हमारा देश एक ऐसा देश है जिसमे इतने राज दफन है की यदि उन्हें ढूढने में लग जाए तो हम खुद दफन हो जायेगे पर राज खत्म नहीं होंगे। आज हम आपको भारत के बारे में कुछ ऐसे ही रोचक तथ्य बताने जा रहे है। जो शायद ही किसी को पता हो। भारत में ऐसे अनेक तथ्य है जिनके बारे में जानकारी शायद ही किसी को हो, भारत ही एक ऐसा देश है जिसके अंदर इतनी रोचक बातें है की जिनका उल्लेख एक साथ करना बहुत मुश्किल है। फिर भी आज हम आपको कुछ तथ्यों के बारे में बताने जा रहे है।
मुंबई की इस बस्ती का निर्माण 1972 में किया गया था। यह बस्ती ऐसी डिजाईन की हुई है की इस बस्ती को देखकर नहीं लगता की यह बस्ती इतने वर्षों पहले बनाई गई है। यह बस्ती योजनाबध तरीके से बनाई गई है।
इन दिनों अग्नि-5 मिसाइल, ब्रोह्मास की चर्चा भी पुरे विश्व में हो रही है। भारत विश्व का तीसरा ऐसा देश है जिसके पास अग्नि 111 श्रेणी की सूक्ष्म मिसाइल भीहैं।
भारत विश्व का तीसरा ऐसा देश है जिसके पास हार्स कैवलरी रेजिमेंट हैं।
ca-pub-6689247369064277 world and society is made up of every single individual. Each person contributes to making the society of world as it is. Each person has a unique and important place in the world and leaves a definite impression or mark whatever he lives or works. World or society can,t remain untouched by him. Hence, if each person does his bit to change himself and his surroundings, it will be very easy to change the whole world. So, if we are keen to change the world, first thing is that I and you should start changing. Just accusing others or the society would not help to change the world. It is an irresponsible statement, unless others change, changing myself alone won't help. Others may also follow your example after you start the process. Your change is definitely going to bring a change in the world, howsoever small it may be in proportion. Once you start changing, you will find that people around you and the environment around you automatically start changing by induction. But, remember that it is not your goal to change the world. Your goal is simply to change yourself. Change in the world will simply happen by your own change. There is no way to directly change the world. It is simply a happening and not a doing. In other words, we can say that the only contribution you can make in changing the world it to change yourself.
योगासन को शरीर के लिए बहुत अधिक लाभदायक माना जाता है योगासन की ही तरह रोजाना कुछ देर योग मुद्रा लगाकर बैठना भी बहुत फायदेमंद है-वैसे तो योग मुद्रा कई तरह की होती है लेकिन सूर्य मुद्रा लगाने के अनेक फायदे हैं-सूर्य की अंगुली यानी अनामिका,जिसे रिंग फिंगर भी कहते हैं, का संबंध सूर्य और यूरेनस ग्रह से है सूर्य, ऊर्जा और स्वास्थ्य का प्रति-निधित्व करता है और यूरेनस कामुकता, अंतज्र्ञान और बदलाव का प्रतीक है। इस मुद्रा को 15 मिनट करने से ऐसे 13 अद्भुत फायदे होंगे जिसकी अपने कभी कल्पना नही की होगी। सूर्य की अंगुली को हथेली की ओर मोड़कर उसे अंगूठे से दबाएं- बाकी बची तीनों अंगुलियों को सीधा रखें, इसे ( सूर्य मुद्रा ) कहते हैं अपने हाथ की अनामिका उंगली को अंगूठे की जड़ में लगा लें तथा बाकी बची हुई उंगलियों को बिल्कुल सीधी रहने दें- इस तरह बनाने से सूर्यमुद्रा बनती है। सूर्य मुद्रा को लगभग 8 से 15 मिनट तक करना चाहिए इसको ज्यादा देर तक करने से शरीर में गर्मी बढ़ जाती है- सर्दियों में ( सूर्य मुद्रा ) को ज्यादा से ज्यादा 24 मिनट तक किया जा सकता है।
सिद्धासन,पदमासन या सुखासन में बैठ जाएँ फिर दोनों हाँथ घुटनों पर रख लें हथेलियाँ उपर की तरफ रहें – अनामिका अंगुली ( रिंग फिंगर) को मोडकर अंगूठे की जड़ में लगा लें एवं उपर से अंगूठे से दबा लें – बाकि की तीनों अंगुली सीधी रखें।
1.इस मुद्रा से वजन कम होता है और शरीर संतुलित रहता है-मोटापा कम करने के लिए आप इसका प्रयोग नित्य-प्रति करे ये बिना पेसे की दवा है हाँ जादू की अपेक्षा न करे।
2.इस मुद्रा का रोज दो बार 5 से 15 मिनट तक अभ्यास करने से शरीर का कोलेस्ट्रॉल घटता है।
3.वजन कम करने के लिए यह असान क्रिया चमत्कारी रूप से कारगर पाई गई है-सूर्य मुद्रा के अभ्यास से मोटापा दूर होता है तथा शरीर की सूजन दूर करने में भी यह मुद्रा लाभकारी है।
4.जिन स्त्रियों के बच्चा होने के बाद शरीर में मोटापा बढ़ जाता है वे अगर इस मुद्रा का नियमित अभ्यास करें तो उनका शरीर बिल्कुल पहले जैसा हो जाता है।
क्या आप अपने प्रधानमंत्री जी तक अपनी कोई बात पहुँचाना चाहते है? बहुत से लोग चाहे उनको सरकारी बैंक में ट्रांसफर नहीं मिल रहा था, या अपने परिजनों के इलाज के पैसे नहीं थे, जब सब और से रास्ते बंद होने लगे, प्रधानमंत्री जी को लिखने पर उनकी समस्याओं का समाधान हुआ।
सरकार की योजनाओं पर कोई सलाह, सुझाव या फीडबैक देना चाहते है, तो उसे भी आप प्रधानमंत्री तक पहुंचा सकते है।
कैसे लिखें प्रधामंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को?
