ca-pub-6689247369064277
http://bcpantblog.blogspot.in// मेरा भारत महान
हर कार्य को करने के कुछ नियम होते है, तभी वः सफल भी होता है। यह व्रत केवल सुहागिनें या जिनका रिश्ता तय हो गया हो वही स्त्रियां रख सकती हैं। सास्त्रों के आधार पर व्रत रखने वाली स्त्री को काले या सफेद कपड़े कतई नहीं पहनने चाहिए। इस सुभ दिन को लाल और पीले कपड़े पहनना विशेष फलदायी होता है। करवाचौथ का व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक रखा जाता है। इस व्रत को निर्जल रहके ही रखना चाहिए। इस दिन पूर्ण श्रृंगार करना चाहिए। पूर्ण फल प्राप्ति के लिए इस दिन तामसी आहार व् विचार को त्याग देना ही श्रेष्ट होता है।
http://bcpantblog.blogspot.in// मेरा भारत महान
१०० साल बाद इस साल करवाचौथ का महासंयोग बन रहा है। इस बार यह त्यौहार बुधवार को मनाया जा रहा है। इस बार के महासंयोग का मुख्य कारण यह है कि बुधवार को शुभ कार्तिक मास का रोहिणी नक्षत्र है। ज्योतिष् गडणा के अनुसार इस दिन चन्द्रमा अपने रोहिणी नक्षत्र में रहेंगे। इस दिन बुध अपनी कन्या राशि में रहेंगे। इसी दिन गणेश चतुर्थी और कृष्ण जी के जन्म दिन का रोहिणी नक्षत्र भी है। बुधवार के दिन को मान्यतानुसार गणेश जी और कृष्ण जी दोनों का सुभ दिन माना जाता है। ये अद्भुत संयोग करवाचौथ के व्रत को और भी शुभ फलदायी बना रहा है। इस दिन पति की लंबी उम्र के वरदान के साथ साथ संतान सुख भी मिल सकता है। जानकारों की मानें तो इस बार करवाचौथ का एक व्रत करने से १०० व्रतों का वरदान मिल सकता है। चार संंयोग इस बार करवा चौथ को खास बना रहे हैं। बुधवार १९ अक्टूबर को चन्द्रमा वृषभ राशि में और रोहिणी नक्षत्र एक साथ रहेगा। इससे पहले इस तरह का संयोग करवाचौथ के दिन १९१६ में बना था। तब करवा कर चार महासंयोग एक साथ बने थे। ये अद्भुत संयोग करवाचौथ के व्रत को शुभ फलदायी बना रहा है।
करवाचोथ पूजा के लिए पूरी अवधि एक घंटे और 13 मिनट है। करवाचौथ पूजा का समय शाम ६ बजे शुरू होगा। शाम ७ बजकर १४ मिनट पर करवाचौथ पूजा करने का समय खत्म होगा। चंद्र उदय का मुहूर्त रात ८ बज कर २९ मिनट पर रहेगा।
कहते हैं जब पांडव वन-वन भटक रहे थे तो भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को इस व्रत के बारे बताया था। इसी व्रत के प्रताप से द्रौपदी ने अपने सुहाग की लंबी उम्र का वरदान पाया था। करवाचौथ के दिन श्री गणेश, मां गौरी और चंद्रमा की पूजा की जाती है। चंद्रमा पूजन से महिलाओं को पति की लंबी उम्र और दांपत्य सुख का वरदान मिलता है। विधि-विधान से ये पर्व मनाने से महिलाओं का सौंदर्य भी बढ़ता है। करवाचौथ की रात सौभाग्य प्राप्ति का फल निश्चित ही मिलता है।
हर कार्य को करने के कुछ नियम होते है, तभी वः सफल भी होता है। यह व्रत केवल सुहागिनें या जिनका रिश्ता तय हो गया हो वही स्त्रियां रख सकती हैं। सास्त्रों के आधार पर व्रत रखने वाली स्त्री को काले या सफेद कपड़े कतई नहीं पहनने चाहिए। इस सुभ दिन को लाल और पीले कपड़े पहनना विशेष फलदायी होता है। करवाचौथ का व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक रखा जाता है। इस व्रत को निर्जल रहके ही रखना चाहिए। इस दिन पूर्ण श्रृंगार करना चाहिए। पूर्ण फल प्राप्ति के लिए इस दिन तामसी आहार व् विचार को त्याग देना ही श्रेष्ट होता है।
सूर्योदय से पहले स्नान कर के व्रत रखने का संकल्पत लें। फिर मिठाई, फल, सेंवई और पूड़ी वगैरह ग्रहण करके व्रत शुरू करें। फिर संपूर्ण शिव परिवार और श्रीकृष्ण की स्थापना करें। गणेश जी को पीले फूलों की माला, लड्डू और केले चढ़ाएं। भगवान शिव और पार्वती को बेलपत्र और श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें। श्री कृष्ण को माखन-मिश्री और पेड़े का भोग लगाएं। उनके सामने मोगरा या चन्दन की अगरबत्ती और घी का दीपक जलाएं। मिटटी के कर्वे पर रोली से स्वस्तिक बनाएं। कर्वे में दूध, जल और गुलाबजल मिलाकर रखें और रात को छलनी के प्रयोग से चंद्र दर्शन करें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार जरूर करें। कथा सुनने के बाद अपने घर के सभी बड़ों का चरण स्पर्श करना चाहिए। फिर पति के पैरों को छूते हुए उनका आर्शिवाद लें। पहले पति को प्रसाद देकर भोजन कराएं और बाद में खुद भी भोजन करें।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें