25 मई 2016

मुस्लिम वोट के लिए सच का एनकाउंटर, बाटला कांड ।

                                  
                                           19 सितंबर, 2008 को साउथ-ईस्ट दिल्ली के जामिया इलाके के बटला हाउस एनकाउंटर का सच सामने आ गया है। अदालत ने इस मामले के आरोपी शहजाद को शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या का दोषी तो ठहरा दिया है लेकिन अभी उसकी जिन्दगी पर फैसला होना बाकी है। इस फैसले के बाद एनकाउंटर को फर्जी बताने वाले लोगों को जवाब मिल गया है। यह फैसला दिल्ली पुलिस के लिए राहत भरा है क्योंकि शहजाद को दोषी साबित करना उसके लिए सबसे बड़ा चैलेंज था।


19 सितंबर 2008 की सुबह आठ बजे:इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की फोन कॉल स्पेशल सेल के लोधी कॉलोनी स्थित ऑफिस में मौजूद एसआई राहुल कुमार सिंह को मिली। शर्मा ने राहुल को बताया कि आतिफ एल-18 में रह रहा है और उसे पकड़ने के लिए टीम लेकर वह बटला हाउस पहुंच जाए।

राहुल कुमार सिंह अपने साथियों एसआई रविंद्र त्यागी, एसआई राकेश मलिक, हवलदार बलवंत, सतेंद्र विनोद गौतम आदि पुलिसकर्मियों को लेकर प्राइवेट गाड़ी में रवाना हो गए। एएसआई अनिल त्यागी, उदयवीर आदि पुलिसकर्मी भी चल पड़े। इस टीम के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा डेंगू से पीड़ित अपने बेटे को नर्सिंग होम में छोड़ कर बटला हाउस के लिए रवाना हो गए। वह अब्बासी चौक के नजदीक अपनी टीम से मिले। सभी पुलिस वाले सिविल कपड़ों में थे।

इस टीम में शामिल पुलिस वालों के मुताबिक, तब तक उन्हें यह निश्चित तौर पर पता नहीं था कि बटला हाउस में बिल्डिंग नंबर एल-18 में फ्लैट नंबर 108 में सीरियल बम धमाकों के जिम्मेदार आतंकवादी रह रहे थे। उनका कहना है कि यह टीम उस फ्लैट में मौजूद लोगों को पकड़ कर पूछताछ के लिए अपने साथ ले गए।




  • सुबह 10:55 बजे: प्लान के मुताबिक, एसआई धर्मेंद्र कुमार फोन कंपनी के सेल्समैन का लुक बनाए हुए थे। वह लैदर शूज पहन कर और टाई लगाए हुए थे। खुद को फोन कंपनी का एग्जेक्यूटिव बताते हुए वह फ्लैट के गेट खटखटाने लगे। अंदर सन्नाटा छा गया। बाकी पुलिस वाले नीचे इंतजार कर रहे थे। धर्मेंद्र ने नीचे आकर बताया कि फ्लैट से आवाजें आ रही थी, लेकिन खटखट करने पर सन्नाटा छा गया था। इंस्पेक्टर शर्मा समेत पुलिस वाले ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां चढ़ने लगे। दो पुलिसकर्मी नीचे खड़े रहे।
  • 11:05 बजे: ऊपर जाकर पुलिस वालों ने देखा कि सीढ़ियों के सामने इस फ्लैट में दो गेट हैं। उन्होंने बाईं ओर वाला दरवाजा अंदर की ओर धकेल दिया। पुलिस वाले अंदर घुस गए। उन्हें अंदर चार लड़के नजर आए। वह थे आतिफ अमीन, साजिद, आरिज और शहजाद पप्पू। सैफ बाथरूम में था। दोनों ओर से फायरिंग होने लगी।
    11:10 बजे: फायरिंग खत्म हो चुकी थी। इंस्पेक्टर शर्मा को दो गोलियां लगी। हवलदार बलवंत के हाथ में गोली लगी। आरिज और शहजाद पप्पू दूसरे गेट से निकल कर भागने में कामयाब रहे। गोलियां लगने से आतिफ अमीन और साजिद की मौत हो गई। फायरिंग की आवाजें सुनकर बिल्डिंग के फ्लैटों से निकल कर लोग सीढ़ियों से नीचे भागने लगे। इसी अफरातफरी का फायदा उठाकर आरिज और शहजाद भी भागने में कामयाब रहे। नीचे खड़े दो पुलिस वाले समझ ही नहीं पा रहे थे कि नीचे आ रहे लोग किस फ्लैट से निकल कर आ रहे थे। इसीलिए आरिज और शहजाद भाग गए।




  • 11:13 बजे: नागरिक ओवेस मलिक ने 100 नंबर पर फोन करके फायरिंग की खबर दी। पीसीआर से जामिया नगर पुलिस चौकी को इस एनकाउंटर की खबर मिली। मेसेज फ्लैश कर दिया गया।
  • 11:20 बजे: महज 10 मिनट के अंदर इस गोलीबारी की खबर इलाके में फैल गई। मौके पर भारी भीड़ जमा हो गई। पुलिस भी भारी तादाद में पहुंच गई। फ्लैट को सील कर दिया गया।

    शाम 5 बजे: होली फैमिली हॉस्पिटल में इलाज के दौरान इंस्पेक्टर शर्मा का निधन हो गया।

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