आप निम्न वेबसाइट पर जाकर प्रधानमंत्री जी को पत्र लिख सकते है।
यहाँ आप अपने बारे में कुछ जानकारी, संपर्क सूत्र इत्यादि का विवरण देने के साथ ही, अपनी बात या शिकायत सीधे प्रधानमंत्री जी तक पहुंचा सकते है।
देश की सरकार के कार्यक्रमों के बारे में राय, सुझाव या फीडबैक
यदि आप सरकारी कार्यक्रमों, योजनाओं के बारे में हो रही चर्चा में शामिल होना चाहते है और अपने सुझाव और सेवा देना चाहते है तो "मेरी सरकार (माय गॉव) वेबसाइट से जुड़ें:
टाइम मैनेजमेंट के गुर अगर आप सीख जाते हैं तो किसी भी परिस्थिति में आप बेहतर काम को अंजाम दे सकते हैं। काम, काम और काम करना ही ऑफिस में आपका लक्ष्य नहीं होना चाहिए। आज के समय में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण लोगों में तनाव बढ़ रहा है। पर कहीं न कहीं इस तनाव के लिए हम भी जिम्मेदार हैं क्योंकि अगर हम अपना काम समय पर कर लें तो परेशानियों से बच सकते हैं। काम कितना भी मुश्किल हो, हमेशा खुद पर यकीन रखें। कामों की सूची आपके पास है और टाइम मैनेजमेंट के गुर अगर आप सीख जाते हैं तो किसी भी परिस्थिति में आप बेहतर काम को अंजाम दे सकते हैं।
ऑफिस में अपने कामों की एक ऐसी सूची तैयार करें जिसमें आपने अपने कामों की प्राथमिकता तय कर रखी हो। इससे आपको ऑफिस में अपने तनाव कम करने में मदद मिलेगी। काम की प्राथमिकता तय करने से आपका काम आसान हो जाता है। इसके साथ ही अपने समय को आप बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं।
अक्सर सबकी शिकायत होती है कि हम इस काम के लिए समय नहीं निकाल पाए या फिर आपको बाद में याद आता है कि वो काम करना था और आप उसे समय पर नहीं कर पाए। किसी काम के समय पर न हो पाने के लिए सिर्फ और सिर्फ आप जिम्मेदार हैं इस बात को जितना जल्दी हो सके सीख लें। अपनी गलती को छिपाने के लिए किसी भी तरह के बहानों का सहारा न लें।
पुरातत्त्वविदो को दक्षिण अफ्रीका की एक गुफा में खुदाई करते हुए ग्रेनाइट से बना 6 हजार वर्ष पुराना शिवलिंग मिला है। पुरातत्त्वविद हैरान हैं कि इतने वर्षों तक यह शिवलिंग जमीन के अंदर सुरक्षित रहा और इसे कोई नुकसान भी नहीं पहुंचा। इससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि 6 हजार साल पहले दक्षिण अफ्रीका में भी हिंदू धर्म को मानने वाले लोग रहते होंगे या किसी अन्य संप्रदाय के लोग भगवान शिव को मानते होंगे। बता दें कि भगवान शिव की सबसे बड़ी मूर्ति भी दक्षिण अफ्रीका में ही है। यह मूर्ति 10 मजदूरों द्वारा 10 महीनों में बनाई गई और इसका अनावरण बेनोनी शहर के एकटोनविले में किया गया है ।
इसमें कोई शक नहीं है कि पद का दुरुपयोग भ्रष्टाचार है। पद का दुरुपयोग,पैसे के लिए किया जाए या किसी और को फायदा पहुंचाने के लिए बात एक ही है। जो पैसे लेते हुए पकड़ा जाता है उसका भ्रष्टाचार उसके कृत्यों से साबित होता है और उसपर भ्रष्टाचार का मुकदमा चलता है। अगर कोई भ्रष्टाचार करते हुए पकड़ा जाए तो उसकी आय से पता करने की कोशिश की जाती है कि भ्रष्ट आचरण के लिए उसने पैसे लिए होंगे कि नहीं। दोनों स्थितियां लगभग एक सी हैं। कानून की नजर में भ्रष्टाचार साबित करना भले मुश्किल हो पर जो खुद ईमानदार होने का दावा करता है, भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करने की बात करता है उसका आचरण शक से ऊपर होना चाहिए।
Google एक सर्च इंजन है जिसपर हम किसी भी प्रकार की जानकारी जानने के लिए सर्च करते हैं। हम हर प्रकार की जानकारी के लिए गुगल का आज इस्तेमान करने लगे हैं। । लेकिन ऐसी कुछ चीजें हैं जिन्हें गूगल पर सर्च करने से आप काफी परेशानी में आ सकते हैं। ये हैं वो 6 चीजे जिसे आप गूगल पर सर्च न ही करें तो आपके लिए अच्छा होगा।
1.अपराध संबंधित जानकारी के बारे में सर्च:
गूगल पर भूलकर भी कभी कुछ गलत या संदेहजनक चीजें सर्च न करें। क्योंकि साइबर पुलिस की नजर अक्सर ऐसे लोगों पर ही होती है जो कि कुछ संदिग्ध और सन्देहजनक सर्च कर रहे हैं। चाहें आपने ऐसे ही किसी संदिग्ध साइट सर्च की तो ऐसा करने पर हो सकता है कि आपको हवालात की हवा खानी पस सकती है।
2 अपनी आइडेंटिटी से जुड़ा सर्च:
गूगल सर्च में हमारे पास यह सुविधा होती है कि वह आपके सर्च के आधार पर आपकी पहचान पता करने के लिए सर्च करती है।गूगल के पास आपकी सर्च की हिस्ट्री का पूरा डाटाबेस होता है फिर चाहे आपने कुछ भी सर्च किया हो। ऐसे में कई बार जानकारी लीक होने का खतरा भी बना रहता है। इसके अलावा आपकी पहचान के सर्च के आधार पर ही आपको उसके सम्बन्धित विज्ञापन भी भेजे जाते हैं।
3. मेडिकल और ड्रग्स से सम्बंधित जानकारी:
जब कभी आप गूगल पर किसी बीमारी और मेडिसिन से जुड़ी कोई भी जानकरी सर्च करते हैं तो यह डाटा थर्ड पार्टी को ट्रांसफर कर दिया जाता है। इस आधार पर आपको उस बीमारी व उस बीमारी के ट्रीटमेंट से संबंधित विज्ञापन दिखाए जाते हैं। इसके बाद यह मेडिकल जानकारी क्रिमिनल वेबसाइट्स को भी शेयर की जाती है। ये मेडिकेड फ्रॉड तथा कई स्कैम में उपयोग होती है।
4. असुरक्षा से संबंधित सर्च:
गूगल पर असुरक्षा से जुड़ी कोई भी जानकारी अगर आप सर्च करते हैं तो आपके पास उस सर्च से संबंधित विज्ञापन आने शुरू हो जाते हैं। जिससे आप यह पता सकते हैं कि कोई आपको इंटरनेट पर फॉलो कर रहा है। यदि आप चाहते हैं कि असुरक्षा से जुड़े विज्ञापन आपको तंग नही करें तो इसके लिए आप गूगल पर इसे सर्च करने से बचना होगा।
5. ईमेल आईडी नहीं करें सर्च:
अपनी पर्सनल ईमेल आईडी को गूगल पर सर्च करने से परहेज करना होगा, ऐसा करने पर आपका अकाउंट हैक और पासवर्ड लीक होने की समस्या होती है। जिसके बाद आपकी ईमेल के माध्यम से आप किसी बड़े स्कैम में भी फंस सकते हैं।
भगवान राम के साक्षात् दर्शन कराने वाले इस मंदिर का नाम “राजा राम मंदिर” है, यह मंदिर मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ नामक स्थान के ओरछा नाम की जगह पर स्थित है, जानकरी के लिए बता दें कि ओरछा नामक यह स्थान एक धर्मनगरी के रूप में भी प्रसिद्ध है। यह मंदिर एक प्राचीन मंदिर है और यह उस महाकवि और संत तुलसीदास के समकालीन ही बना हुआ है। इस मंदिर निर्माण से जुड़ी एक अत्यंत प्राचीन घटना है। यह घटना उस समय के स्थान के राजा मधुरक शाह और उनकी रानी गणेश कुंवर से जुड़ी हुई है। महारानी गणेश कुंवर एक रामभक्त महिला थी और उन्होंने अयोध्या की सरयू नदी के किनारे एक कुटिया बना कर कुछ समय तपस्या की थी। उस समय संत तुलसीदास भी जीवित थे और उन्होंने रानी को आशिर्वाद भी दिया था। रानी को काफी समय तप करने के बाद भी भगवान राम के दर्शन नहीं हुए तो उन्होंने सरयू नदी में जल समाधि लेने का निश्चय किया और जल समाधी के लिए सरयू में कूद गई। पर उस समय सरयू की ही अटल गहराइयों में रानी गणेश कुंवर को भगवान राम ने दर्शन दिए। उस समय रानी ने भगवान को अपने साथ मध्य प्रदेश में ही रहने के लिए प्रार्थना की और उनकी प्रार्थना स्वीकार कर भगवान राम ने उनको ओरछा में साक्षात् सैदव रहने का वचन दिया था। इसके बाद में ही रानी ने ओरछा में “राजा राम मंदिर” का निर्माण करा, वहां श्रीराम की प्रतिष्ठा कराई और उस समय से ही इस मंदिर में भगवान राम सैदव प्रतिष्ठित हैं। यहां बहुत से भक्त लोग आज भी भगवान राम के दर्शन कर अपने जीवन को कृतार्थ करते हैं।
क्रेडिट कार्ड या उधार कार्ड एक छोटा प्लास्टि का कार्ड होता है, जो बैंक यूजर्स को जारी किए जाते है. इस कार्ड के जरिए धारक इस वादे के साथ चीजें खरीद सकते हैं कि, बाद मे वो इन चीजों का भुगतान करेगा. कार्ड का जारीकर्ता, कार्ड के द्वारा उपभोक्ता को उधार की सीमा देता है जिसके अन्तर्गत एक उपयोगकर्ता खरीदी हुई वस्तुओं के भुगतान के लिए पैसे प्राप्त कर सकता है और नकद भी निकाल सकता है.
