14 अप्रैल 2016

बच्चे का बलात्कार हमारी संस्कृति का हिस्सा। स्वीडन के एक धर्मगुरु का विवादास्पद बयान।



आरहूस में ग्रिमहूज मस्जिद पिछले कुछ समय से  सुर्खियों में है क्यूंकि उनके इमामों में से एक ने हाल ही में बच्चे के बलात्कार को जायज़ बताते हुए कहा कि यह उनकी संस्कृति का हिस्सा है।
बता दें कि ये मस्जिद 2014 में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट को भी समर्थन दे चुकी है. हालांकि स्थानीय पुलिस ने बाद में मस्जिद की प्रशंसा की और दावा किया कि मस्जिद के इमाम isis में शामिल होने से युवा मुसलमानों को रोकना चाहती थी।
 डेनमार्क की ब्रॉडकास्ट TV2 द्वारा ने एक डाक्यूमेंट्री से इस बहस को फिर से जन्म दे दिया है कि क्या ये मस्जिद बंद कर देनी चाहिए ?  उन्होंने खुपिया कमरे से इस मस्जिद के कट्टरपंथी उपदेशक अबू बिलाल इस्माइल को इस विवादास्पद बयान को कहते हुए फिल्माया है कि  एक विवाहित या तलाकशुदा महिला यदि किसी दुसरे मर्द से नाजायज़ सम्बन्ध रखती है, और वह  कुमारी नहीं है, तो उसे मरने तक पत्थर मारने की सज़ा दी जानी चाहिए।
इसके साथ ही वो कहते हैं क़ि अगर कोई भी आदमी या औरत उनकी शादी के बीच में आ जाता है और नाजायज़ रिश्ता रखता है तो उनका खून मुस्लिम कानून के तहत हलाल है और इस तरह उन्हें मरने तक पत्थर मारने की सज़ा मिलनी चाहिए. ”
क्लिप में मुस्लिम धर्मगुरु जैसे को तैसे की कहावत के सहारे कहते हैं कि अगर कोई मुस्लिम को मार देता है तो उसे मार देना चाहिए लेकिन अगर कोई इस्लाम त्यागता है तो उसे भी मार देना चाहिए ।
वहीं विरोध होने पर मस्जिद के प्रमुख धर्मगुरु ओउस्सामा सादी ने अपने धर्मगुरु का बचाव करते हुए कहा कि टीवी जासूस ने धोखे से शरिया के बारे में पुछा तो उनको सही बात बतानी जरूरी थी  क्यूंकि हम अपने धर्म के बारे में कुछ गलत नही बता सकते और धोखा नही दे सकते. ”
इस बारे में वहां की पुलिस का कहना है कि वो तथ्यों की जांच करेगी और सही पाने पर सज़ा भी देगी.

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