टी.वी पर आने वाली नागिन की कहानी हो या पौराणिक कथाओं में नागों का उल्लेख, या फिर मंदिरों में पूजे जाने वाले नागों के देवता शेषनाग, इन सबसे पता चलता है कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं में साँपों की कितनी महत्ता है। कई सारी साँपों की रहस्यमयी कथाओं पर बनाई गयी फिल्में और उनकी कहनाईयाँ बहुत दिलचस्प हैं।ख़ासकर आपको वो तो याद ही होगा 'लॉर्ड वॉल्डेमॉर्ट', जिसका अंत तक रक्षक भी एक साँप ही था।

सबसे ज़्यादा ज़हरीला और आकर्षक जीव होने की वजह से, यह रिसर्च और वाइल्डलाइफ में दिलचस्प लेने वालों का भी सबसे ज़्यादा ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। साँपों के आधार पर ही बनी हॉलीवुड की ऐनाकोंडा फिल्म ने सबसे ज़्यादा दर्शक बटोरे थे। तो अब इसमें भी कोई शक नहीं है कि साँप की विशेष जातियाँ पर्यटकों का भी ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। चलिए इस लेख में हम कुछ मुख्य साँपों के उद्यान की यात्रा करते हैं और उनकी कुछ जातियों का पता लगाते हैं

कट्राज स्नेक पार्क, पुणे के राजीव गाँधी ज़ूलॉजिकल पार्क में स्थापित एक बहुत ही आकर्षक पार्क है। पुणे के इस स्नेक पार्क में बहुत बड़ी संख्या में साँपों की कई सारी प्रजातियाँ हैं, जैसे कोब्रा, इंडियन रॉक, पाइथॉन, वाइपर्स और किंग कोब्रा आदि। इस पार्क की एक खास बात यह है कि, यह संगठन साँपों के उन्मूलन की ग़लतफहमी को दूर करने के लिए कई सारे जागरूक कार्यक्रमों का भी आयोजन करता है। यह संगठन साँपों के संरक्षण के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी साँपों की जातियों का उन्मूलन करता है। इस संगठन द्वारा लोगों को धार्मिक उद्देश्यों के लिए साँपों के साथ दुर्व्यवहार करने से रोकने के लिए भी शिक्षित किया जा रहा है। इसलिए पुणे का यह स्नेक पार्क भारत के प्रमुख सर्प उद्यानों में से एक है।
बान्नेरघाटा स्नेक पार्क, बेंगलुरू के बान्नेरघाटा नैशनल पार्क का ही एक हिस्सा है। यह पर्यटकों के बीच मुख्य आकर्षणों में से एक है। यह स्नेक पार्क कई आकर्षक जातियों के साथ लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। बान्नेरघाटा स्नेक पार्क को भारत के प्रमुख सर्प उद्यानों में से एक भी कहा जाता है।

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