आइये आपको क्रेडिट कार्ड के बारे में कुछ जानकारी देते हैं….
1. पहले बैंक द्वारा जारी किए जाने वाले क्रेडिट कार्ड का अविष्कार जॉन ब्रिग्स ने किया था.
2. 1950 के दशक में Diner क्लब कार्ड पहली कंपनी थी जिसने ऐसे क्रेडिट कार्ड की पेशकश की जो कि एक से अधिक दुकानों में इस्तेमाल किया जाता है.
3. पहला क्रेडिट कार्ड कागज का बना था जिसकी लिमिट 300$ ही थी.
4.वीसा को असल में अमेकिकार्ड कहा जाता है, और 1958 में बैंक ऑफ अमेरिका ने कैलिफोर्निया से इसकी शुरुआत की.
5. क्रेडिट कार्ड की अवधि इसलिए समाप्त हो जाती है क्योंकि इसपर लगी चुम्बकीय पट्टी काफी बार इस्तेमाल हो जाती है.
6. क्रेडिट कार्ड आज के दौर में क्रेडिट कार्ड दैनिक आवश्यकता बन गया है. खरीदारी से लेकर कई जरूरी कामों में लोग क्रेडिट कार्ड का प्रयोग करते हैं, लेकिन एक तरफ जहां यह सुविधा कई अर्थों में लोगों के लिए लाभप्रद है, तो इसके कई नुकसान भी देखने में आ रहे हैं.
7. क्रेडिट कार्ड का गलत तरीके से प्रयोग जैसे मामले आए दिन समाचारों में होते हैं. जब कार्ड से भुगतान करते हैं, तो उसका अभिलेख कहीं न कहीं तो एकत्रित होता ही है.
8. जब ग्राहक किसी उत्पाद या सुविधा के लिए कार्ड द्वारा भुगतान करता है, तो कार्ड की जानकारी मैनुअल प्रविष्टि, कार्ड इंप्रिंटर, प्वांइट ऑफ सेल टर्मिनल, वर्चुअल टर्मिनल में रिकॉर्ड हो जाती है. उसके बाद भुगतान का सत्यापन किया जाता है, फिर दुकानदार को भुगतान प्राप्त होता है.
9. किसान क्रेडिट कार्ड योजना का उद्देश्य बैंकिंग व्यवस्था से किसानों को समुचित और समय पर आसान तरीके से आर्थिक सहायता दिलाना है ताकि खेती एवं जरूरी उपकरणों की खरीद के लिए उनके वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके.
10. स्वास्थ्य बीमा, जीवन बीमा, घर और दूसरी महत्वपूर्ण संपत्तियों के बीमा आदि तो लोगों की सुरक्षा संबंधी जागरूकता का परिचय देते ही हैं. इनके साथ साथ ही लोगों में अब जानकार क्रेडिट कार्ड का बीमा कराने की सलाह भी देने लगे हैं.
अब हम आपको बताने जा रहे हैं कि खरीददारी करने से लेकर बिल चुकाने तक किन बातों का ध्यान रखें….
1 . क्रेडिट कार्ड स्वैप करने से पहले अपनी जेब और आने वाली सैलरी व खर्च को जरूर ध्यान में रखें.
2. अलग-अलग बैंको के ढेर सारे कार्ड रखने के बजाय एक या दो बैंकों के कार्ड ही इस्तेमाल करें.
3. यदि बैंक आपको क्रेडिट लिमिट बढ़ाने के लिए कहता है तो बिना वजह क्रेडिट लिमिट न बढ़ायें.
4. क्रेडिट कार्ड का बिल सही समय पर भरें। एक दिन की भी देरी आप पर अतरिक्त बोझ डाल सकती है.
5. अगर आपके पास पूरे बिल भरने के पेसे नहीं हैं, तो कम से कम नूनतम राशि जरूर जमा कर दें. न्यूनतम राशि वो राशि होती है, जिसके जमा करने के बाद बैंक आपसे लेट पेमेंट चार्ज नहीं लेता है. आपको सिर्फ इंटरेस्ट रेट देना होता है.
6. जितना हो सके बकाया राशि को आगे की तारीख की तरफ न बढ़ाएं.
8. कोई भी नई खरीदारी से पहले पुराने बिल को जमा कर दें.
9. क्रेडिट कार्ड व बैंक कस्टमर केयर का नंबर हमेशा अपने मोबाइल में सेव करके रखें. यदि आपका कार्ड गुम हो जाये तो तुरंत कस्टमर केयर को कॉल करके उसे ब्लॉक करायें.
10. अपने स्टेट्मेंट के हमेशा चेक करें और यह सुनिश्चित करें की सारे ट्रान्सैक्शन सही हैं.
11. क्रेडिट कार्ड पर ऋण सीमा के साथ कई अन्य सुविधाएं जैसे यात्रा बीमा, हवाई अड्डे की सुविधाओं का मुफ्त में फायदा उठाने का मौका आदि का प्रलोभन दिया जाता है. पहले आप यह सुनिश्चित करें की वाकई आपको इनकी जरूरत हैं.
12. क्रेडिट कार्ड से नकद निकालने से बचें, क्योकि इसका इंटरेस्ट रेट काफ़ी जायद होता है, केवल आपातकालीन परस्थिति में ही नकद निकालें। उसे भी समय पर भुगतान जरूर कर दें.
