30 अगस्त 2016

सफल होने के जीवन में 9 चाणक्य सूत्र

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चाणक्य का नाम स्मरण करते ही एक ऎसे शिखाधारी व्यक्ति का चेहरा मन में उभरता है जो कूटनीति का महान ज्ञाता  था। चाणक्य कूटनीति के जानकार होने के साथ ही जीवन दर्शन के भी मर्मज्ञ थे। उन्होंने अपने जीवन से प्राप्त अनुभवों का संकलन किया था जिसे दुनिया चाणक्य नीति के नाम से जानती है। चाणक्य नीति की ज्यादातर बातें सिर्फ आदर्श से प्रभावित नहीं हैं, उनमें यथार्थ की स्पष्ट झलक है। इस पोस्ट में जानिए चाणक्य नीति की ऎसी बातें जो जीवन की राह को अनुभव का प्रकाश दिखाती हैं-
1. जो समय बीत गया, उसे याद कर पछताना व्यर्थ है। अगर आपसे कोई त्रुटि हो गई तो उससे शिक्षा लेकर वर्तमान को श्रेष्ठ बनाने का प्रयास करना चाहिए, ताकि भविष्य को संवारा जा सके।

2. अगर किसी कार्य को प्रारंभ करो तो तीन बातों को सदैव ध्यान में रखो – यह कार्य मैं क्यों करना चाहता हूं? इस कार्य का क्या परिणाम होगा? … और क्या इसमें मुझे सफलता मिलेगी?
3. किसी के अधीन होना कष्टदायक है लेकिन उससे भी ज्यादा कष्टदायक है दूसरे के घर में रहना।
4. जैसे हजारों पशुओं के बीच भी बछड़ा अपनी माता के पास ही जाता है, उसी प्रकार हे मनुष्य, तुम्हारे किए हुए कर्मो के फल भी इस जगत में तुम्हें ढूंढ लेंगे
5. जो धन बहुत ज्यादा कष्टों के बाद मिले, जिसके लिए अपने धर्म का त्याग करना पड़े, जिसके लिए शत्रुओं की खुशामद करनी पड़े या उनकी सत्ता के अधीन होना पड़े, उस धन का कभी मोह नहीं करना चाहिए।
6. कोई सर्प विषैला नहीं है तो भी उसे फुफकारना नहीं छोड़ना चाहिए। क्योंकि अगर उसने स्वयं को विषहीन सिद्ध कर दिया तो उसके प्राण संकट में पड़ जाएंगे। इसी प्रकार कोई व्यक्ति शक्तिहीन है तो उसे अपनी कमजोरी का प्रदर्शन करने से बचना चाहिए।
7. किसी के अधीन होना कष्टदायक है लेकिन उससे भी ज्यादा कष्टदायक है दूसरे के घर में रहना
8. किसी भी कमजोर व्यक्ति से शत्रुता करना ज्यादा खतरनाक है। वह उस समय वार कर सकता है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते।
9. किसी पदार्थ की सुगंध के प्रसार के लिए उसे हवा की जरूरत होती है लेकिन व्यक्ति का गुण या योग्यता किसी हवा के मोहताज नहीं होते। वे सभी दिशाओं में फैल जाते है ।


चाणक्य कहते हैं कि  इन बातों का ध्यान रखकर काम करेंगे तो असफलता मिलने की संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं। 


1. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि वही व्यक्ति समझदार और सफल है, जिसे इस प्रश्न का उत्तर हमेशा मालूम रहता है। समझदार व्यक्ति जानता है कि वर्तमान समय कैसा चल रहा है। अभी सुख के दिन हैं या दुख के। इसी के आधार पर वह कार्य करता हैं। यदि सुख के दिन हैं तो अच्छे कार्य करते रहना चाहिए और यदि दुख के दिन हैं तो अच्छे कामों के साथ धैर्य बनाए रखना चाहिए। दुख के दिनों में धैर्य खोने पर अनर्थ हो सकता है।

2. हमें यह मालूम होना चाहिए कि हमारे सच्चे मित्र कौन-कौन हैं और मित्रों के वेश में शत्रु कौन-कौन हैं। शत्रुओं को तो हम जानते हैं और उनसे बचते हुए ही कार्य करते हैं, लेकिन मित्रों के वेश में छिपे शत्रु का पहचाना बहुत जरूरी है। यदि मित्रों में छिपे शत्रु को नहीं पहचान पाएंगे तो कार्यों में असफलता ही मिलेगी। ऐसे लोगों से भी बचना चाहिए। साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखें कि सच्चे मित्र कौन हैं, क्योंकि सच्चे मित्रों की मदद लेने पर ही सफलता मिल सकती है। यदि गलती से मित्र बने हुए शत्रु से मदद मांग ली तो पूरी मेहनत पर पानी फिर सकता है।

3. यह देश कैसा है यानी जहां हम काम करते हैं, वह स्थान, शहर और वहां के हालात कैसे हैं। कार्यस्थल पर काम करने वाले लोग कैसे हैं। इन बातों का ध्यान रखते हुए काम करेंगे तो असफल होने की संभावनाएं बहुत कम हो जाएंगी।
4. समझदार इंसान वही है तो अपनी आय और व्यय की सही जानकारी रखता है। व्यक्ति को अपनी आय देखकर ही व्यय करना चाहिए। जो लोग आय से अधिक खर्च करते हैं, वे परेशानियों में अवश्य फंसते हैं। अत: धन संबंधी सुख पाने के लिए कभी आय से अधिक व्यय नहीं करना चाहिए। आय से कम खर्च करेंगे तो थोड़ा-थोड़ा ही सही पर धन संचय हो सकता है।
5. हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमारा प्रबंधक, कंपनी, संस्थान या बॉस हमसे क्या चाहता है। हम ठीक वैसे ही काम करें, जिससे संस्थान को लाभ मिलता है। यदि संस्थान को लाभ होगा तो कर्मचारी को भी लाभ मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

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