11 जून 2016

ॐ की शक्ति।



सनातन धर्म मे  ॐ का बहुत महत्व है। ॐ  हर सुभ कार्य का प्रारम्भ है और अंत भी है। यह सनातन संस्कृति का आधार है ।यह एक शब्द नहीं अपने आप मे विज्ञानं को समेटे हुए है। इसके उपयोग से काफी शारीरिक और मानशिक लाभ भी है। यह मानव जाती के  लिए बहुत महत्वपुर्ण शब्द  हैं।
ॐ की रचना तीन अक्षरों से हुई है। कहते है जब जीव बिना अक्षर ज्ञान के बोलना प्रारम्भ करता है तो इन तीन अक्षरों से संबोधित करके अपनी भावनायें प्रकट करता है क्रमशः ये तीन शब्द है
अ उ म् ।
“अ” का अर्थ है उत्पन्न होना।
“उ” का तात्पर्य है उठना, उड़ना अर्थात् विकास या पालन।
“म” का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् “ब्रह्मलीन” हो जाना या विनाश।
ॐ सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और पूरी सृष्टि के संचालन के सिद्धान्त का द्योतक है। ॐ का उच्चारण अनेक शारीरिक और मानसिक लाभ प्रदान करता है।
जानिए ॐ कैसे है स्वास्थ्यवर्द्धक
  1. ॐ का उच्‍चारण करने से गले में कंपन पैदा होती है जो थायरायड ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।जिससे इस बीमारी मे लाभ होता है।
  2. अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ॐ के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं है ।इसके उच्चारण से कैलेस्ट्रोल कम होता है।
  3. यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले ज़हरीले द्रव्यों को नियंत्रण करता है।
  4. यह हृदय और ख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है।
  5. ॐ के उच्चारण से पाचन शक्ति तेज़ होती है।
  6. इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है।
  7. ॐ  थकान से बचाने के लिए उत्तम उपाय है।
  8. ॐ से नींद न आने की समस्या कुछ ही समय में दूर हो जाती है
  9. ॐ के प्रयोग से कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मज़बूती आती है।
  10. ॐ के पहले शब्‍द का उच्‍चारण करने से कंपन पैदा होती है। इन कंपन से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है।
  11. ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है।

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