मेरा कृषि प्रधान भारत महान है । जहाँ पुरातन युग में यह आर्यावत नाम से पुकारा जाता था, वहाँ सोने की चिड़िया नाम से भी अपनी पहचान बनाए हुआ था । यहाँ के वासी आर्य कहलाते थे । महाप्रतापी राजा दुष्यंत के महावीर पुत्र भारत के नाम पर ही मेरे देश का नाम भारतवर्ष पड़ा है ।
सम्पूर्ण विश्व को मेरे भारत पर गर्व रहा है । मेरे भारत का शासक चक्रवर्ती सम्राट कहलाता था । यहाँ की सभ्यता और संस्कृति विश्व की संस्कृतियों की जननी रही है। यह नागराज का हिमकिरीह धारण किए हुए है । हिमालय से निकली शुद्ध-निर्मल जल की धाराओं से गंगा, यमुना, सतलज, कृष्णा, कावेरी, ब्रह्मपुत्र आदि अनेक नदियों का निर्माण हुआ है । इसकी पर्वत धरा असंख्य खनिज पदार्थो को अपनी गोदी में समेटेहुए है । कश्मीर, नैनीताल, शिमला, कुल्लू, मनाली और दार्जिलिंग आदि प्राकृतिक रमणीय स्थानों ने इसे स्वर्ग से अधिक सुंदर बना दिया है । राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी ने अहिंसा और सत्याग्रह सरीखे अमोघ अस्त्रों के द्वारा, और सरदार भगत सिंह सरीखे क्रांतिवीर की वजह से उसे 15 अगस्त सन् 1947 ई. को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त कराया । यह दो हिस्सों में बंट गया । इसका दूसरा हिस्सा पाकिस्तान में है । इस विभाजन से मेरे भारत को बहुत क्षति पहुँची । नरसंहार में लाखों स्त्रियाँ की मांग का सिंदूर पोंछ दिया गया । बच्चों को अनाथ बना दिया गया । वैभव सम्पन्न परिवार भी शरणार्थी बन गए । देशअसंख्य समस्याओं से घिर गया था जिनमें से 45 वर्षों के अन्तराल में अधिकांश समस्याओं का समाधान हो चुका है । शेष के समाधान के लिए प्रधानमंत्री जी लगे हुए हैं ।
इस समय मेरा भारत 125 करोड़ संतानों को अपने कलेजे से लगाये हुए है । इसका क्षेत्रफल भी अपने परिवार के लिए छोटा पड़ रहा है । इसकी संतानों ने विभिन्न धर्म अपनाए हुए हैं, इसलिए यह धर्म-निरपेक्ष कहलाता है । 26 जनवरी, 1950 से इसने अपना संविधान लागू किया है । इसके संघ में 25 राज्य और 7 केन्द्र शासित क्षेत्र हैं। यह विज्ञान के क्षेत्र में छठे स्थान पर है और अणुशक्ति में सक्षम है ।
भारत के लोकप्रिय ग्यारहवें राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को शिक्षक की भूमिका बेहद पसंद थी। उनकी पूरी जिंदगी शिक्षा को समर्पित रही। वैज्ञानिक कलाम साहित्य में रुचि रखते थे, कविताएं लिखते थे, वीणा बजाते थे और अध्यात्म से भी गहराई से जुड़े थे।
कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को हुआ था। इनके पिता अपनी नावों को मछुआरों को किराए पर देकर अपने परिवार का खर्च चलाते थे। अपनी आरंभिक पढ़ाई पूरी करने के लिए कलाम को घर-घर अखबार बांटने का भी काम करना पड़ा था। कलाम ने अपने पिता से ईमानदारी व आत्मानुशासन की विरासत पाई थी और माता से ईश्वर-विश्वास तथा करुणा का उपहार लिया था। वह भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर राष्ट्र बनना देखना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने अपने जीवन में अनेक उपलब्धियों को भारत के नाम भी किया। 27 जुलाई, 2015 को डॉ. कलाम जीवन की अंतिम सांसें लेने से ठीक पहले एक कार्यक्रम में छात्रों से बातें कर रहे थे, वह शायद इसी तरह संसार से विदा होना चाहते होंगे। उनका साफ मानना था कि बच्चे ही देश का भविष्य हैं। किसी ने उनसे उनकी मनपसंद भूमिका के बारे में सवाल किया था तो उनका कहना था कि शिक्षक की भूमिका उन्हें बेहद पसंद आती है। वह ‘रहने योग्य उपग्रह’ विषय पर अपनी बात रखना चाहते थे कि नियति ने उन्हें हमसे वापस ले लिया, लेकिन उनके सपने देश को और मानव जाति को आगे ले जाने वाले थे। उनके विचारों को हम आगे बढ़ाकर उन्हें सच्ची श्रद्धाजंलि दें सकते हैं।
सनातन संस्कृति मे गाय को बहुत ऊँचा स्थान प्राप्त है। इसलिए इसको गोउ माता के नाम से भी जाना गया है। कुछ देशों को छोड़ दें तो गाय को संपूर्ण विश्व में सम्मानीय पशु माना जाता है। गोऊ माता की खुबियां ही इतनी हैं जितनी एक माँ में होती हैं। चरित्र से गाय, प्यार, ममता से भरी होती है और हम सभी को अपने दूध से तृप्त भी करती है। भले आज हमारे देश में इनके हालात प्राचीन समय जैसे ना होंं पर आज भी इनका सम्मान हमारे दिल में है। समाजिक दृष्टि में हम मानवों को मंहगी और अजीब चीजे ज्यादा आर्कषित करती हैं। आज हम बात कर रहे हैं संसार की सबसे मंहगी गाय के बारे में जिसकी कीमत करोंडो में है ,और जिसे पाना हर किसी का ख्वाब भी है। इस गाय की लोकप्रियता लोगों के सिर इस कदर चढ़ कर बोलती है कि किसी प्रतियोगिता में दाखिल होने से पहले ही लोग इसके जीत की बात कहने लगते हैं। मिस्सी नामक इस गाय का पूरा नाम ईस्टसाइड लेविसडेल गोल्ड मिस्सी है जो उत्तरी अमेरिका में पाई जाने वाली हॉल्सटीन नस्ल की गायों में से एक है। यह गाय एक निश्चित समयावधि में करीब 9,700 किलो दूध दे देती है। मिस्सी की नीलामी में इसकी कीमत 3.23 मिलियन डॉलर तक लगाई गई है। हर कोई इस गाय को खरीदने की होड़ में है।
भारतीय विवाह में विवाह की परंपराओं में सात फेरों का भी एक चलन है। जो सबसे मुख्य रस्म होती है। हिन्दू धर्म के अनुसार सात फेरों के बाद ही शादी की रस्म पूर्ण होती है। विवाह के दौरान पंडित इन 7 वचनों का संस्कृत भाषा में बोलते हैं, लेकिन आज हम आपको उन्हीं सातों फेरों का हिंदी अनुदार करके बताने जा रहे हैं। इससे आप विवाह के दौरान लिए जाने वाले 7 फेरों का मतलब और महत्व जान पाएंगे।
पहला
यदि आप कोई व्रत उपवास, अन्य धार्मिक कार्य या तीर्थयात्रा पर जाएँगे, तो मुझे भी अपने साथ ले जाएँ। यदि आप इसे स्वीकार करते है तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ।
दूसरा
आप अपने माता पिता की तरह ही मेरे माता पिता का भी सम्मान करेंगे, और परिवार की मर्यादा का पालन करेंगे। यदि आप इसे स्वीकार करते है तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ।
तीसरा
आप जीवन की तीनो अवस्थाओं (युवावस्था, प्रौढ़ावस्था, वृद्धावस्था) में मेरा पालन करते रहेंगे। यदि आप इसे स्वीकार करते है तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ।
चौथा
अब हम विवाह बँधन में बंध रहे है, तो भविष्य में परिवार की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति की ज़िम्मेदारी आपके कंधो पर है। यदि आप इसे स्वीकार करते है तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ।
पाँचवा
अपने घर के कार्यों में विवाह आदि लेन देन और अन्य किसी हेतु ख़र्च करते समय यदि आप मेरी भी राय लिया करेंगे, तो मैं आपके वामाँग में आना स्वीकार करती हूँ.
