मे भी मोदी के इस सराहनीय कदम की तारीफ हो रही है. पाकिस्तान मे भी मांग हो रही है कि मोदी जैसा फैसला यहाँ की सरकार क्योँ नही लेती. भ्रष्टाचार और कालाधन तो वहाँ भी है. जनता तो वहाँ की भी परेशान है. हमारे शहर मे कुछ बिल्डर, व्यापारी, डाक्टर को दिल का दौरा पड़ चुका है. देश के युवराज लाइन मे लग गये है. जो जनता आज लाइन मे लगी है कष्ट मे है कल उन्हे ही महसूस होगा कि अब देश भी जो पटरी से उतर चुका था वह भी लाइन पर आ गया है.
यह भारत की आर्थिक आज़ादी है और इसके नायक है नरेद्र दामोदरदास मोदी.
भारत माता की जय! वंदे मातरम! 

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