17 अगस्त 2016

एक बेनाम कहानी।

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मुख्य सड़क के किनारे पेड़ मे लटके एक कागज मे लिखा था कि मेरे 50 रुपये गुम हो गए है। मे बहुत गरीब और बूढ़ी औरत हूँ  इस दुनिया मे मेरा कोई नही है। रोज के लिए रोटी खरीदने के लिए मोहताज़ रहती हूँ। जिस किशी को मेरे 50 रूपये मिलें , कागज़ मे लिखे पते पर पहुचाने की कृपा करैं ।  इस कागज को बहुत से लोगों ने पढा और आगे बढ़ गए। कुछ लोगों ने पढ़ा और कागज मे लिखे पते पर पहुँच गए। जेब से 50 रूपये निकाले और बुढ़िया को दिए तो वो रोने लगी। 
बुढ़िया बोली बेटा तुम पंद्रहवे आदमी हो जिशे मेरे 50 रूपये मिले हैं और मुझे देने तुम मेरे पते तक आये हो।आदमी पैसे देकर जाने लगा तो बुढ़िया ने पीछे से आवाज दी और बोली बेटा जाते समय तुम उस कागज को फाड़ देना क्योंकी उस कागज को मैंने नही लगाया था।मे ना तो पढ़ी लिखी हूँ और न मैंने उसे लगाया है।दुनिया मे अभी भी कुछ मानवतावादी लोग बचे है जिससे ये दुनिया चल रही है ।वरना आज तो लोग एक दुसरे को नोच कर खाने को भी तयार बैढे हैं। 
ऎसे बहुत कम चुनिंदा लोग ही बचे है जिनको परमेश्वर मदद के लिए चुनता है।यह सोचने और गौर करने का विषय है। यदि आपको इस कहानी के लिए कोई उचित सीर्शक मिले तो अवश्य लिखें।

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