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आपने बचपन से सुना होगा, पृथ्वी गोल है,चंदा गोल है, ग्रह नक्षत्र भी गोल है , लेकिंन थोड़ा पढ़ लिख लेने के बाद हमको पता चलता है कि न तो पृथ्वी गोल है न चंदा गोल है और न सूरज गोल है।आज वैज्ञानिक यह दावा करते है कि इस ब्रह्माण्ड मे कोई भी चीज गोल नही हो सकती, परंतु ये बात आज से 500 वर्ष पहले भारत मे जन्मे एक महान संत कवीरदास ने दुनिया के सामने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बतायी थी। उन्होंने ग्रहो के आकार, उनकी चाल, उनका रंग और तो और वे जिस मिश्रण के बने है उसका स्वाद भी बता दिया था। उनका कहना था कि ब्रह्माण्ड मे जितने भी ग्रह नक्षत्र और तारे है, वे गोल न होकर अंडाकार है। इतना ही नही इन ग्रहों की कक्षाओं का आकार भी अंडाकार है। ये इसलिए होता है कि इन पर दो तरह के बलों का प्रभाव होता है, जो गुरुत्वाकर्षण बल के कारण होता है।
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