9 जून 2016

एक रहस्य। संत का श्राप बना था इंदिरा की मृत्यु का कारण



 वैसे तो सभी जानते है कि इंदिरा गांधी की हत्या उन्ही के अंगरक्षकों ने कर दी थी पर सदियों से चली आ रही श्राप की परंपरा और इसके विस्वास को झुटला देने पर भी आसानी से विस्वास नही किया जा सकता। जो लोग इस परम्परा पर विशवास रखते है उनका मानना है कि इंदिरा गांधी की हत्या के पीछे एक संत का श्राप था जो उन्होंने अपने वादे पर मुकरने के लिए इंदिरा को दे दिया था और वही श्राप भविष्य मे सच साबित हुआ था ! 1966 के समय में एक़ संत थे क्रपात्री जी महाराज। इंद्रा जी महाराज के पास चुनाव जीतने का आशीर्वाद लेने गयी थी और उनके आशीर्वाद से इंद्रा गांधी चुनाव जीती भी थी । क्रपात्री जी ने गायों के कत्लखानो को बन्द करने के उद्देश्य से इंदिरा जी से वादा करवा लिया था कि चुनाव जीतने के बाद वह भारत मे गाय के सारे कत्ल खाने बंद करवा देंगी और इंदिरा जी ने इसपर हामी भरी थी कि हालांकि इस बार मेरा चुनाव जीतना मुश्किल है फिर भी आपके आशीर्वाद से यदि  इस चुनाव मे वो जीत गयी तो भारत के सारे गायों के कत्लखाने बन्द कर दिए जायेंगे।

और जैसा की आप जानते हैं । वादे से मुकरना नेहरु परिवार की खानदानी आदत है ।चुनाव जीतने के बाद कृपात्री जी महाराज ने इंदिरा जी से अपने वायदे को पूरा करने का अनुरोध किया कि अब आप गाय के सारे कत्ल खाने बंद करवा दीजिये पर इंद्रा ग़ांधी ने पलटी मार ली और कहा कि यह काम मुश्किल है क्योंकि मुस्लिम नाराज हो सकते है इसलिए  कोई कत्लखाना बंद नहीं करा जा सकता है।। ज्ञात हो उस समय रोज  पंद्रह हज़ार गाये  कत्ल की जाती थी जबकी आजकल एक लाख गायें काटी जाती है। भारत आज गाय का माँस बेचने वाले देशो में दूसरे नंबर पर आ गया है ।
इंदिरा जी के इस व्यवहार से क्रपात्री जी महाराज बहुत खिन्न हुए और क्रपात्री जी महाराज का धैर्य टूट गया ! क्रपात्री जी ने एक दिन लाखो भक्तों के साथ संसद क़ा घिराव कर दिया और मांग  की कि गाय के  कतलखाने बंद होगे इसके लिये बिल पास करो। बिल पास करना तो दूर इंद्रा गांधी ने उन भगतों पर  गोलियाँ  चलवा दी । सैंकड़ो गौ सेवको मारे गए । तब क्रपात्री जी ने इंदिरा जी की इस धर्स्टता पर  श्राप दे दिया कि जिस तरह तुमने गौ सेवको पर गोलियाँ चलवाई है इसी तरह तुम भी मारी जाओगी ! आप इसे इत्तेफाक कहें या श्राप का फल कि जिस दिन इंदिरा गांधी पर गोलिया चली थी उस दिन गोपा अष्टमी थी। सनातन धर्म की परम्पराओं के  अनुसार गाय की पूजा का सबसे बड़ा  और सुभ दिन। 

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