छठा
यदि मैं कभी सहेलियों के साथ रहूँ, तो आप सबके सामने कभी मेरा अपमान नहीं करेंगे. जुआँ या किसी भी तरह की बुराइयाँ अपने आप से दूर रखेंगे, तो ही मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ।
सातवाँ
आप पराई स्त्रियों को माँ समान समझेंगे और पति पत्नी के आपसी प्रेम के बीच अन्य किसी को भी नहीं आने देंगे। यदि आप ये वचन दे तो ही मैं आपके वामाँग में आना स्वीकार करती हूँ।
‘हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम्’
इस श्लोक का अर्थ है- या तो तू युद्ध में बलिदान देकर स्वर्ग को प्राप्त करेगा अथवा विजयश्री प्राप्त कर पृथ्वी पर राज-सुख भोगेगा. करते हैं 16 दिसंबर की. इस दिन को हम विजय दिवस के रूप में भी मनाते हैं. आप सोच रहे होंगे कि आख़िर इस दिन को क्या हुआ था कि लोग 'विजय दिवस' के रूप में मनाते हैं. आइए, आपको इसके बारे में पूरी जानकारी देते हैं।
यही वो दिन है, जब सभी हिन्दुस्तानियों का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है क्योंकि इसी दिन को हमने पाकिस्तान को उसी की ज़मीन पर हराया था. 16 दिसंबर 1971 हमारे लिए एक ऐतिहासिक दिवस है. इस दिन हमने पूरी दुनिया को दिखा दिया था कि जो कोई भी हमसे पंगा लेगा, हम उसको ऐसे ही जवाब देंगे. 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान 16 दिसंबर को ही भारत ने पाकिस्तान पर विजय हासिल की थी. इस उपलक्ष्य में हम इस दिन को 'विजय दिवस' के रूप में मनाते हैं. यूं तो इस युद्ध में कई दिलचस्प बातें थीं, जो हमारे लिए काफ़ी ज़रुरी हैं।
बांग्लादेश का बनना
16 दिसंबर 1971 को ढाका में 96,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था. इस युद्ध के 12 दिनों में अनेक भारतीय जवान शहीद हुए और हजारों घायल हो गए. सबसे अच्छी बात रही कि बांग्लादेश पाकिस्तान के आधिपत्य से मुक्त हो गया. अब वो एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया।
दुनिया के लिए भी था ऐतिहासिक दिवस
इस युद्ध को ऐतिहासिक युद्ध भी कहा जाता है. उस समय पाकिस्तानी सेना का नेतृत्व कर रहे थे जनरल एके नियाज़ी. उनके पास क़रीब 96,000 जवानों की टुकड़ी थी. उन्होंने अपनी इस सेना के साथ भारतीय सेना के कमांडर ले.जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने आत्मसमर्पण कर हार मान ली थी. इतिहास में ऐसा दो ही बार हुआ है।
इस युद्ध में तक़रीबन 3,900 भारतीय जवान शहीद हुए और 9,851 जवान घायल. हम इस मौके पर उन जवानों को नम आंखों से श्रद्धांजली देते हैं, जिन्होंने वतन की रखवाली के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
भारत को जीत लेने और कुछ दिन यहां गुजार लेने के पश्चात विश्व विजेता सिकंदर भारत से लौटने की तैयारी कर रहा था। किसी ने उसे सलाह दी कि उसे हिंदुस्तान से अपने साथ एक योगी ले जाना चाहिए। सिकंदर को यह बात काफी पसंद आई। उसने अपने साथ ले जाने योग्य एक योगी की तलाश शुरू कर दी। काफी तलाश के बाद उसे जंगल में पेड़ के नीचे एक ध्यानमग्न योगी दिखाई दिया। वह उनके ध्यान टूटने का इंतजार करता रहा।
जब योगी ने अपनी आंखें खोलीं तो वह बोला, ‘आप मेरे साथ यूनान चलो, मैं आपको धन-धान्य से भर दूंगा।’ योगी ने मना कर दिया। तब वह अपने असली रूप में आ गया। तलवार निकालकर बोला, ‘मैं तेरे टुकड़े टुकड़े कर दूंगा।’ योगी ने हंसकर कहा, ‘तुम मेरे टुकड़े नहीं कर सकते क्योंकि मैं अमर हूं। दूसरे तुम साहसी नहीं हो। एक साहसी ही अपने विरोधी को क्षमा कर सकता है। इसके अलावा तुम विजेता भी नहीं हो, तुम मेरे दास के दास हो। मैंने बड़ी साधना के बाद क्रोध को जीता है। अब वह मेरा दास है, तुम उसके काबू में हो। विजेता तब होते जब मेरे गुस्सा दिलाने पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाते।’
योगी की बातों ने सिकंदर की आंखें खोल दीं। उसे समझ आ गया कि जब उसका अपने ही क्रोध पर काबू नहीं है तो वह खुद को विजेता कैसे कह सकता है। उसे ध्यान आया यह अकारण नहीं कहा गया है कि गुस्से को जिलाए रखना जलते हुए कोयले को हाथ में पकड़े रखने के समान होता है। हम तो उसे किसी दूसरे के ऊपर फेंकना चाहते हैं, पर होता यह है कि खुद हमारा ही हाथ जल जाता है। युगों से हर धर्म और धार्मिक रचनाएं गुस्से को गलत बताती आई हैं। खासकर अहम से प्रेरित गुस्सा पाप माना गया है जो भगवान के उद्देश्य को बिगाड़ता है।
आजकल भारतीय सिनेमा में एक नया ट्रेंड चल रहा है। निर्माता-निर्देशक इतिहास के पन्नों को खंगाल कर कुछ ऐसे किस्से निकालने की कोशिश में लगे रहते हैं जिनसे एक परफेक्ट फिल्म बनाकर दर्शकों के सामने परोसी जाए। आज की यंग जेनरेशन वैसे भी किताबों को पढ़कर इतिहास की गहराई में जाने की इतनी शौकीन नहीं है, तो ऐसे में ये फिल्में उन्हें इतिहास जानने का शॉर्ट कट लगती हैं। और इसका फायदा होता भी होता है क्योंकि किताब पढ़ने से बेहतर चलचित्र देखना ज्यादा रुचिकर होता है। भारतीय इतिहास को मद्देनजर रखते हुए आज तक कई फिल्में बनी हैं, जिनमें से कुछ ही समय पहले बनी’ बाजीराव-मस्तानी’ काफी प्रसिद्ध हुई। बाजीराव मस्तानी की तरह ही अब एक और ऐतिहासिक फिल्म ‘मोहनजोदड़ो’ बनी है ।
ऋतिक रोशन पर फिल्मायी गई इस फिल्म में हड़प्पा सभ्यता के एक नगर को दिखाया गया है । मोहनजोदड़ो आज भी इतिहासकारों के लिए एक पहेली बना हुई है। लेकिन यह नगर कब बसा? हड़प्पा सभ्यता से इसका क्या संबंध है? यह इतिहासकारों में आज भी चर्चा का विषय क्यों है? इस नगर का हिन्दू धर्म से क्या संबंध है? और आखिरकार यहां के लोग कहां गए? इन सभी सवालों का जवाब आज भी भविष्य के गर्त मे ही है। मोहनजोदड़ो का इतिहास जानने के बाद आप सच में भारतीय इतिहास पर गर्व करने लगेंगे। यह तोहफा भी भारत की और से दुनिया को मिला है।
मोहनजोदड़ो एक ऐसा नगर है जो शायद इतना पुराना है कि आप कल्पना भी नहीं कर सकते। तब भारत को आर्यवर्त खा जाता था। आज का भारत और तब का भारत, कोन उन्नत रहा, संस्कृति के लिहाज से यह निर्णय करना विवाद का विषय है।इतिहास के अनुसार यह नगर 4000 से भी अधिक सालों पहले बसा होगा । लेकिन यहां की कला और यहां के लोग जिन चीजों का इस्तेमाल करते थे, व्हह काफी रोचक है। पकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित ‘माण्टगोमरी जिले’ में रावी नदी के बाएं तट पर हड़प्पा नामक पुरास्थल है। जबकि पाकिस्तान के सिन्ध प्रांत के ‘लरकाना जिले’ में सिन्धु नदी के दाहिने किनारे पर मोहनजोदड़ो नामक नगर करीब 5 किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है। इतिहासकारों ने विभिन्न शोध करने के बाद यह सिद्ध किया है कि मोहनजोदड़ो और कुछ नहीं बल्कि हड़प्पा सभ्यता का ही एक नगर था। यहां इसी सभ्यता के लोग रहा करते थे। हड़प्पा सभ्यता जो कि भारत की प्राचीनतम सभ्यता मानी गई है, यह भारत से बाहर भी कई दिशाओं में फैली हुई थी।
