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चाणक्य को इतिहास मे विष्णु और कौटिल्य नाम से भी जाना जाता है। उनका मूल नाम विष्णुगुप्त था। वह एक ऐसे विचारक थे जिन्होंने राज्य का संविधान राज्य की जनता की मांग पर बनाने की बात सोची थी । आज से 2500 वर्ष पहले संविधान बनाने का यह पहला विचार था। अब उनकी मुख्य तलाश थी राज्य और राजा। जो उनको चन्द्रगुप्त मौर्य के रूप मे मिली।
चाणक्य की चंद्रगुप्त से पहली भेंट तब हुई जब वह अपने साथियों के साथ राजा और प्रज का एक खेल खेल रहा था। चाणक्य अर्थशास्त्र के साथ-साथ अपने शिष्यों को राजनीति और कूटनीति की शिक्षा भी दिया करते थे l उन्होंने नीति शास्त्र की रचना भी की थी, जिसमें जीवन को सुखी कैसे बनाया जाये , इसका उल्लेख किया गया था। चन्द्रगुप्त को सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य बनाने में भी चाणक्य का बड़ा हाथ था । उन्होंने चन्द्रगुप्त को कूटनीति और नीति सास्त्र का खूब ज्ञान दिया। वह चन्द्रगुप्त को भोजन मे बहुत कम मात्रा मे जहर भी खिला देते थे । उनका मक़सद उसको मारना नही था, बल्कि इस लायक बनाना था कि यदि कोई गुय शत्रु जहर भी खिला दे तो चन्द्रगुप्त उस आघात का सामना कर सके। जब चाणक्य का जन्म हुआ था तब उनके मुह में केवल एक ही दांत था। उनके पैदा होने के कुछ दिनों बाद उनके घर एक जैन मुनि आये , उन्होंने जब चाणक्य के मुह में वो एक दांत देखा, तभी उनके माता-पिता को बताया की ये लड़का राजा बनेगा। चाणक्य के माता पिता चाहते थे की उनका पुत्र आचार्य या जैन मुनि बने । तब मुनि बोले कि चाणक्य का दांत निकाल दीजिये तो ये राजा का निर्माता बनेगा।
चाणक्य की पढाई पाटलीपुत्र से दूर तक्षशिला विश्वविद्यालय मे हुई थी जो तब अफगानिस्तान मे था। चाणक्य की नीतियों के कारण ही सिकंदर को भारत से वापस लौटना पड़ा था। चाणक्य की मौत के दो कारण बताये जाते है । पहला यह कि उन्होंने भोजन पानी त्यागकर अपना शरीर खुद छोड़ा था और दुसरा यह कि वे किसी सडयंत्र का शिकार हो गए थे जिससे उनकी मौत हुए थी। कारण जो भी हो भारत के लिए यह एक बड़ी क्षति थी।
चाणक्य को इतिहास मे विष्णु और कौटिल्य नाम से भी जाना जाता है। उनका मूल नाम विष्णुगुप्त था। वह एक ऐसे विचारक थे जिन्होंने राज्य का संविधान राज्य की जनता की मांग पर बनाने की बात सोची थी । आज से 2500 वर्ष पहले संविधान बनाने का यह पहला विचार था। अब उनकी मुख्य तलाश थी राज्य और राजा। जो उनको चन्द्रगुप्त मौर्य के रूप मे मिली।
चाणक्य की चंद्रगुप्त से पहली भेंट तब हुई जब वह अपने साथियों के साथ राजा और प्रज का एक खेल खेल रहा था। चाणक्य अर्थशास्त्र के साथ-साथ अपने शिष्यों को राजनीति और कूटनीति की शिक्षा भी दिया करते थे l उन्होंने नीति शास्त्र की रचना भी की थी, जिसमें जीवन को सुखी कैसे बनाया जाये , इसका उल्लेख किया गया था। चन्द्रगुप्त को सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य बनाने में भी चाणक्य का बड़ा हाथ था । उन्होंने चन्द्रगुप्त को कूटनीति और नीति सास्त्र का खूब ज्ञान दिया। वह चन्द्रगुप्त को भोजन मे बहुत कम मात्रा मे जहर भी खिला देते थे । उनका मक़सद उसको मारना नही था, बल्कि इस लायक बनाना था कि यदि कोई गुय शत्रु जहर भी खिला दे तो चन्द्रगुप्त उस आघात का सामना कर सके। जब चाणक्य का जन्म हुआ था तब उनके मुह में केवल एक ही दांत था। उनके पैदा होने के कुछ दिनों बाद उनके घर एक जैन मुनि आये , उन्होंने जब चाणक्य के मुह में वो एक दांत देखा, तभी उनके माता-पिता को बताया की ये लड़का राजा बनेगा। चाणक्य के माता पिता चाहते थे की उनका पुत्र आचार्य या जैन मुनि बने । तब मुनि बोले कि चाणक्य का दांत निकाल दीजिये तो ये राजा का निर्माता बनेगा।
चाणक्य की पढाई पाटलीपुत्र से दूर तक्षशिला विश्वविद्यालय मे हुई थी जो तब अफगानिस्तान मे था। चाणक्य की नीतियों के कारण ही सिकंदर को भारत से वापस लौटना पड़ा था। चाणक्य की मौत के दो कारण बताये जाते है । पहला यह कि उन्होंने भोजन पानी त्यागकर अपना शरीर खुद छोड़ा था और दुसरा यह कि वे किसी सडयंत्र का शिकार हो गए थे जिससे उनकी मौत हुए थी। कारण जो भी हो भारत के लिए यह एक बड़ी क्षति थी।
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