नेपाल में पिछले साल आए विनाशकारी भूकंप में बचने वाली गौरिका सिंह इस वर्ष ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में अपनी तैराकी क्षमता का प्रदर्शन करने वाली हैं। नेपाल में जन्मी गौरिका जब सिर्फ दो वर्ष की थीं तभी वह लंदन चली गई थीं। वह पिछले साल आए विनाशकारी भूकंप में बचने वाले खुसकिस्मत लोगों में से एक हैं। गत वर्ष अप्रैल 2015 में गौरिका राष्ट्रीय चैंपियनशिप के लिए अपनी मां गरिमा और छोटे भाई सौरीन के साथ काठमांडू (नेपाल) आई थीं और इसी दौरान देश में विनाशकारी भूकंप आ गया था।
रियो ओलंपिक गौरिका का पहला ओलंपिक भी है। वह तैराकी में 100 मीटर की ‘बैक स्ट्रोक प्रीलिमिनरी’ स्पर्धा में हिस्सा लेंगी। अपनी चमत्कारिक क्षमता से इस मुकाम तक पहुँचने वाली गौरिका पूरे जोर शोर से अपने अभ्यास कार्य में लगी हुयी हैं। गौरिका ने भूकंप के अनुभव को साझा करते हुए बताया कि वह काफी डरावना था। हम काठमांडू में एक इमारत की पांचवी मंजिल पर थे इस कारण उस समय भाग भी नहीं सकते थे। इसलिए हम 10 मिनट के लिए कमरे के बीच रखे एक टेबल के नीचे बैठ गए। गौरिका ने बताया कि, वह नई इमारत थी, इसलिए अन्य इमारतों की तरह वह गिरी नहीं।
गौरिका ने नेपाल चैम्पियनशिप प्रतियोगिताओं में 11 वर्ष की उम्र से ही हिस्सा लेना शुरू कर दिया था। उन्होंने सात राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी तोड़े हैं। उन्हें आशा थी कि एक दिन वह ओलम्पिक में जरूर कदम रखेंगी। गौरिका का कहना है कि, मैं ओलंपिक में जाना चाहती थी, लेकिन इस बारे में आश्वस्त नहीं थी, क्योंकि मैं काफी कम उम्र की थी। जब मुझे एक माह पहले इस बारे में पता चला कि मैं ओलम्पिक खेलों में हिस्सा लूंगी, तो काफी हैरान थी। गौरिका के पिता पारस का मानना है कि उनकी बेटी सफलता की हकदार है, क्योंकि वह अपने लक्ष्य को पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं। वह सुबह चार बजे उठकर अभ्यास करना शुरू कर देती हैं। गौरिका ने हाल ही में इंग्लैण्ड के हर्थफोर्डशायर में अपने स्कूल से जिला स्तर की स्थानीय चैंपियनशिप पूरी की है। 11 साल की उम्र में नेपाल चैंपियनशिप में हिस्सा लेना शुरू करने वाली गौरिका ने सात राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी तोड़े हैं।
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