2 नवंबर 2016

क्या पेंसिल से पर्यावरण शुद्ध किया जा सकता है।

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मेरा भारत महान


जब पेंसिल का लिखने वाला हिस्सा खत्म हो जाता है तो रबड़ वाले हिस्से को आप गमले में लगा सकते हैं, जिससे वह गमले में पौधे का रूप लेने लगेगा। इसके लिए सूर्य की रोशनी और पानी देना होगा और यह पेंसिल ही एक पौधे में बदलने लगेगी। इनको स्प्राउट पेन्सिल  कहते हैं।

 पेन्सिल के अंत मे रबड़ निकालकर उसमें बीज डॉल दें और खाद भर दें और गमले मे बो दें। रोज पर्याप्त मात्रा मे पानी डालें। कुछ दिनों बाद एक नन्हा पोधा जन्म लेने लगेगा और कुछ ही दिनों मे बड़ा हो जायेगा।इसमें कई तरह के बीजों का इसतेमाल किया जा सकता है,  जैसे – स्ट्राबेरी, टमाटर,  सूरजमुखी , टकसाल , लैवेंडर, चेरी टमाटर, मीठे मटर , और जंगली स्ट्रॉबेरी प्रमुख है। जिस पेंसिल का निर्माण जिसकी लकड़ी से हुआ होगा, पोधे की बाहरी परत उस पोधे को सहारा दे रही होगी। तो अंदर की नोक ग्रेफाइट से बनी हुई होगी।  इसके बीज भी सेलूलोज़ जैसे प्राकृतिक प्रदार्थ से बने हुए होते हैं, औऱ यब बच्चों के लिए एकदम सुरक्षित हैं। फिलहाल कंपनी इसके निर्माण के लिए युरोप और पश्चिमी अमेरिका को तलाश रही है।इससे वातावरण तो सुरक्षित रहेगा ही, बल्कि बच्चे औऱ बड़े लोग  पौधे लगाकर पर्यावरण को मजबूत बनाकर एक अच्छी पहल की सुरुवाद भी कर सकेंगे।

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