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एक ऐसा देश भी है जहाँ दुनिया के सबसे ज्यादा 87.2 प्रतिशत मुस्लिम रहते हैं, यहां की संस्कृति हिन्दू है। सब लोग कुरान पढ़ते है, मस्ज़िद मे जाते है, मोहम्मद साहब को मानते है लेकिन रामलीला भी करते हैं।ये लोग पांडवों को और रामचंद्र जी को अपना पूर्वज मानते है।और वह भारत के एक महाकाव्य ‘रामायण’ के दीवाने है। रामायण और महाभारत की कथायें पढ़ते है। आपको शायद यकीन न हो, यहां राम की नगरी अयोध्या भी स्थित है, जो यहां की जनता के लिए आस्था का प्रतीक है। इस देश के मुसलमान राम को अपने जीवन का नायक और रामायण को अपने दिल का सबसे करीबी ग्रंथ मानते हैं।रामायण का यहां इतना ज़्यादा प्रभाव है कि यहाँ के कई इलाकों में रामायण के अवशेष और पत्थरों पर नक्काशी पर रामकथा के पोराणिक चित्र मिलते हैं।23 करोड़ की आबादी वाले इस देश का नाम इंडोनेशिया है। यह दुनिया का चौथा सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला देश है और इसकी राजधानी जकार्ता है।भारतीयों की तरह ही इंडोनेशिया में रामायण बेहद लोकप्रिय है। 1973 में यहां की सरकार ने एक अंतर्राष्ट्रीय रामायण सम्मेलन का आयोजन भी किया था! पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन मे इंडोनेशिया के प्रधानमंत्री को कहा कि तुम मुसलमान होते हुए राम और कृष्ण को कैसे मानते हो, तो उन्होंने जबाब दिया कि We have changed our religion, but now our fourthfather . हमने अपना धर्म बदल लिया है, पर अपने पूर्वजों को नही बदला।
इंडोनेशिया के शिक्षा और संस्कृति मंत्री अनीस बास्वेदन ने भारत में मोदी सरकार से हर साल इंडोनेशिया की रामायण पर आधारित रामलीला का मंचन भारत में करवाने की मांग की है। इंडोनेशिया यह भी चाहता है भारतीय कलाकार भी इंडोनेशिया के शहरों में जाकर रामायण का मंचन करे। इस कार्य के लिए भारत सरकार ने अपनी रूचि दिखाई है। बहुत जल्द इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे तथा हिन्दू मुस्लिम भाईचारे को बढ़ावा मिलेगा। रामायण की प्रत्येक घटना मिथकों पर आधारित नही है। वैज्ञानिकों ने भी इनको सत्य माना है।
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