10 सितंबर 2016

कुदरती दवा, पीपल का पत्ता।

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आजकल असंतुलित खान पान के कारण कई किस्म की बीमारियां शरीर मे हो रही है जिसमे हार्ट अटैक और हार्ट फ़ैल प्रमुख है । वैसे तो सारी की सारी दवायें पेड़ और पौंधों से ही बनाई जाती है लेकिन कुदरत ने इस बीमारी के लिए बहुत आसान सा तोहफा दिया है। पीपल के पत्ते को इसके उपचार के लिए उपयुक्त माना गया है। कुदरत ने उसका आकार भी दिल के आकार का ही बना दिया है ताकि अनपढ़ को भी समझना आसान हो सके। पीपल का पेड़ वैसे तो सनातन धर्म के लोगों के द्वारा पूजा भी जाता है। इसका वैज्ञानिक कारण भी है। पीपल का पेड़ लगातार कार्बन को शोषित करता है और निर्बाध रूप से ऑक्सीजन प्रदान करता है जो मानव जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है । साथ ही पर्यावरण के लिए भी महत्वपूर्ण है। पीपल के पत्ते की यह विशेषता है कि  इसका तरीके से सेवन किया जाए तो यह 99 प्रतिशत ब्लॉकेज को भी खत्म कर देता है ।

इसको दवाई के रूप मे लेने का तरीका बहुत सरल है। पीपल के 15 पत्ते लें जो कोमल, गुलाबी हों। पत्ते हरे और भली प्रकार विकसित हों।पत्तों की कोपलों का इस्तेमाल न करें। अब छाँटे गए प्रत्येक पत्ते का ऊपर व नीचे का कुछ भाग कैंची से काटकर अलग कर दें। पत्ते के बीच के भाग को पानी से साफ कर लें। इन्हें एक गिलास पानी में धीमी  धीमी आँच पर पकने दें। जब पानी उबलकर एक तिहाई रह जाए तो ठंडा होने पर साफ कपड़े से छान लें और उसे ठंडे स्थान पर रख दें। आपकी दवा तैयार ।
इस काढ़े की तीन खुराकें सुबह के नास्ते के बाद 3-3 घंटे बाद लें। हार्ट अटैक के बाद कुछ समय हो जाने के पश्चात लगातार पंद्रह दिन तक इसे लेने से हृदय पुनः स्वस्थ हो जाता है और फिर दिल का दौरा पड़ने की संभावना नहीं रहती । 



पीपल के पत्ते में दिल को बल और शांति देने की अद्भुत क्षमता है। इस पीपल के काढ़े की तीन खुराकें सवेरे 8 बजे, 11 बजे व 2 बजे ली जा सकती हैं। इसके काढे को  लेने से पहले पेट एक दम खाली नहीं होना चाहिए, बल्कि सुपाच्य व हल्का नाश्ता करने के बाद ही लें। प्रयोगकाल में तली चीजें, चावल आदि न लें। मांस, मछली, अंडे, शराब, धूम्रपान का प्रयोग बंद कर दें। नमक, चिकनाई का प्रयोग बंद कर दें। सैंधा नमक का प्रयोग हितकारी होता है। अनार, पपीता, आंवला, बथुआ, लहसुन, मैथी दाना, सेब का मुरब्बा, मौसंबी, रात में भिगोए काले चने, किशमिश, गुग्गुल, दही, छाछ आदि लें। 



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