19वीं सदी से लेकर अब तक इस सभ्यता के कम से कम 1,000 स्थानों का पता लगाया गया है। इन्हीं में से एक है मोहनजोदड़ो, जिसकी खोज वैज्ञानिकों के लिए किसी युद्ध को जीतने से कम नहीं थी। क्योंकि वहां उन्हें हड़प्पा सभ्यता के है जो अवशेष हासिल हुए थे, वह किसी मूल्यवान वस्तु से कम नहीं थे। हासिल किए गए तथ्यों के अनुसार पहली बार चार्ल्स मेसन ने वर्ष 1842 में हड़प्पा सभ्यता को खोजा था। इसके बाद दया राम साहनी ने 1921 में हड़प्पा की आधिकारिक खोज की थी ,तथा इसमें एक अन्य पुरातत्वविद माधो स्वरूप वत्स ने उनका सहयोग किया था।लेकिन अपनी इस खोज के दौरान वे मोहनजोदड़ो नामक नगर के बेहद समीप होकर भी उसे खोज नहीं पाए थे। किंतु कुछ वर्षों के पश्चात राखालदास बनर्जी ने ऐसे ऐसे नगर को खोज निकाला, जिसका दृश्य देखकर वे स्वयं चकित रह गए। यह था मोहनजोदड़ो नगर, जो उनके अनुसार तकरीबन 200 हेक्टयर क्षेत्र में फैला था।
इस नगर को खोज निकालने के बाद उन्होंने काफी बारीकी से इस पर काम किया और कुछ ऐसे तथ्य सामने रखे, जो बेहद चौंकाने वाले हैं। ऐसा बताया गया कि मोहनजोदड़ो हड़प्पा सभ्यता का सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन पुरास्थल हो सकता है। यह कोई सामान्य नगर नहीं था, यहां के रहने वाले लोग शायद इतने बुद्धिमान थे कि उन्होंने हूबहू आज के नगरों जैसा पैमाना अपनाया हुआ था। इस नगर में बड़े बड़े घर, चौड़ी सड़कें और बहुत सारे कुएं होने के प्रमाण मिलते हैं। इतना ही नहीं, आपको अचंभा तो तब होगा जब आप यह जानेंगे कि नगर में खोज के दौरान जल और मल निकासी के होने के प्रमाण भी पाए गए। इससे पता चलता है कि यह नगर वर्तमान के नगरों जैसे ही विकसित और भव्य थे। मोहनजोदड़ो नगर पर शोध करते हुए वैज्ञानिकों को जो चीजें प्राप्त हुईं, वह इस नगर के लोगों को हिन्दू धर्म से जोड़ती हैं। यहां से प्राप्त हुई मूर्तियां, दीवारों पर लिखी गई लिपि एवं तस्वीरें, ये सभी कहीं ना कहीं मोहनजोदड़ो में रह रहे हड़प्पा सभ्यता के लोगों को हिन्दू संस्कृति के अनुयायी बताती हैं। मोहनजोदड़ो की खुदाई में इस नगर की इमारतें, स्नानघर, मुद्रा, मुहर, बर्तन, मूर्तियां, फूलदान आदि अनेक वस्तुएं मिली हैं। इसके अलावा कपड़ों के टुकड़े के अवशेष, चांदी के एक फूलदान के ढक्कन तथा कुछ अन्य तांबें और लोहे की वस्तुएं मिली है।शिव जी का एक विशाल शिवलिंग भी प्राप्त हुआ जो वैज्ञानिकों के अनुसार तकरीबन 5000 वर्ष पुराना है। माना जा रहा है कि यहां के लोग इस शिवलिंग की पूजा किया करते थे। इसके अलावा असंख्य देवियों की मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। ये मूर्तियां मातृदेवी या प्रकृति देवी की हैं। इसका अर्थ है कि यहां के लोग मूर्ति पूजा में विश्वास करते थे, और प्राचीनकाल से हिन्दू धर्म में चली आ रही मातृ या प्रकृति की पूजा के रिवाज को भी निभाते थे।
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ca-pub-6689247369064277 मेरा भारत महान क्या कभी आपने दूध देने वाला बकरा देखा है ? आप यह पढ़ कर सोचेंगे की बकरा दूध कैसे दे सकता है। लेकिन इस संसार में कुछ भी चमत्कार हो सकता है और ऐसा ही एक चमत्कार गुजरात के अमरेली जिले के एक गाँव बाबर में हुआ है। यहाँ के मंदिर के महंत सीतारामबापू के पास एक हट्टा – कट्टा बकरा है। यह बकरा दूध देने के कारण मीडिया में छाया हुआ है।
महंत सीतारामबापू के अनुसार एक साल पहले तक यह बकरा, अन्य बकरो की तरह ही था। पर फिर इसके अचानक थन निकलने लगे, और जब कुछ महीनों में थान पूर्ण रूप से विकसित हो गए तो इनमे से दूध भी आने लगा जो की स्वाद में बिलकुल बकरी के दूध की तरह है। यह बकरा दिन मे एक लीटर दूध दे देता है। परंतु आश्चर्य की बात यह है कि आप जिस समय भी इसको दुधता हुए देखेंगे, इसके थनों से दूध जरूर निकलेगा। ठीक इसी ही घटना आज से 500 वर्ष पहले भी हुई थी, जब संत कवीर ने एक बछड़े के ऊपर अपना हाथ रखा, और इच्छा की कि मुझे इसका दूध पीना है, तो उनको बछडे का दूध मिल जाता था। कुछ घटनायें ऐसी हो ही जाती है जिसके आगे विज्ञान भी नतमस्तक नजर आता है।
विश्वभर में ना जाने कितने ही धर्मों और संप्रदायों को मानने वाले लोग रहते हैं। सभी की अपनी-अपनी मान्यता और अपने-अपने रिवाज हैं। लेकिन शायद ही कभी किसी ने एक बात पर गौर किया हो कि एक-दूसरे से पूरी तरह अलग ना होकर इन सबके बीच कुछ ना कुछ समानता या फिर किसी प्रकार का संबंध अवश्य होता है। हालांकि यह बात एक बहुत बड़ा विवादित मसला है लेकिन बहुत से लोगों का मानना है कि सनातन धर्म, जो दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म माना गया है, से ही अन्य किसी भी धर्म का उद्भव हुआ है। दूसरे शब्दों में आप ये कह सकते हैं कि सनातन धर्म एक सागर है जिससे धर्म रूपी विभिन्न नदियां निकली हैं। लेकिन ये बात आपको चौंका कर रख देगी को जब ईसा महीह को सूली पर लटकाया गया, तब उनकी मौत नहीं हुई थी ।
इतना ही नहीं यह भी कहा गया है कि मौत के बाद जब ईसा मसीह वापस आ गए थे, जिस दिन को हम ईस्टर के तौर पर मनाते हैं, तब वह येरुसलम से सीधे भारत की ओर आए थे। भारत आकर वे कश्मीर में बसे थे और यहीं उनकी मृत्यु भी हुई थी। कश्मीर में आज भी जीसस क्राइस्ट की कब्र मौजूद है।
मानव इतिहास में बहुत सी खोजे हुई हैं, भारत में 5000 वर्ष पुरानी हडप्पा सभ्यता हो या फिर वह इजिप्ट के पिरामिड़ क्यों ना हो। हिन्दु धर्म जिसे 12000 हजार वर्ष पुराना माना जाता है, इस खोज से अब इतिहासकारों और वैज्ञानिकों को जरूर समझना चाहिए कि वास्तव में हिन्दू धर्म कितना प्राचीन है। इन्ही में से एक दक्षिण जर्मनी में एक बहुत ही दुर्लभ खोज हुई थी, जिसने पुरे विश्व के वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया था। उन्हें जो मिला था वह किसी शेर की सी मानव आकृति जैसे नरसिंह भगवान की प्रतिमा हो, प्रतीत हो रही थी। यह दुर्लभ खोज जो कि एक 32 हजार वर्ष पुरानी मुर्ति से सम्बंधित थी, उसने पुरी दुनिया के वैज्ञानिकों को हैरत में डाल दिया है।
