आपने कभी न कभी गोर किया होगा कि पेट्रोल भरवाने के बाद गाडी के आयल इंडिकेटर से ही पता चल जाता है कि हमारी गाडी में पेट्रोल कम डाला गया है क्योंकि रोज गाडी चलाने पर हमारा ध्यान आयल इंडिकेटर पर रहता है और जब हम 100-200 का पेट्रोल डलवाते हैं तो हमें अंदाजा हो जाता है कि आयल इंडिकेटर का कांटा कितना ऊपर तक जाएगा, जब यह काँटा पेट्रोल भरवाने के बाद अंदाजे के हिसाब से नहीं उठता है तो हमें पता चल जाता है कि हमारी गाडी में पेट्रोल कम डाला गया है और पेट्रोल पंप वाले ने हमें लूट लिया है। हम चाहकर भी पेट्रोल पम्प वालों से पेट्रोल चोरी की शिकायत नहीं करते क्योंकि शिकायत करने के बाद पेट्रोल पंप वाले कहते हैं कि आप पूरा पेट्रोल निकालकर पहले नापिए उसके बाद ही हम आपकी शिकायत मानेंगे। ऐसी हालत में बाइक या कार चालक यह सोचते हैं कि पेट्रोल कैसे निकालें, कैन या बोटल कहाँ से ढूंढें या पेट्रोल किससे नपवाएं। पेट्रोल नापने में पेट्रोल पंप के मालिक भी सहयोग नहीं करते हैं क्योंकि उन्हें भी अपने कारनामे का पता होता है। हम भी सोचते हैं कि क्या झंझट पालें, चलो इस बार जो हुआ सो हुआ, अगली बार से सावधान रहेंगे। लेकिन ऐसी घटनाएँ हमारे साथ बार बार होती रहती हैं और पेट्रोल पंप वाले हमें बार बार लूटते रहते हैं और वो भी दिन दहाड़े।
कैसे लूटते हैं पेट्रोल पंप वाले
इससे पहले भी पेट्रोल के लूटे जाने की हवा उडी है और लोगों ने सावधानी भी बरती है लेकिन पेट्रोल पंप के मालिक भी ज्यादातर शातिर लोगों को ही पेट्रोल भरने का काम सौंपते हैं। पेट्रोल भरने वाले आपके चेहरे पर नजर रखते हैं साथ ही एक ऊँगली हैंडल के ट्रिगर पर रखते हैं। पहले वो जीरो पर सेट करके आपको मीटर की तरफ देखते को कहता है। वो यह इसलिए कहता है क्योंकि उसे भी पता होता है कि पेट्रोल चोरी होती है इससे यह भी सबूत मिल जाता है कि पेट्रोल चोरी होती है। आप मीटर देखते रहते हैं और वो पेट्रोल भरते समय हैंडल के ट्रिगर को बीच बीच में दबाता रहता है और उस समय मीटर तो चलता रहता है लेकिन पेट्रोल आना बंद हो जाता है। पेट्रोल भरते समय आपका ध्यान मीटर पर होता है, आप सोचते हैं कि मै मीटर की तरफ नजर रखकर बड़ी होशियारी कर रहा हूँ लेकिन वो दो तीन बार ट्रिगर दबाकर आपका कम से कम 100-50 रूपया तो लूट ही लेता है।
होना तो यह चाहिए कि मीटर जीरो पर सेट करने के बाद वो सीधा हैंडल आपकी टैंक में डाल दे और अपने आप मीटर रुकने पर हैंडल टैंक से निकाल ले, लेकिन चोर लोग ऐसा नहीं करते हैं और एक ऊँगली ट्रिगर पर रखते हैं और आपकी नजर हटते ही ट्रिगर दबा देते हैं जिससे पेट्रोल निकलना बंद हो जाता है, जैसे ही आप हैंडल पर ध्यान देते हैं वो फिर से ट्रिगर छोड़ देता है और इमानदार दिखने का नाटक करता है। अगर यकीन ना हो तो बिना मीटर सेट किये ही गाडी में पेट्रोल भरा जा सकता है, उदाहरण के लिए जब आप बोतल में पेट्रोल भरवाते हैं तो गर्दन पर पहुँचते ही वो ट्रिगर दबा देता है और पेट्रोल निकलना बंद हो जाता है, यही काम वो मीटर सेट करने के बाद गाडी में पेट्रोल भरते हुए भी करते हैं, ट्रिगर पर हाथ रखते हैं और बीच बीच में 5-10 सेकंड के लिए दबाते रहते हैं जिससे मीटर तो चलता रहता है लेकिन पेट्रोल निकलना बंद हो जाता है और देखते ही देखते आपके 100-50 रुपये लुट जाते हैं।
लुटने से कैसे बचें:
आजकल पढ़े लिखे लोगों का जमाना है, आप पेट्रोल भरने वाले से मीटर सेट करने को बोलें, जब वो हैंडल आपके टैंक में डाले तो उसे अपना हाथ हटाने को कहें, ऐसा कहने में विल्कुल भी ना शरमायें क्योंकि आपकी गाडी में उतना ही पेट्रोल गिरेगा जितना मीटर में सेट होगा, अगर उसका हाथ हैंडल या ट्रिगर पर नहीं होगा तो भी पेट्रोल आपकी टैंक में गिरता रहेगा और जब मीटर रुक जाएगा तो पेट्रोल का गिरना भी रुक जाएगा, जब मीटर रुक जाए तो आप उसे हैंडल निकालने को कहें और ऐसा कहने में आप विल्कुल भी ना हिचकिचाएं।
