24 सितंबर 2016

वैज्ञानिक का खुलासा ! प्राचीन भारत के आविष्कार से बढ़ गया तीसरे विश्व युद्ध का खतरा

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परमाणु बम विश्व्य युद्ध से 5000 साल पहले हमारे भारत में ही इस्तेमाल किया गया था। परमाणु बम का आविष्कार अब तक का सबसे भयंकर आविष्कार है। द्वितीय विश्व युद्ध में नागासाकी और हिरोशिमा का जो हाल हुआ था वो इसी बम के कारण था और जिसे आज तक भी भुलाया नहीं जा सका है । और भी डरा देने वाली बात ये है कि लगबग हर देश के पास अब यह विनाशकारी हथियार है । जिनमे से कुछ देश तो ऐसे भी है जो इन प्रलयकारी हथियारों  को चलाने की अक्सर धमकी देते रहते हैं। अगर सच में कभी तीसरा विश्व युद्ध आ खड़ा हुआ और उस दौरान ऐसा परमाणु बम छोड़ दिया गया तो पृथ्वी का अंत निश्चित है। 


महाभारत युद्ध में महाप्रलय लाने की क्षमता रखने वाले अस्त्र शस्त्रों और विमान रथों के उल्लेख के साथ साथ एटामिक तरह के युद्ध का परिचय भी मिलता है । इस युद्ध के एटामिक वृतान्त से ऐसी जानकारी प्राप्त होती है जिसे सुनकर आप दंग रह जायेंगे । उस वक़्त संहारक शस्त्रों का प्रयोग ही नहीं बल्कि इन्द्र के वज्र अपने चक्रदार रिफलेक्टर के माध्यम से संहारक रूप में प्रगट होता है। यही अस्त्र जब दागा गया तो एक विशालकाय अग्नि पुंज के समान उभर अपने लक्ष्य को निगल लिया था।


अत्यन्त शक्तिशाली विमान से एक शक्ति  युक्त अस्त्र प्रक्षेपित किया गया । धुएँ के साथ अत्यन्त चमकदार ज्वाला, कहा जाता है कि इसकी चमक दस हजार सूर्यों के चमक के बराबर थी, का आकाश मे अत्यन्त भव्य स्तम्भ उठा। वह वज्र के समान अज्ञात अस्त्र साक्षात् मृत्यु का भीमकाय दूत था । जिसने वृष्ण और अंधक के समस्त वंश को भस्म करके राख बना दिया ,उनके शव इस प्रकार से जल गए थे कि पहचानने योग्य नहीं थे. उनके बाल और नाखून अलग होकर गिर गए थे।  बिना किसी प्रत्यक्ष कारण के बर्तन टूट गए थे और पक्षी सफेद पड़ चुके थे । कुछ ही घण्टों में समस्त खाद्य पदार्थ संक्रमित होकर विषैले हो गए । उस अग्नि की ज्वाला से बचने के लिए योद्धाओं ने स्वयं को अपने अस्त्र-शस्त्रों सहित जलधाराओं में डुबा लिया था। परंतु वे भी उसके रेडिएशन से नही पच पाये। दुनिया को चाहिए कि परमाणु हथियारों के निर्माण, अनुसन्धान को तत्काल रूप से बन्द किया जाए ताकि पृथ्वी को बचाया जा सके।

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