3 मई 2016

पीछा नहीं छोड़ रहा ‘ओसमा बिन लादेन’ ऐबटाबाद और वहां के लोगों का


विश्व का सबसे ख़तरनाक माना जाने वाला आंतकी ओसामा बिन लादेन क्या आज भी ज़िंदा है? कई तरह के ऐसे सवाल आपके मन में आ रहे होंगे तो ज़रा धीरज धरें, सबके जवाब आपको इस आर्टिकल में मिल जायेंगे. 2 मई 2011 को पाकिस्तान के ऐबटाबाद में अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने Operation Neptune Spear के तहत उसे मार गिराया।उसके अतिरिक्त इस घर में पांच लोग और थे वो सभी लोग ओसामा बिन लादेन के संबंधी थे इसीलिए इस ऑपरेश्न में वो भी मारे गये।इस घटना के बाद बिन लादेन के पड़ोसियों का जीवन पूरी तरह से बदल गया है।




आज भी डरते हैं पड़ोसी

ये हैं 84 साल के जैन बाबा, इनका घर लादेन के घर के सबसे नज़दीक है। हरेक सुबह जैन बाबा अन्य बुजुर्गों के साथ मिलकर एक पेड़ नीचे बैठ जाते हैं। ज़ैन बाबा 2 मई 2011 को अपने बेटे के साथ उसी मकान की पहरेदारी कर रहे थे जिसमें बिन लादेन रहता था. दरअसल ये मकान अरशद का है इनका पूरा नाम अबू अहमद अल-कुवैत है. सीआईए को अरशद के फ़ोन कॉल्स से ही बिन लादेन का पता मिला था।





ज़ैन बाबा को ले गये थे जेल

अमेरिकी खुफिया एजेंसियां जब अपना काम कर निकल गई थी तो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने ज़ैन बाबा और उनके बेटे को धर दबोचा. वे बताते हैं कि, 'उन्होंने हमारे हाथ बांधे, हमारी आंखों पर भी पट्टी बांध दी, वो लोग हमसे बिन लादेन के बारे में जानना चाहते थे, लेकिन हमने उन्हें बताया कि सिवाय बच्चों और दो भाईयों के हमने किसी और शख़्स को नहीं देखा था।




कोई नहीं करता लादेन के बारे में बात

लादेन को मरे हुए पांच साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी कई देशों के पत्रकार उसके बारे में बात करने के लिए आते हैं. एक फ्रांसीसी पत्रकार जब लादेन के बारे में एक बुज़ुर्ग शख़्स से जानने के लिए आया तो पुलिस उसे पकड़ कर ले गई. अगले दिन वो उम्रदराज शख़्स मरा हुआ ही मिला. ज़ैन बाबा कहते हैं कि, 'मैं लोगों के सवालों से अब थक चुका हूं, अब मैं मीडिया से कोई बात नहीं करना चाहता. भले ही बात कोई और हो पुलिस आकर हमसे ही सवाल-जवाब करती है.'




बहुत दबाव है यहां

शकील रफ़ीक (बदला हुआ नाम) वो बताते हैं कि, 'यहां के हालातों में दबाव महसूस किया जा सकता है.' एक अन्य पड़ोसी का कहना है कि, 'अब वो सर झुका कर चलते हैं, वो बाहर किसी से ज़्यादा बातचीत नहीं करते.' रफ़ीक पेशे से एक ठेकेदार हैं, उन्होंने अरशद खान से मिलने के बाद बिन लादेन के घर में माल और मज़दूर उपलब्ध करवाये थे. एक कार्रवाई के दोरान रफ़ीक भी पकड़े गये। सुरक्षा एजेंसी के एक शख़्स ने बताया कि रफ़ीक इरादतन तो नहीं, लेकिन बिन लादेन परिसर में बहुत ही सुविधायें मुहैया करवाने को लेकर उसका नाम दर्ज था.




सादी वर्दी में घूमतें हैं जांचकर्ता

नाम ना बताने की शर्त से एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि इस इलाके में अकसर सादी वर्दी में सुरक्षा अधिकारी घूमते हुए मिल जाते हैं. वे आस-पास जासूसों की तरह से नज़र रखते हैं. वो बताते हैं कि जब पहली बार वो बिन लादेन परिसर में गये तो वहां कई बच्चे और महिलायें चिल्ला रहे थे, रो रहे थे. अंधेरे के कारण हैलीकॉप्टर का पता नहीं लगाया जा सका कि ये अमेरिका का है या पाकिस्तानी सेना का.
आज भी ऐबटाबाद में बहुत से लोग सकते में हैं. यहां हाई अलर्ट जारी है, शायद बिन लादेन का नाम इनका पीछा नहीं छोड़ने वाला।

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