जिस तरह से जीवन एक सच है, उसी तरह से मौत भी एक सच है। गरुड़ पुराण के बारे में लोगों में यह भ्रांति है कि इसमें सिर्फ मृत्यु के पश्चात होने वाली घटनाओं का ही उल्लेख है। यह पूर्णत: सत्य नहीं है। गरुड़ पुराण में मृत्यु के पश्चात न्याय एवं स्वर्ग-नर्क का जिक्र अवश्य आता है लेकिन इस ग्रंथ में जीवन को सफल एवं सुखी बनाने के अनेक उपाय भी बताए गए हैं।
1- गरुड़ पुराण में कहा गया है कि रात को दही का सेवन नहीं करना चाहिए। आयुर्वेद का भी मत है कि रात्रि को दही का सेवन स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता। हालांकि स्वस्थ मनुष्य के लिए ऋतु अनुसार दिन में दही के सेवन को श्रेष्ठ माना गया है लेकिन रात्रि को दही का सेवन सभी के लिए निषिद्ध है। इसका कारण यह है कि रात्रि को शरीर विश्राम करता है। इससे पाचन तंत्र को दही पचाने में अधिक मेहनत करनी होती है। अत: रात्रि को दही का सेवन न करना ही उत्तम है।
2- शुष्क मांस स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। यह अपने साथ कई रोग लेकर आता है जो शरीर को शीघ्रता के साथ मृत्यु के मुख में धकेल देते हैं। शुष्क मांस से तात्पर्य है- बासी या बहुत पुराना। विज्ञान की भी मान्यता है कि ऐसे मांस में बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं। ये खाने वाले को कई रोग दे सकते हैं। इससे जीवन पर संकट आ सकता है, इसलिए ऐसे पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
3- विश्राम और शयन भी जीवन के लिए जरूरी हैं। आयुर्वेद में ब्रह्म मुहूर्त को इसीलिए बहुत श्रेष्ठ माना गया है क्योंकि शयन के पश्चात जब इस समय बिस्तर छोड़ते हैं तो प्रकृति की सकारात्मक ऊर्जा तन-मन को प्रभावित करती है। वहीं, सुबह देर तक सोने से शरीर में अनेक विषों का निर्माण होता है, विजातीय द्रव्य जमा होने लगते हैं। इससे आयु नष्ट होती है।
4- श्मशान घाट में शवों का दाह संस्कार होता है। ऐसे स्थान के आसपास धुआं, दुर्गंध आदि का माहौल होता है। वहां की वायु शुद्ध नहीं होती। वायुमंडल में बैक्टीरिया आदि हो सकते हैं। गरुड़ पुराण में कहा गया है कि ऐसे वातावरण से दूर रहना चाहिए, क्योंकि अधिक समय तक ऐसे वातावरण में रहने से कई रोग उत्पन्न हो सकते हैं, जो मृत्यु का कारण बन सकते हैं।
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