13 मई 2016

झंडों की डिज़ाइन के पीछे सिर्फ़ आर्ट ही नहीं, साइंस भी है.

किसी भी देश का झंडा उसके सिद्धांतों, संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक होता है. इन झंडों की डिज़ाइन के पीछे सिर्फ़ आर्ट ही नहीं, साइंस भी है. जैसे तिरंगे के रंग भारत की समृद्धि, शौर्य और शांति का प्रतीक हैं. वैसे ही पाकिस्तान का झंडा भी इस्लाम के प्रति प्रतिबद्धता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को दर्शाता है, 

पाकिस्तानी झंडे का डिज़ाइन सईद अमीरुद्दीन किदवई ने क़ायदे आज़म के निर्देश पर सेट किया था. 


जैसा कि हम सब जानते हैं कि चांद के जिस हिस्से पर सूर्य का प्रकाश पड़ता है, सिर्फ उतना हिस्सा ही हमें दिखाई देता है. और जो हिस्सा सूर्यकिरणों से अछूता रह जाता है वो चमकता नहीं है और आकाश जैसा ही रंग (सुबह और शाम के वक़्त नीला और रात के वक़्त काला) अख़्तियार कर लेता है. मतलब चाहे चांद हमें बहुत पतली सी रेखा जैसा (चंद्रमास की प्रथमा या द्वितीया जैसा) दिखाई दे, पर असल में वो होता पूरा गोलाकार है. काला, घना रात्रि के अंधकार में डूबा हुआ.

इसका मतलब अगर हम रात को चांद के साथ-साथ तारे भी देख रहे हैं तो वो चंद्रमा के आभासी गोलाकार दायरे से बाहर ही होंगे, चाहे चंद्रमा पूर्ण या आंशिक रूप से चमक रहा हो या नहीं. इसके पीछे कारण ये है कि तारे चंद्रमा के मुकाबले हमसे करोड़ों-अरबों मील दूर हैं. इसलिए चंद्रमा जब उनके आगे आता है तो उसका आभासी गोल आकार तारों को ढक लेता है.

इसी प्रकार पाकिस्तान के झंडे में जो चांद-तारे का चिन्ह बनाया गया है, उसमें तारा चंद्रमा की आभासी गोलाकार परिधि के भीतर बनाया गया है जो कि ग़लत है. जबकि तारे को चंद्रमा की गोलाकार परिधि से बाहर होना चाहिए था.


विद्वानों का मत है कि सईद अमीरुद्दीन किदवई ने झंडा डिज़ाइन करते वक़्त मुग़ल साम्राज्य के झंडे से हरा रंग लिया और मध्य-एशिया के उस्मानिया (ऑटोमन) साम्राज्य के झंडे से हिलाल-ओ-तारा (चंद्रमा और तारा) का प्रतीक लिया. पर यहां मज़े की बात ये है कि ऑटोमन साम्राज्य के झंडे में चांद-तारे का चिन्ह है, पर उसकी डिज़ाइनिंग को लेकर कोई समस्या नहीं है.

इसमें आप देख सकते हैं कि तारा चंद्रमा की परिधि के बाहर है. हांलाकि कई अन्य देश भी हैं जिनके झंडे में ऐसी ही त्रुटि देखने को मिलती है जैसे अल्जीरिया, मॉरिटानिया और ट्यूनीशिया इत्यादि और इसी तरह बहुत से ऐसे देश भी हैं जिन्होंने अपने झंडे में इस गंभीरता का ध्यान रखा है जैसे तुर्की, लीबिया और अज़रबैजान. खैर जो भी हो, पाकिस्तान चाह कर भी अपने झंडे में ये परिवर्तन नहीं कर सकता. अब यही उसका प्रतीक है. यही उसका सम्मान और इसी झंडे से वो पूरी दुनिया में पहचाना जाता है.

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