यह भी कोशिश करें कि जिस पेट्रोल पंप पर हैंडल खराब हुआ हो या वो ट्रिगर दबाकर पेट्रोल भर रहा हो वहां पर पेट्रोल विल्कुल भी ना भरवाएं, पहले गाडी लगाएं और उसकी हरकारों पर ध्यान दें जैसे ही दिखे कि वो बीच बीच में ट्रिगर दबा रहा हो अपने आस पास वालों को भी बताएं और किसी और पेट्रोल पंप पर जाएं क्योंकि उसने अगर बीच में एक बार भी ट्रिगर दबा लिया और पेट्रोल आना बंद हो गया तो आपका मीटर तो नहीं रुकेगा लेकिन पेट्रोल रुक जाएगा और कम से कम 100-50 रुपये जरूर लुट जाएंगे।
पेट्रोल पंप के मालिक की कमाई जितनी पेट्रोल के कमीशन से नहीं होती उससे 10 गुना अधिक चोरी से होती है, अगर 200 लोगों को भी एक दिन में लूट लिया तो कम से कम 1 लाख रुपये रोजाना होता है, इसलिए पेट्रोल पंप के मालिक शातिर चोरों को पेट्रोल भरने का काम संभालते हैं और उन्हें भी मोटा कमीशन देते हैं। कभी कभी जब लोग सावधान हो जाते हैं और यह ट्रिक फेल होने लगती है तो बड़े बड़े कम्प्यूटर प्रोग्रामरों को बुलाकर मशीन की प्रोग्रामिंग कर दी जाती है, उसमे सेट कर दिया जाता है कि अगर मीटर में 100 लिखा जाए तो 75 रुपये का ही पेट्रोल निकले, अगर मीटर में 500 लिखा जाय तो 450 का ही पेट्रोल निकले।
जिसने भी कंप्यूटर प्रोग्रामिंग पढ़ी होती है वह समझ सकता है कि प्रोग्रामिंग करके मशीन के सेटिंग कैसे की जाती है –
if Rs 100 then petrol = Rs 75
if Rs 500 then petrol = Rs 450
if Rs 1000 then petrol = Rs 800
if Rs 2000 then petrol = Rs 1500
ilse… as it is…
if Rs 500 then petrol = Rs 450
if Rs 1000 then petrol = Rs 800
if Rs 2000 then petrol = Rs 1500
ilse… as it is…
ऐसा करने के लिए प्रोग्रामिंग करके मशीन से छेड़छाड़ की जाती है, उसके बाद 100 रूपया लिखने के बाद पेट्रोल पंप से उतना ही पेट्रोल निकलता है जितना पहले से सेट होता है यानी कि 75 रुपये का।
इससे भी बचने का एक रास्ता है कि 100, 500, 1000 या 2000 ना देकर चिल्लर दिया जाय जैसे 101, 110, 120, 210, 215, 217, 501, 1001, 1505 2001, 2005 आदि, क्योंकि कम्प्यूटर में चिल्लर पैसों की प्रोग्रामिंग नहीं की जाती है।
जब पेट्रोल या डीजल एक भी रूपया सस्ता होता है तो हम बहुत खुश होते हैं लेकिन जिनके 100-50 रुपये लूट लिए जाते हैं उन्हें कितना दुःख होता होगा, यह हादसा मेरे साथ भी कई बार हो चुका है, पैसे हमारे हैं, हमने मेहनत से कमाए हैं इसलिए हमें पेट्रोल पंप पर भी विल्कुल भी नहीं हिचकिचाना चाहिए और उन्हें साफ़ साफ़ कह देना चाहिए कि भैया पेट्रोल कम नहीं मिलना चाहिए, आप अपना हाथ दूर ही रखें, वे आपको कहेंगे कि यहाँ पर चोरी नहीं होती तो आप बोलें कि हमारे साथ कई बार हो चुका है, सभी लोग ऐसा ही कहते हैं।
दुर्भाग्य से अभी तक पेट्रोल चोरी पर सरकार ने कोई कड़ा कानून नहीं बनाया है इसलिए ऐसी घटनाएँ लगातार हो रही हैं। पेट्रोल पंप मालिकों को किसी का डर नहीं होता है। सरकार को चाहिए कि पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल मापने का संयंत्र लगाया जाय ताकि कम पेट्रोल मिलने पर तुरंत ही fir दर्ज की जा सके। सबसे बेहतर तो ये है कि आप पेट्रोल पंप मे तेल डालने वाले से पहले ही कह डैन कि आप चाहते है कि तेल लीवर से आप कोई छेड़ छाड़ न करें तभी हम तेल भराएंगे। अगर वह बईमान होगा तो आपसे पहले ही मना कर देगा।
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