29 अगस्त 2016

भारतीय कंपनियां जो दे रही हैं विदेशी कंपनियों को टक्कर ।

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कभी ईस्ट इंडिया कंपनी ने अंग्रेजों की गुलामी के समय भारत की अर्थव्यवस्था को बहुत नुक्सान पहुचाया था परंतु आज भी वह कंपनी नाम बदलकर भारत मे कारोबार कर रही है। परंतु आजाद भारत मे कई ऐसी भारतीय कम्पनियाँ हैं जिन्होंने विदेशी बाजार में धूम मचा रखी है। जब नाम ब्रांड्स की आती है तो भारतियों में एक आम धारणा है कि विदेशी होगा तो अच्छा होगा। पर हर बार ऐसा नहीं होता। कई बार ऐसा होता है कि ब्रांडिंग की बात आने पर कम्पनियां अपना पूरा ज़ोर लगा देती हैं और उनका विज्ञापन इतने बहतर ढंग से किया जाता है कि उपभोक्ताओं को ये समझ ही नहीं आता कि कोई कंपनी देशी है या विदेशी। आज कुछ भारतीय कंपनियो  मसलन टाटा, ऍम आर एफ,  एशियन पेंट,टेस्ला, इत्यादि विदेशी कंपनियों को कड़ी टक्कर दे रही हैं।हालांकि दुनिया की टॉप टेन कंपनियों मे 9 अमरीका की हैं।



कैफ़े कॉफ़ी डे कई कॉफ़ी ट्रेडिंग कंपनियों से मिलकर बनी एक कंपनी है। ये दक्षिण भारत के चिक्मंग्लोर में स्थापित की गई थी। ये पूरे एशिया की सबसे बड़ी कंपनी है। ये कंपनी अर्बिका बीन्स की पैदावार करते हैं। ये 12000 एकड़ में फैली हुई है और यहां से यूएसए, जापान और यूरोप में कॉफ़ी का निर्यात किया जाता है। स्टारबक्स, कोस्टा कॉफ़ी, टिया लीफ जैसे बड़े ब्रांड इसे अपनी जगह से हिला नहीं सके हैं। पूरे देश भर में इसके 1500 से ऊपर आउटलेट्स हैं। और पिछले कुछ समय में इसने दुसरे कई देशों में अपने नए आउटलेट्स खोले हैं।

1993 में कोका-कोला कंपनी ने इसे चौहान ब्रदर्स से खरीद लिया था। कोका-कोला इस कंपनी को ख़तम कर देना चाहता था पर ऐसा हुआ नहीं। लोग इसे आज भी बेहद पसंद करते हैं। आज भी यह कंपनी कोका-कोला में 16% शेयर रखती है और खूब बिकती है।

इसे 1954 में मोहन मिकिन्स लिमिटेड ने बनाना शुरू किया था। ये कंपनी गाज़ियाबाद में स्थित है। मोहन मिकिन्स नाम की डार्क रम अपने स्वाद की वजह से जानी जाती  है। अभी कुछ ही समय पहले तक ये पूरी दुनिया में बिकने वाली डार्क रम में सबसे पहले नंबर पर थी।

अमूल यानी कि आनंद मिल्क युनियन लिमिटेड. इसे Gujarat Co-operative Milk Marketing Federation Ltd. (GCMMF) द्वारा 1946 में शुरू किया गया था । करीब 3 करोड़ लोग इसको चलाते हैं, इसमें योगदान देते हैं। इस कंपनी को भारत में श्वेत क्रांति लाने का श्रेय जाता है। ये अभी तक विदेशी ब्रांडों को कड़ी टक्कर दे रही है।

MRF यानी मद्रास रबर फैक्ट्री,  इस कंपनी को महज़ 14000 रूपए के साथ 40 के दशक में शुरू किया गया था। ये आज दुनिया के लीडिंग ब्रांडों में से एक है। ये टायर, खिलौने, मोटरस्पोर्ट्स और क्रिकेट ट्रेनिंग के सामान बनाती है।



बुलेट के क्रेज़ के बारे में आप सबको पता होगा। ये दुनिया के लीडिंग ब्रांड में से एक है। ये कंपनी चेन्नई में स्थापित है। इसको यूएस और यूरोप में निर्यात किया जाता है। इसका करंट मार्किट रेट 250-800 cc है।
इस प्रकार देखा जाए तो भारतीय उद्योगपति पूरे विश्व मे अपनी गहरी छाप छोड़ रहे है और भारत का नाम विश्व मे फैला रहे है।

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