यह बात तब की है जब सन 1930-35 के करीब जर्मनी के इतिहासकार वहां की बहुत पुरानी जगहों की खुदाई कर रहे थे, तब उन्हें वहां पर बहुत सी चीजें मिली थी। पहले तो उन्हें उस जगह पर पक्षियों ,घोडों, कछुए, और कुछ शेरों के अवशेष मिले। बाद में गहन खोज करने पर उन्हें नरसिंह भगवान की एक दुर्लभ प्रतिमा मिली। यह स्वाभिक था कि जिस जगह पर सिवाए जनवरों के अवशेषों के अलावा कुछ नहीं है वहां पर इस तरह की दुर्लभ मुर्ति मिलना बहुत चमत्कारिक है।
इन दिनों सोशल मीडिया पर सबस अधिक हैकिंग आपके अकाउंट के औऱ ई-मेलआइडी से हो रही है। कई बार कुछ साइट्स को ओपेन करने के लिए आपको उसमें अपनी निजी जानकारियां देनी होती हैं। ऐसे में अगर ये जानकारी हैकर्स के हाथ लग गई, तो लेने के देने पड़ सकते हैं। किसी भी नई वेबसाइट को खोलने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि आप उसमें अपनी नीजि जानकारियां ना साझा करें।
बेहद जरुरी हो तो ही किसी वेबसाइट में अपनी नीजी जानकारी साझा करें। ये सजेशन तो आपको हर किसी से मिलती होगी कि अपना पासवर्ड मजबूत रखा करो।लेकिन हैकर्स इसे भी हैक कर सकते हैं। ये बात ठीक है कि आप मजबूत पासवर्ड बनाएं लेकिन एक ही पासवर्ड को बार-बार इस्तेमाल करने से बचें। हो सके तो हफ्ते 10 दिनों में अपना पासवर्ड बदल दिया करें।हर रोज और हर समय स्टेटस अपडेट करने से अच्छा है कि थोड़ा कम करें और स्टेटस में अपनी स्थिती के बारे में कम बताएं। अपने पोस्ट और स्टेटस को स्लेक्टिव लोगों तक ही रखें। इसमें बचाव का एक साधन यह भी है कि आप सेटिंग में जाकर यह तय कर दें कि आपका स्टेटस कौन देख सकता है। फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया में यह सेवा होती है जहां आप चुन सकें कि आपके स्टेटस और पोस्ट कौन देख सकता है। कई बार ऐसा होता है कि किसी साइट पर आपकी लोकेशन मांगी जाती है। अगर आप किसी ऐसे साइट पर हैं जहां आपका लोकशन मागा जा रहा है, तो या फिर उस साइट को ऑफ कर दें औऱ अगर बेहद जरुरी है तो अपना करीबी लोकेशन दे दें। लोकेशन की समस्या से बचने का एक तरीका यह भी है कि आप गलत लोकेशन दें कहने का मतलब यह है कि अपने आस-पास के किसी बड़ी बिल्डींग आदी का लोकेशन शेयर कर दें। जरुरी थोड़े है कि आप अपना सटीक लोकेशन ही दें। क्योंकि लोकेशन शेयर करते ही आपकी और भी कई डिटेल की जानकारी प्राप्त करना आसान हो जाता है। हैकर्स किसी भी कंप्यूटर या सोशल प्रोफाइल को आसानी से हैक कर उसका गलत उपयोग कर सकते हैं जिसमें आपका बैंक अकाउंट या अन्य निजी डिटेल हो सकती हैं।इसके लिए कुछ यूआरएल का इस्तेमाल करते हैं। वहीं आप शॉर्टन यूआरएल की मदद की खतरनाक साइट पर अपनी जानकारी शेयर करने से बच सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि किसी भी संदिग्ध साइट पर तब तक क्लिक ना करें।
आज भी दुनिया में समोसा एक मात्र ऐसा व्यंजन है जिसको हल्का फुल्का टाइमपास करने के लिए या जलपान मे सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ लोग भारत में चाय भी लेना पसंद करते हैं। आज भी जब कोई मेहमान भारतीय घरों में आते हैं तो उन्हें नाश्ते में समोसा अक्सर दिया जाता है। समोसे का स्वाद ही कुछ ऐसा है कि ये हर किसी की जुबान पर अपना प्रभाव छोड़ ही जाता है और इसके बिना तो नाश्तेते का मज़ा ही नही आता है।देश की घर गली-नुक्कड़ से लेकर फाइव स्टार होटल तक में नजर आने वाला समोसा भारतीयों का पसंदीदा है, बहुत कम लोग ही ऐसे होंगे जिसे समोसा पसंद न हो। बच्चे हो या सयाने, समोसा सभी को पसंद होता है। लेकिन क्या आपने ये जानने की कोशिश की है, कि आखिर समोसे की शुरुआत कैसे हुई ? समोसे का इतिहास काफी पुराना है ,और खास बात ये है कि इसकी शुरुआत भारत में नहीं बल्कि किसी और देश में हुई थी। जी हां समोसा भारत नहीं बल्कि किसी और देश में इजाद किया गया था। समोसा मध्यपूर्वं एशिया के रास्ते भारत में पहुंचा । अगर हम खान-पान के इतिहास पर नजर डालें तो पाएंगे की समोसे ने जितनी लंबी यात्रा तय की है, शायद ही किसी और व्यंजन ने की होगी। समोसे का जन्म मिस्र में हुआ था जिसके बाद ये लीबिया पहुंचा और उसके बाद मध्यपूर्व एशिया होते हुए भारत तक पहुंचा।
समोसे का इतिहास इरान से जुड़ा हुआ माना जाता है, कहा जाता है समोसा फारसी भाषा के ‘संबोसाग’ से निकला शब्द है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि गजनवी साम्राज्य के शाही दरबार में एक ‘नमकीन पेस्ट्री’ पेश की जाती थी, जिसमें कीमा, मीट और सूखा मेवा भरा जाता था। भारत मे शाकाहारियों की संख्या ज्यादा होने के कारण इसमे आलू, मटर और पनीर का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है।
नोटबंदी के पीछे बहुत ही टैलेंटेड लोगों का दिमाग चल रहा है, यह टीम कालेबाजारियों की एक एक गतिविधि से वाकिफ है और उनकी सभी चालों को फेल करती जा रही है। एक योजना के अंतर्गत ही अभी तक 500 रुपये के नोट नारी नहीं किये गए, अगर ये नोट जारी कर दिए गए होते तो मोदी सरकार का पूरा काम खराब हो गया होता और नोटबंदी फेल भी हो जाती। लेकिन अब नोटबंदी को कोई भी फेल नहीं कर सकता। भारत पूरी तरह से भ्रष्टाचार के खून में रंगा हुआ है। पिछले कुछ दिनों की ख़बरें देखकर ऐसा लग रहा है कि सबसे ज्यादा भ्रष्ट बैंक हैं, जिसमें लोगों का पैसा जमा रहता है। नोटबंदी के बाद कालेधन के चोरों ने बैंक मैनेजरों से मिलकर कालाधन सफ़ेद करना शुरू कर दिया। हजारों लाखों बैंक मैनेजर कालेधन को सफ़ेद करने में लगे हुए हैं, और इस काम के लिए ये लोग कमीशन ले रहे हैं। कई बैंक मैनेजर पकडे भी जा रहे हैं। एक तरह से चोर बैंक मैनेजरों की छंटनी चल रही है। चोर बैंक मैनेजरों की पहचान उन्हें बैंकिंग सिस्टम से बाहर किया जा रहा है।
