गुजरात मे आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है। इस फैसले के बाद गुजरात देश का पहला राज्य बन गया है जहां आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए आरक्षण का फैसला किया गया है। सरकार इसके लिए ऑर्डिनेंस लेकर आएगी। सरकार का ऑर्डिनेंस आने से शिक्षा और नौकरी में उन सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को इसका लाभ मिलेगा जो आर्थिक रूप से कमजोर है ।
यह फैसला बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल की मौजूदगी में लिया गया। गुजरात सरकार के मंत्री विजय रूपानी ने बताया कि ऐसे परिवार जिनकी आय 6 लाख सालाना से कम है वह इस आरक्षण के दायरे में होंगे चाहे वह बाह्मण, क्षत्री, वैश्य, दलित या अन्य किशी भी वर्ग से ताल्लुक रखते हों।इसी माह मई मे इसपर नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा।
आपको ध्यान होगा कि सबसे पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आर्थिक आधार पर आरक्षण की पैरवी की थी। अब गुजरात से इसकी शुरुआत ने एक अलग तरह का संकेत देने का काम किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह क्षेत्र में इस फैसले के लागू होने के बाद देश में इसकी दिशा तय होगी। अगर यह फैसला पूरे भारत मे लागू हो जाये तो जातपात के नाम पर राजनीति करने वाले राजनैतिक दलों की घृणित राजनीती से भी समाज को निज़ात मिलेगी जो जात पात के नाम पर समाज को एकजुट करने के बजाय तोड़ने का काम वर्षों से करते आ रहे है और लोगों को मुर्ख बनाकर सत्ता हासिल कर अपने स्वार्थो की पूर्ति करने मे लगे रहते है।
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