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तेजस भारत द्वारा विकसित किया एक हल्का व कई तरह की भूमिकाओं वाला जेट लड़ाकू विमान है।इसका विकास 'हल्का युद्धक विमान' या (एलसीए) नामक कार्यक्रम के अन्तर्गत हुआ है विमान का आधिकारिक नाम तेजस 4 मई 2003 को तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी ने रखा था।
मोदी सरकार ने अटल जी के कार्यक्रम मे दो चाँद लगाते हुए भारतीय वायुसेना के लिए पूर्णरूपेण "मेक इन इंडिया" का मंत्र अपना लिया, जिसके विश्व स्तर मे सकारात्मक परिणाम भी आने लगे हैं। हल्के लड़ाकू विमान तेजस का अपने देश में उत्पादन करना सैन्य विमानन उद्योग में एक बड़ा मील का पत्थर साबित होने की पूर्ण सम्भावनाये हैं। स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस की पहली स्क्वाड्रन दो लड़ाकू विमानों को बेंगलुरु में शामिल होने के साथ भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया
पहली बार 84 वें वायु सेना दिवस के हिस्से के रूप में गाज़ियाबाद के हिंडन एयरबेस मे तेजस का प्रदर्शन खास लोकप्रिय रहा। तेजस की वजह से अब युद्धक विमानों की कमी को कम महसूस किया जा रहा है।वो भी तब जब देश पाकिस्तान और चीन की सीमाओं से दोहरा खतरा झेल रहा है।
सोवियत रुस के मिग-21 विमानों की खेप आना मना होने के बाद मौजूदा स्थिति को देखते हुए वर्ष 2022 तक भारतीय वायुसेना के पास मात्र 25 स्कवाड्रन विमान ही बच जाएंगे। यदि फ्रांस निर्मित 36 राफेल विमान 2018 के अंत तक मिल जाते है तो भारतीय वायुसेना की ताक़त मे अभूतपूर्व इज़ाफ़ा हो जायेगा जो अभी अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथी सबसे बड़ी वायुसेना है।
सोवियत रुस के मिग-21 विमानों की खेप आना मना होने के बाद मौजूदा स्थिति को देखते हुए वर्ष 2022 तक भारतीय वायुसेना के पास मात्र 25 स्कवाड्रन विमान ही बच जाएंगे। यदि फ्रांस निर्मित 36 राफेल विमान 2018 के अंत तक मिल जाते है तो भारतीय वायुसेना की ताक़त मे अभूतपूर्व इज़ाफ़ा हो जायेगा जो अभी अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथी सबसे बड़ी वायुसेना है।
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