हजारों बैंक मैनेजर कालेधन को सफ़ेद तो कर रहे हैं, लेकिन 100 रुपये के नोटों में कैश होने की वजह से अधिक कालेधन को सफ़ेद नहीं कर पा रहे हैं। जहाँ तक सवाल 2000 हजार रुपये के नोटों का है तो इन नोटों की कालाबाजारी करने वाले लोग पकडे भी जा रहे हैं। ऐसा लगता है कि इन नोटों में जरूर कोई ना कोई टेक्नोलॉजी इस्तेमाल की गयी है, क्योंकि जहाँ भी नोटों के बण्डल इकठ्ठे दिखाई देते हैं, इनकम टैक्स अफसर वहां पर छापा मारकर उन नोटों को जब्त कर लेते हैं। ऐसा लगता है कि चोरों को पकड़ने के लिए ही 2000 रुपये के नोट छापे गए हैं। अब 500 रुपये के नोटों की बात करते हैं, इन्हीं नोटों का कालेधन वाले और कमीशनखोर बैंक मैनेजर इन्तजार कर रहे हैं। अभी जितना भी कालाधन है उसका 80-90 फ़ीसदी 500 रूपये के नोटों में है। कमीशनखोर बैंक मैनेजर 500 रुपये के नोटों का इन्तजार कर रहे हैं ताकि कालेधन चोरों से साठ गाँठ करके उनसे कमीशन लेकर उनके कालेधन को सफ़ेद करें। कालेधन के चोर भी 500 रुपये के नोटों का इन्तजार कर रहे हैं। वे भी सोच रहे हैं कि 500 रुपये के नोट आयें तो हम अपने दलाल बैंक मैनेजरों से मिलकर अपना कालाधन सफ़ेद करें। 2000 रुपये के नोट लेने से वे डर रहे हैं क्योंकि उसमे चिप लगी हुई है और 100 रुपये के नोट छिपाने में समस्या होगी और उन्हें ट्रक में ले जाना पड़ेगा।
जैसे जैसे 30 दिसम्बर की तारीख नजदीक आती जा रही है, दलाल बैंक मैनेजरों और कालेधन चोरों की धडकनें बढ़ती जा रही हैं, अगर 500 रुपये के नोट आ जाते तो ये लोग अपना कालाधन सफ़ेद कर लेते।मोदी सरकार भी चालाकी दिखा रही है। वे भी ऐसे ही चोर बैंक मैनेजरों की धर पकड़ कर रहे हैं। चोरों की छटनी चल रही है। जैसे जैसे 30 दिसम्बर की तारीख नजदीक आती जाएगी, इन चोरों की धडकनें बढ़ती जाएंगी। आपको बता दें कि पिछले एक हफ्ते से चोर बैंक मैनेजरों की धरपकड़ शुरू हो चुकी है जिसकी वजह से बैंकों में डर फ़ैल रहा है। कुछ बैंकों ने सही तरीके से काम करना शुरू कर दिया है। जिसकी वजह से लाइनें कम हो गयी हैं। लेकिन प्राइवेट बैंक मैनेजर अभी भी कालेबाजारी और दलाली में व्यस्त हैं। अगर ये लोग नहीं सुधरे तो जल्द ही पब्लिक इन्हें जूतों से पीटना शुरू कर देगी।
सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार चोर बैंक मैनेजरों की पहचान करने के बाद 10 दिन पहले 500 रुपये के नोट जारी करना शुरू करेगी। अब कालाधन केवल बैंक मैनेजरों के माध्यम से सफ़ेद हो सकता है। लेकिन उन्हें इतना वक्त ही नहीं मिलेगा। अगर मोदी सरकार ने उन 10 दिनों में 500 रुपये के नोटों की सप्लाई पूरी कर दी तो बैंकों में लाइनें ख़त्म हो जाएंगी और कालेधन चोरों के पुराने नोट कागज़ बन जाएंगे। क्योंकि 30 दिसम्बर के बाद बैंक भी 500 और 1000 के पुराने नोट नहीं लेंगे। SBI का मानना है कि बैंकों के बाहर लम्बी लम्बी कतारों को कम करने के लिए 10 लाख करोड़ रुपये की जरूरत है। अगर ये नोट पूरे कर दिए गए तो लाइनें अपने आप ख़त्म हो जाएंगी। मोदी सरकार की मजबूरी यह है कि देशवासियों को पुराने नोट जमा करने का समय देना भी जरूरी है वरना एक दिन में कालेधन को सफ़ेद करने का काम बंद हो जाता।
एसबीआई ने कहा, "हमारे अध्ययन के मुताबिक, दो महीने की खपत राशि यानी बाजार में 10 लाख करोड़ रुपये की तरलता बढ़ाने की जरूरत है। इसके बाद कतारें अपने आप गायब हो जाएंगी।" एसबीआई ने कहा, "इनमें से 3-4 लाख करोड़ रुपये डिजिटल या ऑनलाइन माध्यम से जारी किया जाना चाहिए।" केंद्र सरकार द्वारा 500 रुपये तथा 1,000 रुपये के नोटों को लीगल टेंडर से बाहर करने के बाद देशभर में करोड़ों लोग पैसे निकालने के लिए रोजाना बैंकों तथा एटीएम के बाहर कतार में खड़े हो रहे हैं। एसबीआई के अधिकारी ने कहा कि 500 रुपये के नोटों की कमी के कारण करेंसी के तेजी से चलन में विशेष परेशानी आ रही है। उन्होंने कहा, "100 रुपये तथा 2,000 रुपये के नोट के बीच में कोई नोट नहीं है, जिसके कारण परेशानी आ रही है। एक बार जब 500 रुपये के नोट चलन में आ जाएंगे, हालत में सुधार होगा।" उन्होंने कहा कि 500 रुपये के नोट उपलब्ध ही नहीं हैं। कुमार ने कहा कि एसबीआई के 49,000 एटीएम में से 43,000 को नए नोटों के हिसाब से समायोजित कर लिया गया है। उन्होंने कहा, "एसबीआई के एटीएम से प्रतिदिन 17,000 से 19,000 करोड़ रुपये निकल रहे हैं।"
भारत वसुधैव कुटुम्बकम वाला देश है। फिर भी बीते कई महीनों से भारत में सहिष्णुता पर कुछ ज़्यादा ही चर्चा हो रही है। सोशल मीडिया में भी यह मुद्दा बना ही रहता है। नेता से लेकर अभिनेताओं ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखते रहे है। सहिष्णुता-असहिष्णुता को लेकर विवाद होना आजकल आम हो गया है । पर जिन लोगों ने भारतीय लोगों को करीब से देखा और जाना है, उनका मानना है कि भारतीय समाज में ज्यादातर लोगों के अंदर सहिष्णुता (एक वर्ग विशेष को छोड़कर) कूट कूट कर भरी हुई है। भारत में सहिष्णुता साबित करने की जरूरत नहीं। भारतीय इतिहास इससे पटा पड़ा है। आज हम आपके सामने एक ऐसे राजा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में जानकर आपको भारतीय सभ्यता पर गर्व होगा।
1942 में द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ गया था। सबसे खराब हालात पोलैंड के थे। क्योकि पोलैंड पर रूस अमेरिका ,ब्रिटेन,जर्मनी और जापान आदि देशों की सेनाओं ने हमला बोल दिया था। उनका एजेंडा पोलैंड की भूमि पर कब्जा करना था। खतरे को भांपते हुए ,पोलैंड के सैनिको ने अपने परिवार की 500 महिलाओ और करीब 200 बच्चों को एक पानी के जहाज में बैठाकर समुद्र में छोड़ दिया और कैप्टन से कहा की इन्हें किसी भी देश में ले जाओ जहां ये शांति से रह सकें,जहाँ इन्हें सुरक्षित शरण भी मिल सके। अगर जिन्दगी रही तो हम दुबारा मिलेंगे । सबसे पहले पांच सौ पोलिस महिलाओं और दो सौ बच्चों से भरा वो शरणार्थी जहाज ईरान के इस्फहान बंदरगाह पहुंचा, वहां किसी को उतरने की अनुमति तक नही मिली, फिर सेशेल्स और इसके बाद अदन में भी अनुमति नही मिली।
अंत में समुद्र में भटकता भटकता वो जहाज गुजरात के जामनगर के तट पर आ पहुचा। जामनगर के तत्कालीन महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह ने न सिर्फ पांच सौ महिलाओ बच्चो के लिए अपना एक राजमहल जिसे हवामहल कहते है, रहने के लिए दिया, बल्कि अपनी रियासत में बालाचढ़ी में सैनिक स्कुल में उनके बच्चों की पढाई लिखाई की व्यवस्ता भी कराई। ये शरणार्थी जामनगर में कुल नौ साल रहे। उन्हीं शरणार्थी बच्चों में से एक बच्चा भारत मे पढ़ लिखकर बाद में पोलैंड का प्रधानमंत्री भी बना। आज भी हर साल उन शरणार्थीयों के वंशज जामनगर आते हैं और अपने पूर्वजो को याद करते हैं। और भारत और भारत के लोगों की बहुत तारीफ़ भी करते है।