13 मई 2016

हज़ारों लाखों वर्ष मानव सभ्यता की सुरुवाद के प्रमाणित साक्ष्य।

भारत में कई जगहो पर कई चमत्कारिक औऱ रहस्यमयी चीजें मिल जाती हैं, इनमे से कुछ तो वैज्ञानिकों ने सुलझा ली हैं, पर अधिकतर का रहस्य आज भी कायम ही है। मध्यप्रदेश की भीमबैटका गुफा  जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां पर बनी हुई सभी पेंटिंग और चित्रकारी हजारो-लाखों वर्ष पुरानी है और इन्हें आदिमानवो ने अपनी भाषा के इस्तेमाल के लिए बनाया था।
भीमबेटका गुफा मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में है। ये गुफ़ाएँ भोपाल से 46 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण में मौजूद है।इस गुफा मे निर्मित भित्ति चित्र महाभारत के चरित्र भीम से संबंद्ध रखते हैं। माना जाता है कि भीम के नाम पर ही इसका नाम भीमबैटका पड़ा है। लेकिन इसकी दुनियाभर में पर्यटन स्थल के नाम से जाना जाने वाला यह स्थल पुरापाषाणिक आवासय पुरास्थल है और इसे भीम के नाम से नहीं बल्कि आदिमानव द्वारा यहां बनाए गए शैल चित्रों और शैलआश्रयों के कारण जाना जाता है।
कहा जाता है कि इनकी अंदरूनी सतहों में  प्यालेनुमा निशान एक लाख वर्ष पुराने हैं। यहाँ की दीवारें धार्मिक संकेतों से सजी हुई है, जो पूर्व ऐतिहासिक कलाकारों के बीच लोकप्रिय थे। सैंड स्टोन के बड़े खण्डों के अंदर अपेक्षाकृत घने जंगलों के अंदर पांच समूह हैं, जिनके अंदर मिज़ोलिथिक युग से ऐतिहासिक अवधि के बीच की तस्वीरें साक्ष्य के रूप में मौजूद हैं। भीमबेटका गुफा भारत में मानव जीवन के प्राचीनतम और सुरुवादि चिह्न हैं।

 पेंटिंगे कम से कम बारह हज़ार साल पुरातन

भीमबेटका गुफ़ाएँ प्रागैतिहासिक काल की चित्रकारियों के लिए लोकप्रिय हैं और भीमबेटका गुफ़ाएँ मानव द्वारा बनाये गए शैल चित्रों और शैलाश्रयों के लिए भी प्रसिद्ध है। गुफ़ाओं की सबसे प्राचीन चित्रकारी को 12000 साल पुरानी माना जाता है। भीमबेटका गुफ़ाओं की विशेषता यह है कि यहाँ कि चट्टानों पर हज़ारों वर्ष पूर्व बनी चित्रकारियां आज भी मौजूद है और गुफ़ा के अंदर क़रीब 500 गुफ़ाएँ हैं। भीमबेटका गुफ़ाओं में अधिकांश तस्‍वीरें लाल और सफ़ेद रंग कीहै जो पीले और हरे रंग के बिन्‍दुओं से सजी हुई है, जिनमें दैनिक जीवन की घटनाओं से ली गई विषय वस्‍तुएँ चित्रित हैं, जो हज़ारों साल पहले का जीवन दर्शाती हैं।
गुफ़ाओं में प्राकृतिक लाल और सफ़ेद रंगों से वन्यप्राणियों के शिकार दृश्यों के अलावा घोड़े, हाथी,बाघ आदि के चित्र उकेरे गए हैं। कुछ भित्ति चित्र संगीत बजाने, शिकार करने, घोड़ों और हाथियों की सवारी, शरीर पर आभूषणों को सजाने और शहद जमा करने के बारे में हैं।
शेर, सिंह, जंगली सुअर, हाथियों, कुत्तों और घडियालों जैसे जानवरों को भी इन तस्‍वीरों में चित्रित किया गया है।टीक और साक पेड़ों से घिरी भीमबेटका गुफ़ाओं को यूनेस्को द्वारा विश्‍व विरासत स्‍थल के रूप में मान्‍यता दी गई है जो मध्य प्रदेश राज्‍य के मध्‍य भारतीय पठार के दक्षिण सिरे पर स्थित विंध्‍याचल पर्वत की तराई में मौजूद हैं। भीमबेटका क्षेत्र को भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण, भोपाल मंडल ने अगस्त 1990 में राष्ट्रीय महत्त्व का स्थल घोषित किया। इसके बाद जुलाई 2003 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया।

सुंदरता से है ओत-प्रोत है यह क्षेत्र

यह पूरा क्षेत्र खड़े और बिखरे पत्थरों के बीच सागवान और सखुआ पेड़ों से अटा पड़ा है। दूर-दूर तक हरियाली और प्राकृतिक नजारे आपका मन तरोताजा कर देंगे। आपको यहां की हवा में प्रकृति की खुशबू आएगी, जो आपको खुशनुमा और तरोताज़ा होने का अहसास कराएगी।

कैसे पहुंचे

भोपाल से मुम्बई रूट जाने वाली हर ट्रेन से अब्दुल्लागंज उतरकर यहां से टैक्सी या बस से भीमबैटका जा सकते है , यदि आप हवाई मार्ग पसंद करते हैं तो आप भोपाल के नजदीक राजा भोज हवाई अड्डे पर जा सकते हैं यहां से आप टैक्सी करके जल्दी से जल्दी पहुंच पाएंगे।

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