9 मई 2016

भारतीय शास्त्रों के विनाशक अस्त्र ब्रह्मास्त्र पर रोचक जानकारी।

भारतीय सनातन वैदिक संस्कृति की विशालता और वैज्ञानिकता इतनी उन्नत और विशाल है कि वर्तमान मे साईंस और टेक्नोलॉजी मे सर्वप्रथम रहने वाला देश अमेरिका भी विज्ञानं के गर्भ मे जाने के लिए हमारे महान महापुरुषों की गड़नाओं और उनके संस्कत मे लिखे गूढ़ रहस्यों को खोजता है। चाहें वह 1945 का पहला परमाणु परिक्षण क्यों ना हो, या फिर आंइस्टीन की 100 साल पुरानी गुरुत्वाकर्षण की थ्योरी  आज सच साबित हुई है।
आज हम बात कर रहे हैं सनातन शास्त्रों मे वर्णित ब्रह्मास्त्र की जो इतना शक्तिशाली था कि देवता और मनुष्य सभी उससे कापंते थे। माना जाता है कि उस शस्त्र से इतनी उर्जा निकलती थी कि वह धरती को पल में भस्म कर सकती थी।
यह अस्त्र कितना विनाशक रहा होगा इसका अनुमान महाभारत के निम्न  वर्णन से लगाया जा सकता हैः-
“अत्यन्त शक्तिशाली विमान से एक शक्ति – युक्त अस्त्र प्रक्षेपित किया गया…धुएँ के साथ अत्यन्त चमकदार ज्वाला, जिस की चमक दस हजार सूर्यों के चमक के बराबर थी, का अत्यन्त भव्य स्तम्भ उठा…वह वज्र के समान अज्ञात अस्त्र साक्षात् मृत्यु का भीमकाय दूत था जिसने वृष्ण और अंधक के समस्त वंश को भस्म करके राख बना दिया…उनके शव इस प्रकार से जल गए थे कि पहचानने योग्य नहीं थे. उनके बाल और नाखून अलग होकर गिर गए थे…बिना किसी प्रत्यक्ष कारण के बर्तन टूट गए थे और पक्षी सफेद पड़ चुके थे…कुछ ही घण्टों में समस्त खाद्य पदार्थ संक्रमित होकर विषैले हो गए…उस अग्नि से बचने के लिए योद्धाओं ने स्वयं को अपने अस्त्र-शस्त्रों सहित जलधाराओं में डुबा लिया…”
प्राचीन भारत में परमाणु विस्फोट के अन्य और भी अनेक साक्ष्य मिलते हैं। राजस्थान में जोधपुर से पश्चिम दिशा में लगभग दस मील की दूरी पर तीन वर्गमील का एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ पर रेडियोएक्टिव राख की मोटी सतह पाई जाती है, वैज्ञानिकों ने उसके पास एक प्राचीन नगर को खोद निकाला है जिसके समस्त भवन और लगभग पाँच लाख निवासी आज से लगभग 8,000 से 12,000 साल पूर्व किसी विस्फोट के कारण नष्ट हो गए थे।

क्या है ब्रह्मास्त्र ?

ब्रह्मास्त्र का अर्थ होता है ब्रह्म (ईश्वर) का अस्त्र। ब्रह्मास्त्र एक  दिव्यास्त्र है जो परमपिता ब्रह्मा का सबसे मुख्य अस्त्र माना जाता है। एक बार इसके चलने पर विपक्षि प्रतिद्वन्दि के साथ साथ विश्व के बहुत बड़े भाग का विनाश हो जाता है। इस शस्त्र को शास्त्रों में सबसे विनाशक शस्त्र का दर्जा प्राप्त है, रामायण औऱ महाभारत काल में इस शस्त्र का वर्णन मिलता है जिसमें हमें इसकी मारक क्षमता का पता चलता है।
शास्त्रों में कहा जाता है कि यदि दो ब्रह्मास्त्र आपस में टकराते हैं तो तब समझना चाहिए कि प्रलय ही होने वाली है। इससे समस्त पृथ्वी का विनाश हो जाएगा और इस प्रकार एक अन्य भूमण्डल और समस्त जीवधारियों की रचना करनी पड़ेगी।

रामायण और महाभारत में भी परमाणु बम का प्रमाण

हो सकता है कि दुनिया का पहला परमाणु बम महाभारत के युद्ध में चला हो। आधुनिक काल में  जे रोबर्ट ओपेन्हाइर ने गीता और महाभारत का गहन अध्ययन किया। उन्होंने महाभारत में बताए गए ब्रह्मास्त्र की संहारक क्षमता पर शोध किया और अपने मिशन को नाम दिया ट्रिनिटी (त्रिदेव)। रॉबर्ट के नेतृत्व में 1939 से 1945 का बीच वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह कार्य किया। 16 जुलाई 1945 को इसका पहला परीक्षण किया गया।

कोई टिप्पणी नहीं: